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कहने को तो बरसात का मौसम सभी को खूब भाता है लेकिन इस दौरान होने वाली बीमारियां भी किसी से छुपी नहीं है। मच्छर हो या माखी किट पतंगे हो या अन्य छोटे जीव अक्सर इसी मौसम में अपने बिलो से बाहर निकलते है जिसके चलते हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
परन्तु इनमे से सबसे अधिक परेशानी की जड़ मच्छर ही होते है। क्योंकि केवल बरसात ही नहीं अपितु किसी भी मौसम में इन्हे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। और बरसात का मौसम शुरू होते इनकी तादाद बढ़ने लगती है। आस पास इक्कठा बारिश का पानी, उफनती नालियों का गन्दा पानी ये सभी इनके पनपने का कारण होते है।
अन्य ऋतुओं की तुलना में सबसे अधिक मच्छर बरसात के मौसम में ही पनपते है। प्रत्येक वर्ष कई हज़ारों लोग मच्छर के काटने की वजह से होने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि से अपनी जान गवां देते है। जिसका मुख्य कारण साफ़ सफाई नहीं रखना और पूर्ण देखभाल नहीं करना होता है।
इसलिए सलाह दी जाती है की बरसात के मौसम में प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर के आस पास सफाई रखनी चाहिए और अपना ख़ास ख्याल रखना चाहिए। इसके अलावा भी कुछ जरुरी बातें है जिन्हे ध्यान में रखकर आप इन मच्छरों से बच सकते है। तो आइये जानते है बरसात के मौसम में मच्छरों के काटने से कौन-कौन सी बीमारियां होती है? और इनसे कैसे बचा जा सकता है?
बरसात के मौसम में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां :-
1. मलेरिया :
मलेरिया, मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है। सर्दी लगना उसके बाद तेज बुखार आना, फिर गर्मी लगाना, पसीने के साथ बुखार उतरना, उलटी, सिर दर्द और खून की कमी आदि इस बुखार के मुख्य लक्षण है। कभी-कभी इसके लक्षण 49 से 72 घंटे के भींतर दोबारा दिखाई देते है।
मलेरिया के लक्षण :
- तेज बुखार
- ठंड और कंपकंपी
- मांसपेशियों में दर्द
- थकान
- जी मचलना
- उलटी और दस्त आदि इस बुखार के लक्षण है।
उपचार में बरतने वाले सावधानियां :
किसी भी संक्रमित मच्छर के काटने से व्यक्ति में मलेरिया के रोगाणु आ सकते है। तो अगर मलेरिया हो तो तुरंत इलाज करवाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखे की मलेरिया के मच्चर के काटने के 1 से 4 हफ्ते बाद बिमारी के लक्षण नजर आ सकते है। सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों से ही दवाएं लें नकली दवाओं से सावधान रहें। बच्चों और गर्भवती महिलाओं की स्थिति में जल्द से जल्द इलाज करवाएं अन्यथा जान जाने का खतरा भी बना रहता है।
यह पढ़े : मलेरिया के बचने और उसके उपचार के तरीके
2. डेंगू :
डेंगू, एक प्रकार के वायरस से होने वाला रोग है जो की संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इस रोग में तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, जी मचलना, उलटी, दस्त और त्वचा पर लाल दाने हो जाते है। ये दुनिया में पाए जाने वाले सबसे खतरनाल वायरल रोगों में से एक है। क्योंकि केवल एक अकेला संक्रमित मच्छर अनेक लोगों को डेंगू से ग्रसित कर सकता है। इस रोग में व्यक्ति की प्लेटलेट्स में काफी तेजी से गिरावट आदि है। और यदि समय पर सही उपचार न मिले तो व्यक्ति मृत या कोमा में जा सकता है। इसीलिए अगर 2-3 दिन से लगातार बुखार आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाए।
डेंगू के लक्षण :
- तेज बुखार
- माँसपेशियपोन एवं जोड़ों में असहनीय दर्द
- सिर दर्द
- आँखों के पीछे दर्द
- जी मचलना
- उल्टियां
- दस्त
- त्वचा पर लाल रंग के दाने होना आदि डेंगू बुखार के मुख्य लक्षण है।
उपचार में बरतने वाली सावधानियां :
डेंगू के बुखार के लिए कोई खास उपचार नहीं है इसलिए केवल लक्षणों के आधार पर ही इसका उपचार किया जाता है। डेंगू के इन्फेक्शन की जाँच ब्लड टेस्ट द्वारा की जाती है। इससे बचने के लिए कोई विशेष उपचार तो नहीं है लेकिन डॉक्टर अधिक आराम और पेय पदार्थों का सेवन करने की सलाह देते है जिससे बॉडी में नमी बनी रहे।
डेंगू के बाद कैसे बढ़ाएं प्लेटलेट्स :
- गिलोय को मेटाबोलिक रेट बढ़ाने और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने व् शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। आप चाहे तो इसके साथ तुलसी के पत्तों का प्रयोग भी कर सकते है।
- पपीते के पत्ते प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करते है।
- मेथी के पत्ते भी बुखार को कम करने में सहायक है।
- तुलसी के पत्ते और काली मिर्च को पानी में उबालकर पीने से लाभ मिलता है।
- नीम, पीपली, गेहूं के ज्वारों का रस, आंवला और ग्वारपाठे का जूस भी डेंगू के उपचर में उपयोगी है।
डेंगू के पूर्ण उपचार के बारे में जानने के लिए इसे पढ़े : डेंगू बुखार का इलाज !
3. चिकनगुनिया :
चिकनगुनिया, उन वायरल बुखारों में से एक है जो कभी कभी महामारी का रूप भी ले लेता है। इस बुखार में व्यक्ति के जोड़ों में बहुत अधिक दर्द होता है जिसकी वजह से व्यक्ति झुकी हुई मुद्रा में रहता है। यह एक एडीज मच्छर एड्र्जिप्ती के कारण होता है जो विशेषकर दिन में काटता है। इसके लक्षण कुछ कुछ डेंगू बुखार के जैसे ही होते है।
चिकनगुनिया के लक्षण :
- शरीर में वायरस के पूरी तरह फ़ैल जाने पर जोड़ों में तेज दर्द शुरू हो जाता है।
- आमतौर पर बीमारी के 2 से 5 दिन के भीतर धब्बेदार दाने दिखने लगते है।
- कुछ रोगियों की आँखों में संक्रमण होता है साथ ही आँखों से थोड़ा सा खून का रिसाव भी होने लगता है।
चिकनगुनिया का बचाव कैसे करें?
डेंगू की ही भांति इस बुखार का भी कोई ठोस इलाज नहीं है। इसलिए डॉक्टर जागरूक और सतर्क रहने की सलाह देते है। चिकनगुनिया में जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है जिसके लिए डॉक्टर दर्द निवारक और बुखार रोधी दवाएं देते है। संक्रमित व्यक्ति से बहुत अधिक लोगों को मिलने नहीं दिया जाता और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
चिकनगुनिया बुखार का इलाज जानने के लिए इसे पढ़े : चिकनगुनिया से कैसे बचें?
मच्छरों से होने वाली बिमारियों से बचने के उपाय :
- मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- घर के अंदर मच्छर मारने वाले दवा छिडके।
- घर के दरवाजो और खिडकियों पर जाली लगवाये।
- हल्के रंग के कपड़े पहने ,जिनसे आपका शरीर पुरी तरह ढका हो।
- दीवारों-दरवाजो और खिडकियों की दरारों को भर दे।
- शाम होते ही घर की खिडकियों को बंद कर ले।
- अपनी सेहत बनाये रखने के लिए मौसमी फलो का सेवन करे लेकिन सलाद और कच्ची सब्जिया ना खाए।
- बच्चो को घर के अंदर ही खेलने दे।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय एवं शाम को घर के अंदर रहे क्योंकि मच्छर इस वक्त ज्यादा सक्रिय होते है।
- ऐसी जगह पर न जाए, जहां झाडिया हो क्योंकि वहा पर बहुत मच्छर होते है।
- अपने घर और आसपास की सफाई का विशेष ध्यान दे।
- आसपास गन्दगी बिलकुल ना होने दे।
- कूलर और फ्रिज का पानी नियमित रूप से बदले और घर के आसपास पानी जमा ना होने दे।
- बारिश का पानी निकलने वाली नालियों , पुराने टायरो ,बाल्टियो , प्लास्टिक कवर ,खिलौनों और अन्य जगह पर पानी बिलकुल ना रुकने दे।