गर्भावस्था के दौरान पेट में पल रहे बच्चे का विकास पूरी तरह से अपनी माँ पर ही निर्भर करता है। इसीलिए प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर आखिर तक महिला को अपना ध्यान अच्छे से रखने की सलाह दी जाती है। ऐसे में यदि महिला किसी तरह की लापरवाही करती है, गलत खान पान का सेवन करती है या सेहत के प्रति थोड़ी भी लापरवाही बरतती है।
तो इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है और इसकी वजह से शिशु को जन्मदोष होने का खतरा रहता है साथ ही गर्भ में भी बच्चे को शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भ में बच्चे को दिल से जुडी बीमारी क्यों हो जाती है इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
कैसे पता चलता है की पेट में बच्चे को है दिल की बीमारी?
प्रेगनेंसी के समय जब अल्ट्रासॉउन्ड होता है तो महिला को शिशु के शारीरिक विकास व् अंगों के विकास के बारे में बताया जाता है। और शारीरिक अंगों में दिल का विकास सबसे पहले हो जाता है साथ ही शिशु के दिल की धड़कन भी सबसे पहले डॉक्टर द्वारा आपको सुनाई जाती है। उसके बाद जब शिशु के अंगों के विकास को जानने के लिए अल्ट्रासॉउन्ड करते हैं।
तो उस दौरान यदि शिशु के विकास में कोई भी कमी होती है तो उसके बारे में आपको बताया जाता है। इसके अलावा जब डॉक्टर बच्चे के दिल की धड़कन की जांच करते हैं उस दौरान भी यदि शिशु की धड़कन अच्छे से महसूस नहीं होती है तो भी डॉक्टर दिल के विकास के लिए कुछ टेस्ट करवाते हैं जिससे बच्चे के दिल के विकास की पूरी जानकारी मिलती है।
बच्चे को पेट में दिल की बीमारी होने के कारण
गर्भ में शिशु को दिल की बिमारी होने के कई कारण होते हैं और इस वजह के कारण शिशु के दिल तक ब्लड फ्लो भी अच्छे से नहीं हो पाता है। तो आइये अब जानते हैं की गर्भ में शिशु को दिल की बीमारी होने के क्या कारण होते हैं।
नशीले पदार्थों का सेवन
गर्भावस्था के समय महिला को नशीले पदार्थों जैसे की धूम्रपान, शराब, व् अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है साथ ही ऐसी जगह पर न जाने की सलाह भी दी जाती है जहां पर इन चीजों का सेवन हो रहा होता है। लेकिन यदि महिला इन चीजों का सेवन करती है या ऐसी जगह पर जाती है जहां लोग धूम्रपान कर रहे होते हैं।
तो इनका बुरा असर न केवल गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक व् मानसिक विकास पर पड़ता है बल्कि इससे शिशु के अंग भी अच्छे से विकसित नहीं हो पाते हैं। और कुछ बच्चे इसके कारण गर्भ में ही दिल से जुडी बीमारी का शिकार भी हो जाते हैं।
अनुवांशिक कारण
यदि आपके परिवार में आपको या अन्य किसी सदस्य को या फिर आपके पहले बच्चे को भी पैदा होने से पहले यह समस्या थी। तो भी आपको इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
दवाइयों का सेवन
प्रेगनेंसी के समय किसी गलत दवाई का सेवन, आपको होने वाली किसी बीमारी की दवाइयों के सेवन के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी गर्भ में शिशु पर बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से पेट में बच्चे को दिल से जुडी बीमारी होने का खतरा भी होता है।
वायरल इन्फेक्शन
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में दिल का विकास हो जाता है और यदि इस दौरान महिला को वायरल इन्फेक्शन या अन्य कोई इन्फेक्शन हो जाता है। तो इसका असर बच्चे के शुरूआती विकास पर पड़ सकता है। जिसकी वजह से आपके होने वाले शिशु को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
डिप्रेशन
प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही यदि कोई महिला डिप्रेशन का शिकार होती है तो इसकी वजह से भी गर्भ में शिशु का शुरूआती विकास प्रभावित हो सकता है। जिसके कारण बच्चे को गर्भ में ही दिल से जुडी बीमारी के होने का खतरा रहता है।
बच्चे के जन्म के बाद शिशु को दिल को बीमारी होने पर यह लक्षण होते हैं महसूस
यदि आपकी डिलीवरी हो गई है और आपके बच्चे को दिल की बीमारी है। तो आपके बच्चे में आपको कुछ लक्षण महसूस होते हैं जिन्हे आपको अनदेखा न करते हुए डॉक्टर से मिलना चाहिए। तो आइये अब जानते हैं की वो लक्षण कौन से हैं।
- सांस लेने में दिक्कत।
- जन्म के समय वजन में कमी।
- बच्चे के होंठ, हाथ, पैर, नाख़ून, स्किन आदि में नीलापन होना।
- शिशु का अच्छे से माँ का दूध नहीं पीना।
- बच्चे का विकास धीमा होना आदि।
तो यह है गर्भ में शिशु को दिल की बीमारी होने के कारण, ऐसे में गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान की जाने वाली इन गलतियों से बचना चाहिए। ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में कोई भी कमी नहीं आये। और गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से हो सके। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि माँ और बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।