प्रेगनेंसी में रक्तस्त्राव
यदि आपको हर महीने पीरियड्स समय से आते हैं और इस महीने ऐसा नहीं हुआ है तो यह गर्भधारण का लक्षण हो सकता है। ऐसे में पीरियड्स न आने के एक हफ्ते बाद महिला को घर पर ही जरूर चेक करके देखना चाहिए की वो गर्भवती तो नहीं है, यदि आपका परिणाम पॉजिटिव है तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। और यदि नहीं तो दो तीन दिन रूककर दुबारा टेस्ट करना चाहिए और यदि फिर भी नेगेटिव आता है तो भी आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान महिला के मन में तरह तरह के सवाल आते हैं और उनमे से एक सवाल यह होता है की क्या प्रेगनेंसी के दौरान रक्तस्त्राव हो सकता है? तो इसके लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी होता है की रक्तस्त्राव कितना हो रहा है।
रक्तस्त्राव से कैसे पता चलता है की यह पीरियड्स है या नहीं?
यदि आपके टेस्ट में परिणाम पॉजिटिव आया है की आप गर्भवती हैं तो ऐसे में प्रेगनेंसी की शुरुआत में हल्का फुल्का खून का धब्बा लगना आम बात होती है। क्योंकि यह खून के धब्बे पीरियड्स होने का संकेत नहीं होते हैं बल्कि महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु के बाद जब अंडा निषेचित हो जाता है और उसके बाद यह निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब से जाकर गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है। तो इस प्रत्यारोपण के दौरान महिला को खून के धब्बे लगना आम बात होती है। लेकिन यदि आपको खून के धब्बे लगने के साथ पेट या पेट के निचले हिस्से में असेहिनीय दर्द हो रहा है तो यह दो चीजों की तरफ इशारा करता है।
पहला पेट में तेज दर्द होने के साथ स्पॉटिंग की समस्या का होना एक्टोपिक प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के दौरान निषेचित अंडा गर्भाशय की जगह फैलोपियन ट्यूब में ही प्रत्यारोपित हो जाता है। इसके अलावा पेट में तेज दर्द के साथ रक्तस्त्राव का होना गर्भपात का लक्षण भी हो सकता है। ऐसे में महिला को चाहिए की दोनों में से कोई भी दिक्कत हो उसके लिए जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से मिलें, और जल्दी से अपना इलाज करवाना चाहिए ताकि महिला को सेहत और स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्यादा परेशानी न हो। कई महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान संक्रमण होने के कारण भी स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है।
तो यह है प्रेगनेंसी के दौरान रक्तस्त्राव से जुडी कुछ बातें, इसके अलावा प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में महिला को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे पेट पर किसी भी तरह का जोर पड़े। क्योंकि पेट पर जोर पड़ने के कारण महिला को ब्लीडिंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही महिला का गर्भपात होने का खतरा भी रहता है।