लेबर पेन न होने पर क्या करें?

प्रसव पीड़ा

गर्भवती महिला की डिलीवरी के लिए प्रसव पीड़ा का होना जरुरी होता है, क्योंकि यदि महिला को डिलीवरी की तारीख आने के बाद भी प्रसव पीड़ा नहीं होती है। तो इसके लिए डॉक्टर या तो आर्टिफिशल दर्द के इंजेक्शन लगाकर प्रसव पीड़ा को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। और यदि उसके बाद भी यदि महिला पर कोई असर नहीं होता है तो महिला को सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी जाती है। क्योंकि यदि समय ज्यादा हो जाता है तो इससे गर्भ में शिशु को रिस्क को सकता है। और डिलीवरी की देय तारीख के बाद भी यदि महिला को दर्द नहीं होता है तो इसके कारण महिला को घबराहट व् बेचैनी महसूस हो सकती है। ऐसे में महिला प्रसव पीड़ा के लिए कुछ घरेलू तरीको का इस्तेमाल कर सकती है, साथ ही महिला कुछ ऐसे आहार भी ले सकती है जिससे प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिलती है।

प्रसव पीड़ा लाने के घरेलू तरीके

यदि महिला के डिलीवरी का समय पास आ रहा है और महिला को बॉडी में प्रसव पीड़ा का कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहा है। तो महिला कुछ घरेलू तरीको का इस्तेमाल करके प्रसव पीड़ा को लाने की कोशिश कर सकती है। तो आइये अब जानते हैं की प्रसव पीड़ा लाने के लिए किन घरेलू तरीको का इस्तेमाल करना चाहिए।

अरंडी का तेल

प्रेग्नेंट महिला यदि एक चमच्च अरंडी का तेल लेकर हल्के हाथों से पेट पर मालिश करती है तो इससे पेट में संकुचन बढ़ता है। जिससे महिला को प्रसव पीड़ा को शुरू करने में मदद मिलती है। पुराने समय में बहुत सी महिलाएं इस तरीके का इस्तेमाल करती थी, और प्रसव पीड़ा को लाने का यह एक असरदार नुस्खा है। लेकिन एक या दो चम्मच से ज्यादा अरंडी के तेल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि स्किन पर अरंडी के तेल का प्रयोग करने से घबराहट, उल्टी जैसी समस्या महिला को हो सकती है।

मसाज

कमर या पीठ पर कुछ ऐसे पॉइंट्स होते हैं जिनपर मसाज करने से प्रसव पीड़ा को शुरू करने में मदद मिल सकती है। यदि डिलीवरी का समय पास आ रहा है और आपके शरीर में प्रसव पीड़ा का कोई लक्षण महसूस नहीं हो रहा है तो आपको मसाज करवानी चाहिए, और इस दौरान प्रसव पीड़ा को बढ़ाने के लिए किन पॉइंट्स पर मालिश करनी चाहिए, इसके लिए आप क्वालिफाइड थैरेपिस्ट से सलाह ले सकते हैं।

योगासन

गर्भावस्था के दौरान योगासन करना बहुत अच्छा माना जाता है क्योंकि यह गर्भवती महिला को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। और यदि महिला प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में योगासन करती है तो इससे भी लेबर पेन की शुरुआत करने के साथ इसे बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही यदि महिला प्रेगनेंसी के दौरान योगासन करती है तो इससे महिला की नार्मल डिलीवरी के चांस को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

स्तन

प्रसव पीड़ा को उत्पन्न करने के लिए महिला के स्तन भी मदद करते हैं। यदि महिला अपने स्तन के अगले हिस्से पर हाथ लगाते हुए मालिश करते हुए धीरे धीरे घुमाती है। तो ऐसा करने से बॉडी में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जो गर्भाशय में संकुचन को पैदा करने में मदद करता है। जिससे प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिलती है।

वाक करे

प्रेग्नेंट महिला को वाक भी जरूर करनी चाहिए, क्योंकि वाक करने से बॉडी को एक्टिव रहने के साथ बॉडी में ब्लड फ्लो को बेहतर तरीके से होने में मदद मिलती है। और वाक करने से गर्भवती महिला के एक्टिव रहने के साथ गर्भ में शिशु को भी एक्टिव रहने में मदद मिलती है। और शिशु गर्भ में जितना एक्टिव रहता है उतना ही जल्दी गर्भ में शिशु को अपनी सही पोजीशन में आने में आने में मदद मिलती है। और शिशु के सही पोजीशन में आने से प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसीलिए प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में महिला को वाक जरूर करनी चाहिए।

प्रसव पीड़ा बढ़ाने के लिए यह खाएं

प्रसव पीड़ा का यदि कोई भी लक्षण यदि गर्भवती महिला को अपनी बॉडी में महसूस नहीं होता है तो महिला को खान पान में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए। जिससे प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिल सके। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनका सेवन करने से प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिलती है।

अनानास

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में गर्भवती महिला को अनानास का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसमें मौजूद एंजाइम के कारण गर्भपात होने का खतरा रहता है लेकिन प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में अनानास का सेवन करने से वह एंजाइम सर्विक्स पर चिकनाहट को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिससे लेबर पेन को बढ़ाने में मदद मिलती है।

तुलसी

औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के पत्तों को चबाने से भी प्रसव पीड़ा को उत्पन्न करने में मदद मिलती है। क्योंकि तुलसी में मौजूद गुण गर्भाशय में ब्लड फ्लो को तेजी से बढ़ाने में मदद करते हैं। और गर्भाशय में ब्लड फ्लो का तेजी से होना प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद करता है।

सिरका

सिरका की थोड़ी सी मात्रा यदि महिला सलाद आदि में मिलाकर उसका सेवन करती है तो इससे भी गर्भाशय में संकुचन को बढ़ाने में मदद मिलती है। जिससे प्रसव पीड़ा धीरे धीरे बढ़ने लगती है।

मसालेदार खाना

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार, तेलीय आहार का सेवन करने से गर्भवती महिला के साथ शिशु को भी नुकसान पहुँच सकता है। लेकिन यदि महिला को प्रसव पीड़ा नहीं होती है तो इसके लिए महिला थोड़ा बहुत मसाले वाले आहार का सेवन कर सकती है। इससे भी गर्भाशय में संकुचन को बढ़ाने में मदद मिलती है।

डिलीवरी का समय पास आने पर भी प्रसव पीड़ा न होने पर क्या करें?

यदि गर्भवती महिला का डिलीवरी का समय पास आने पर और सभी नुस्खों का इस्तेमाल करने पर भी महिला को प्रसव पीड़ा न हो तो महिला को बिल्कुल देरी न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि यदि डिलीवरी की गई तारीख से ज्यादा समय हो जाता है तो गर्भ में शिशु के लिए रिस्क बढ़ जाता है। और शिशु को किसी भी तरह का रिस्क न हो इससे बचने के लिए महिला को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। क्योंकि फिर डॉक्टर अपने तरीके से इलाज करते हैं जैसे की या तो महिला को आर्टिफिशल दर्द दिया जाता है या सिजेरियन डिलीवरी द्वारा डिलीवरी की जाती है ताकि शिशु को होने वाली दिक्कतों से बचाने में मदद मिल सके।

तो यह हैं महिला को लेबर के न होने पर किस तरह महिला को अपना ध्यान रखना चाहिए और इस दौरान क्या करना चाहिए उससे जुड़े कुछ टिप्स। इन टिप्स का ध्यान रखने और डॉक्टर की राय का ध्यान रखने से महिला और शिशु दोनों को सुरक्षित रहने में मदद मिलती है।

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