प्रेगनेंसी के लिए भी एक सही उम्र होती है, जैसे की रिसर्च के अनुसार तेईस से सताइस वर्ष की उम्र को प्रेगनेंसी के लिए सही बताया गया है। क्योंकि इस समय प्रजनन क्षमता बेहतर होती है जिससे गर्भधारण में परेशानी होने के चांस कम होते हैं, यदि महिला स्वस्थ है तो। और तीस की उम्र तक भी महिला गर्भधारण कर सकती है, लेकिन कई बार इससे अधिक उम्र होने के बाद प्रेग्नेंट होने से लेकर प्रेगनेंसी के दौरान भी महिला को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जिस तरह अधिक उम्र होने के बाद प्रेगनेंसी में परेशानी आती है, उसी तरह यदि महिला की उम्र कम हो तो भी प्रेगनेंसी में बहुत सी परेशानियां आ सकती है।

लेकिन कई बार शादी जल्दी होने के कारण महिला का गर्भधारण भी जल्दी हो जाता है, ऐसे में महिला को चाहिए की शादी के बाद शिशु को जन्म देने के लिए थोड़ा समय लें। क्योंकि कम उम्र में माँ बनने पर कई बार शारीरिक के साथ महिला मानसिक रूप से भी परेशानी का अनुभव कर सकती है। और यदि महिला शारीरिक रूप से कमजोर है तो दिक्कत ज्यादा भी हो सकती है, तो लीजिये आज हम ऐसी ही कुछ परेशानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिला को कम उम्र में माँ बनने पर हो सकती है।

गर्भपात होने के चांस

कम उम्र में यदि महिला गर्भधारण करती है, और शारीरिक रूप से अभी वह गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होती है तो इसके कारण गर्भपात होने के चांस भी बढ़ जाते हैं। साथ ही इस दौरान बॉडी में तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिला यदि ज्यादा परेशानी का अनुभव कर सकती है, और बॉडी इन बदलाव को सहन नहीं कर पाती है तो भी महिला का गर्भपात हो सकता है।

तनाव

पहली बार माँ बनना किसी भी महिला के लिए बेहद प्यारा अहसास होता है। लेकिन कम उम्र में माँ बनने पर कई बार महिलाएं इस पल को महसूस करने की बजाय बॉडी में हो रहे परिवर्तन, और प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से परेशान हो जाती है जिसके कारण महिला तनाव में आ सकती है। और गर्भवती महिला के लिए तनाव लेना बहुत ही हानिकारक हो सकता है।

ज्यादा परेशानी का अनुभव होना

यदि महिला शारीरिक व मानसिक रूप से माँ बनने के लिए तैयार न हो तो प्रेगनेंसी में मुश्किलें बढ़ जाती हैं फिर चाहे वो किसी भी उम्र में हो। साथ ही कम उम्र में माँ बनना ज्यादातर महिलाओं के लिए परेशानी का कारण हो सकता है, और इसके कारण प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली परेशानियों का अनुभव भी महिला को ज्यादा महसूस हो सकता है।

शिशु के विकास में कमी

यदि जन्म देने वाली माँ ही शारीरिक रूप से फिट नहीं होती है तो गर्भ में शिशु का विकास बाधित हो सकता है। क्योंकि यदि महिला कम उम्र में माँ बनती है, और वह शारीरिक रूप से कमजोर है तो उसके द्वारा लिया गया आहार महिला को फिट रखने में मदद करेगा या शिशु तक पोषण पहुंचाएगा। ऐसे में महिला के साथ शिशु के पोषण में भी कमी आ सकती है। जिसके कारण गर्भ में शिशु का विकास बेहतर तरीके से न होने के चांस बढ़ जाते हैं।

डिलीवरी के दौरान परेशानी

कम उम्र होने के कारण कई महिलाओं को डिलीवरी के दौरान भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। और ज्यादातर केस में नोर्मल की जगह सिजेरियन डिलीवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं।

तो यह हैं कुछ परेशानियां जो कम उम्र में महिला को माँ बनने पर हो सकती है, लेकिन ऐसा भी जरुरी नहीं है की ऐसा सभी महिलाओं के साथ हो। क्योंकि यदि महिला शारीरिक रूप से फिट होती है, तो हो सकता है की प्रेगनेंसी के दौरान महिला को स्वस्थ रहने के साथ शिशु भी स्वस्थ हो।

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