डिलीवरी से जुड़े टिप्स
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को जितना उत्साह होता है उतना ही महिला के मन में यह सोचकर घबराहट भी होती है की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी या सिजेरियन? डॉक्टर्स के अनुसार नोर्मल डिलीवरी के बाद महिला को जल्दी फिट होने में मदद मिलने के साथ जन्म के बाद शिशु को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी होने के चांस कम होते हैं। ज्यादातर गर्भवती महिलाएं भी यही चाहती हैं की उनकी डिलीवरी नोर्मल हो, लेकिन कुछ महिलाएं नोर्मल डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए या प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स आने के कारण महिला की डिलीवरी सिजेरियन हो सकती है। लेकिन सच तो यही है की नोर्मल डिलीवरी के दौरान चाहे कितना ही दर्द हो लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नोर्मल डिलीवरी ही बेहतर होती है। और यदि प्रेगनेंसी के दौरान यदि गर्भवती महिला कुछ आसान टिप्स का इस्तेमाल करती है तो इससे महिला की नोर्मल डिलीवरी होने के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है।
नोर्मल डिलीवरी के लिए टिप्स
यदि आप भी गर्भवती है और चाहती है की आपकी डिलीवरी नोर्मल हो, तो इसके लिए प्रेगनेंसी के दौरान आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए, खासकर प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में क्योंकि इस दौरान आप जितना स्वस्थ रहती हैं उतना ही ज्यादा नोर्मल डिलीवरी होने चांस बढ़ते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला को नोर्मल डिलीवरी के लिए प्रेगनेंसी के आखिरी दो महीनों में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइये विस्तार से जानते हैं।
वजन नियंत्रण
नोर्मल डिलीवरी के लिए वजन का कण्ट्रोल में रहना बहुत जरुरी होता है, गर्भवती महिला का वजन अधिक होना या कम होना दोनों ही डिलीवरी के दौरान परेशानी खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में महिला को अपने वजन को नियंत्रण में रखना चाहिए यदि वजन बहुत ज्यादा है तो उसे कण्ट्रोल में करने की कोशिश करनी चाहिए, जबकि यदि वजन कम है तो महिला को अपने खान पान में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिससे महिला का वजन सही हो सके।
खान पान का ध्यान
खान पान का अच्छे तरीके से यदि गर्भवती महिला ध्यान रखती है, समय पर अपने आहार का सेवन करती है, पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करती है, तो ऐसा करने से गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं। और शरीर में पोषक तत्व भरपूर होने के कारण गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है, जो नोर्मल डिलीवरी होने के चांस को बढ़ाने में मदद करता है, खासकर जिन चीजों का सेवन करने से महिला की नोर्मल डिलीवरी के चांस बढ़ाने में मदद मिलती है उनका सेवन गर्भवती महिला को जरूर करना चाहिए, जैसे की देसी घी, हरी सब्जियां, आदि।
व्यायाम व् योगासन
गर्भवती महिला यदि चाहती है की वह सामान्य प्रसव से शिशु को जन्म दे, तो इसके लिए बॉडी का एक्टिव रहना, ब्लड फ्लो का बॉडी में बेहतर तरीके से होना बहुत जरुरी होता है। और व्यायाम व् योगासन करने से बॉडी में ब्लड फ्लो को बेहतर तरीके से होने के साथ बॉडी फ्रैश व् रिलैक्स महसूस करती है, जिससे गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन व्यायाम करते समय एक बात का ध्यान रखें की बॉडी पर ज्यादा दबाव न डालें जिससे गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी तरह का नुकसान न हो।
तनाव
तनाव लेना प्रेगनेंसी के दौरान न केवल गर्भवती महिला बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही इसके कारण प्रेगनेंसी के दौरान महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है, और प्रेगनेंसी के दौरान जितना कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ती है उतना ही डिलीवरी के दौरान मुश्किलें आने के चांस भी बढ़ते हैं। ऐसे में नोर्मल डिलीवरी के चांस को बढ़ाने के लिए गर्भवती महिला को तनाव न लेते हुए प्रेगनेंसी में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए जिससे स्वास्थ्य को बेहतर रहने में मदद मिल सके, और नोर्मल डिलीवरी के चांस बढ़ सकें।
हाइड्रेट रहें
पानी की कमी के कारण प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला के साथ गर्भ में पल रहे शिशु की मुश्किलें भी बढ़ सकती है, ऐसे में नोर्मल डिलीवरी के चांस बढ़ाने के लिए गर्भवती महिला को खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। और इसके लिए गर्भवती महिला को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, और पानी के अलावा प्रेग्नेंट महिला नारियल पानी, घर में बने ताजे फलों के रस, आदि का सेवन कर सकती है।
पॉजिटिव रहें
नकारात्मक रहना भी प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला की मुश्किलों को बढ़ा सकता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान स्वस्थ रहने के लिए महिला का पॉजिटिव रहना भी बहुत जरुरी होता है। साथ ही यदि महिला नोर्मल डिलीवरी चाहती है तो इसके लिए गर्भवती महिला को अपने मन से नकारात्मकता को निकालकर पॉजिटिव रहना चाहिए, और महिला प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में जितना पॉजिटिव रहती है और डिलीवरी को लेकर अपने मन में आये प्रशनो के बारे में शेयर करती है, न की उनके कारण परेशान होती है। ऐसा करने से भी महिला को प्रसव को समझने में आसानी होती है जिससे नोर्मल डिलीवरी होने के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है।
भावनात्मक रूप से मजबूत रहे
प्रेग्नेंट महिला को डिलीवरी का समय पास आने पर अकेले नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इसके कारण महिला भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकती है। ऐसे में महिला को तनाव जैसी परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है, लेकिन यदि गर्भवती महिला अपनों के साथ रहती है तो इससे महिला को भावनात्मक रूप से मजबूत रहने में मदद मिलती है, और यही मजबूती डिलीवरी के दौरान आने वाली परेशानियों को कम करने में मदद करती है।
मालिश
गर्भावस्था के सातवें महीने के बाद महिला पेट के निचले हिस्से की मसाज करनी चाहिए इससे न केवल डिलीवरी में आसानी होती है, बल्कि महिला को तनाव जैसी परेशानी से निजात पाने में भी मदद मिलती है और ब्लड फ्लो भी बेहतर तरीके से होता है। साथ ही मालिश करते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए की आप ज्यादा दबाव न डालें।
तो यह हैं कुछ टिप्स जिनका ध्यान यदि गर्भवती महिला रखती है तो इससे नोर्मल डिलीवरी होने के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा महिला को डॉक्टर से भी राय लेते रहना चाहिए, साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह के दिक्कत के होने पर उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए और एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
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