क्यों जरुरी होता है गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाना, प्रेगनेंसी में अल्ट्रासॉउन्ड क्यों करवाते हैं, गर्भवती महिला के लिए अल्ट्रासॉउन्ड करवाना क्यों है जरुरी, गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासॉउन्ड करवाने से क्या पता चलता है
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत से टेस्ट करवाने पड़ते हैं जैसे की ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, थायरॉइड टेस्ट, एड्स के लिए टेस्ट, आदि। ऐसे ही प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन प्रेगनेंसी में महिला को कितनी बार अल्ट्रासॉउन्ड करवाना पड़ता है इसके लिए आपको डॉक्टर ही बेहतर तरीके से बता पाते हैं। जहां प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न होने पर महिला को तीन से चार बार अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है। वहीँ उम्र अधिक होने पर या प्रेगनेंसी में किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स होने पर चार या पांच से ज्यादा बार अल्ट्रासॉउन्ड करवाना पड़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान क्यों करवाते हैं अल्ट्रासॉउन्ड
गर्भवती महिला के गर्भ में एक नन्हा शिशु पल रहा होता है और शिशु की गर्भ में स्थिति को जानने के लिए अल्ट्रासॉउन्ड किया जाता है। इसके अलावा और भी कई कारण होते नहीं जिनकी वजह से गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाना पड़ता है। तो आइये जानते हैं की क्यों गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाना पड़ता है।
शिशु की हार्टबीट जानने के लिए
गर्भ में पल रहे शिशु की हार्टबीट जानने के लिए अल्ट्रासॉउन्ड किया जाता है। इससे शिशु का हार्ट रेट भी पता चल जाता है। जिन महिलाओं के पहले अल्ट्रासॉउन्ड में हार्टबीट का पता नहीं चलता है उन्हें डॉक्टर दोबारा से अल्ट्रासॉउन्ड के लिए बोल सकते हैं।
गर्भ में शिशु के विकास को जानने के लिए
गर्भ में शिशु के अंगो का विकास अच्छे से हो रहा है या नहीं, शिशु की लम्बाई, हार्ट ग्रोथ, हाथों, पैरों, रीढ़ की हड्डी आदि की ग्रोथ ठीक तरह से हो रही है या नहीं, आदि को जानने के लिए गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की सलाह दी जाती है।
शिशु के अंग की गतिशीलता जानने के लिए
माँ के पेट में शिशु के अंगो का विकास होने के साथ सभी अंग ठीक से काम कर रहे है या नहीं इस बारे में भी अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। जैसे की शिशु में विकलांगता हो, हड्डियों के विकास में कोई कमी हो आदि का पता अल्ट्रासॉउन्ड से चल सकता है।
गर्भ में शिशु की जानकारी
अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से यह भी पता चल जाता है की गर्भ में एक शिशु है या दो या तीन। इसीलिए भी प्रेग्नेंट महिला का अल्ट्रासॉउन्ड करवाना जरुरी होता है।
एमनियोटिक फ्लूड
एमनियोटिक फ्लूड में ही शिशु माँ के गर्भ में नौ महीने तक रहता है, और अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से गर्भ में एमनियोटिक फ्लूड के लेवल का पता लगाया जा सकता है।
शिशु की पोजीशन
गर्भ में शिशु की पोजीशन का पता लगाने के लिए भी अल्ट्रासॉउन्ड करवाया जाता है, खासकर प्रेगनेंसी के आखिरी अल्ट्रासॉउन्ड को गर्भ में शिशु की सही पोजीशन और वजन आदि जानने के लिए किया जाता है।
डिलीवरी डेट जानने के लिए
अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु के जन्म की तिथि का अंदाजा भी लगाया जा सकता है, और डॉक्टर अल्ट्रासॉउन्ड को देखकर हो डिलीवरी की तारीख देते हैं। यह एक अनुमानित तिथि होती है ऐसा बिल्कुल भी जरुरी नहीं होता है की शिशु का जन्म उसी तिथि को ही होगा यह दो दिन पहले या दो दिन बाद में भी हो सकता है।
प्रेगनेंसी की कॉम्प्लीकेशन्स पता चलती है
अल्ट्रासॉउन्ड करवाने से यदि शिशु को जन्म देने में किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स होती है इस बारे में भी पता लगाया जाता है। जैसे की कुछ महिलाओं को एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो जाती है यानी शिशु गर्भाशय में होने की बजाय कहीं और बढ़ने लगता है, ऐसे में महिला को बहुत रिस्क हो जाता है। और यदि ऐसी कोई दिक्कत होती है तो यह भी प्रेगनेंसी के पहले अल्ट्रासॉउन्ड में पता चल जाता है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को अल्ट्रासॉउन्ड जरूर करवाना पड़ता है। और महिला को कितने अल्ट्रासॉउन्ड करवाने चाहिए, कब अल्ट्रासॉउन्ड करवाना चाहिए इस बारे में आपको डॉक्टर ही अच्छे तरीके से बता पाते हैं।