सिजेरियन डिलीवरी और नोर्मल डिलीवरी
गर्भ में शिशु को नौ महीने तक रखने के बाद डिलीवरी का समय पास आने पर गर्भवती महिला के मन में यही सवाल घूम रहा होता है की उसकी डिलीवरी नोर्मल होगी या सिजेरियन? ज्यादातर महिलाएं आज भी नोर्मल डिलीवरी ही चाहती हैं क्योंकि नोर्मल डिलीवरी के बाद महिला को जल्दी फिट होने के साथ शिशु के स्वस्थ जन्म लेने के चांस भी बढ़ जाते हैं, यानी की जन्म के समय शिशु को बीमारियां होने का खतरा कम होता है। जबकि कुछ महिलाएं दर्द से बचने के लिए, डॉक्टर की राय पर, शिशु की गर्भ में गलत स्थिति के कारण सिजेरियन डिलीवरी द्वारा शिशु को जन्म देती है, और सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को फिट होने के लिए नोर्मल से ज्यादा समय लगता है, साथ ही शिशु को भी जन्म के समस्या परेशानी होने के चांस बढ़ जाते हैं। महिला की नोर्मल डिलीवरी का न होना और सिजेरियन की मदद से शिशु को जन्म देने का कोई एक कारण नहीं होता है।
नोर्मल डिलीवरी न होने के कारण
महिला के चाहने पर भी कई बार ऐसी कुछ परिस्थितियां प्रेगनेंसी के दौरान आ जाती है जहां महिला को नोर्मल की जगह सिजेरियन डिलीवरी की मदद से शिशु को जन्म देना पड़ता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की महिला की नोर्मल डिलीवरी न होने के क्या क्या कारण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स
यदि गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक परेशानी अधिक रही है, या अन्य किसी शारीरिक समस्या के कारण प्रेगनेंसी में दिक्कत है तो ऐसे में डिलीवरी के दौरान कोई परेशानी न हो इससे बचने के लिए डॉक्टर महिला को सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।
ब्लड प्रैशर
ब्लड प्रैशर के घटने या बढ़ने के कारण गर्भवती महिला और गर्भ में शिशु दोनों को परेशानी का अनुभव हो सकता है। और यदि डिलीवरी के दौरान भी महिला को ब्लड प्रैशर से जुडी कोई समस्या हो तो ऐसे में भी नोर्मल डिलीवरी होने के चांस कम हो जाते हैं।
बच्चेदानी का मुँह
कई बार डिलीवरी की तारीख निकलने के बाद भी बच्चेदानी का मुँह नहीं खुल पाता है साथ ही महिला को प्रसव पीड़ा का भी कोई लक्षण महसूस नहीं होता है। ऐसे में गर्भ में शिशु को कोई खतरा न हो इससे बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी का सहारा लिया जाता है और महिला की नोर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती है।
खून
यदि डिलीवरी का समय पास आने पर प्राइवेट पार्ट से ब्लड का फ्लो ज्यादा होने लगता है तो इससे महिला को सेहत सम्बन्धी परेशानी हो सकती है ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए गर्भवती महिला को नोर्मल डिलीवरी होने के चांस कम हो जाते हैं, और महिला को जल्द से जल्द सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है।
महिला की हाइट
गर्भवती महिला की यदि हाइट कम होती है तो ऐसे में कूल्हे की हड्डी छोटी होने के कारण नोर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती है जिसके कारण गर्भवती महिला को ज्यादातर मामलों में सिजेरियन डिलीवरी की मदद से ही शिशु को जन्म देना पड़ सकता है। जिन महिलाओं का वजन भी बहुत ज्यादा होता है उनकी नोर्मल डिलीवरी होने के चांस भी बहुत कम होते हैं।
दर्द
कुछ महिला प्रसव पीड़ा को सहन करने की हिम्मत नहीं कर पाती है, ऐसे में वो अपनी मर्ज़ी से ही नोर्मल की जगह सिजेरियन डिलीवरी का चुनाव करती हैं।
गर्भ में शिशु की स्थिति
नोर्मल डिलीवरी के लिए गर्भ में शिशु की स्थिति का सही होना भी जरुरी होता है लेकिन कुछ मामलों में देखने को मिलता है की डिलीवरी का समय पास आने पर भी शिशु अपनी सही पोजीशन में नहीं आता है, शिशु गर्भ में उल्टी पोजीशन में होता है, कई शिशु की गर्भनाल उनके गले में लिपटी हुई होती है, बच्चा बहुत कमजोर होता है, बच्चे के दिल की धड़कन कम होने लगती है, ऐसे में इनमे से कोई भी स्थिति होने पर गर्भवती महिला को डॉक्टर्स तुरंत सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं क्योंकि ऐसी स्थितियों में नोर्मल डिलीवरी होने के कारण शिशु और महिला दोनों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
शिशु का गर्भ में मल
कई बार शिशु गर्भ में ही मल मूत्र कर देता हैं, जिसके कारण इसके शिशु के मुँह में जाने के कारण शिशु को बहुत ज्यादा खतरा हो सकता है। ऐसा होने पर भी डॉक्टर्स महिला को तुरंत सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह देते हैं।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से महिला की नोर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती है इसके अलावा यदि आप चाहती है की आपकी डिलीवरी नोर्मल हो तो इसके लिए प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य का बेहतर तरीके से ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको नोर्मल डिलीवरी होने में मदद मिल सके।