शिशु का जन्म चाहे नौ महीने बाद होता है, लेकिन उसकी हरकते माँ के गर्भ में ही शुरू हो जाती है। किसी भी महिला के लिए माँ बनने का अनुभव सबसे ख़ास होता है। महिला गर्भावस्था के पूरे नौ महीने किसी न किसी बदलाव से गुजरती है। और डिलीवरी के बाद भी शिशु की हर नै हरकत उसके लिए एक नया अनुभव होती है। लेकिन माँ गर्भ में बच्चा जब मूवमेंट करता है तो उसे केवल एक माँ ही महसूस करती है। चाहे वो बच्चे का लात मरना हो या गर्भ में घूमना हो।
जो महिला पहली बार माँ बनती है उसे बच्चे की मूवमेंट का थोड़ा लेट अहसास होता है, लेकिन दूसरी बार माँ बनने वाली महिला को इसका आराम से पता चल जाता है। गर्भ में शिशु लगभग पांचवे महीने में मूव करना शुरू कर देता है। लेकिन शुरुआत में बच्चे के मूवमेंट कम होते है, जैसे जैसे शिशु का गर्भ में विकास होता है, तो आपको आराम से पता चल जाता है की आपका बच्चा मूव कर रहा है। तो आइये जानते है शिशु के गर्भ में मूवमेंट के बारे में कुछ बातें।
शिशु गर्भ में कबसे हरकत करनी शुरू करता है:-
गर्भ में पल रहा शिशु 16 हफ्तों के आस पास मूव करने लगता है, जिसका अहसास महिला को भी होता है। शुरुआत में शिशु कम घूमता है, लेकिन जैसे जैसे शिशु का विकास होता है, वैसे वैसे आप उसकी ज्यादा हरकतों का अनुभव करने लगती है। गर्भ में पल रहे शिशु की हरकत को केवल माँ ही अनुभव कर सकती है। और यदि बीस हफ्तों के बाद भी शिशु किसी तरह की कोई हरकत नहीं करता है तो आपको बिना देरी किए एक बार अपने डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
शिशु गर्भ में कौन कौन सी हरकते करता है:-
मुड़ने लगता है:-
गर्भ में पल रहा शिशु लगभग सात से आठ हफ्तों में ही मुड़ना, चौंकना, शुरू कर देता है, लेकिन अच्छे से विकास न होने के कारण आप इसे महसूस नहीं कर पाते है।
हिचकी लेता है:-
शिशु केवल जन्म के बाद ही नहीं बल्कि माँ के गर्भ में भी नौवे सप्ताह तक हिचकी लेना शुरू कर देता है। और जान शिशु गर्भ में थोड़ा बड़ा होता है तो उसकी हिचकी लेने पर आपको भी धक्के का अनुभव होता है।
आँखे घुमाता है:-
धीरे धीरे शिशु अपनी आँखे भी घुमाने लगता है, और लगभग चौहदवे हफ्ते में शिशु अपनी आँखों को घूमना शुरू कर देता है, और ऐसा आप अपने तीसरे महीने के अल्ट्रासाउंड के दौरान देख भी सकते है।
अंगड़ाई लेता है:-
शिशु भी माँ के गर्भ में आराम करता है, और इस आराम के बाद उसे भी अंगड़ाई आती है, जम्हाई आती है, और ऐसा शिशु ग्याहरवे हफ्ते के बाद ही शुरू कर देता है।
घूमने लगता है लात मारता है:-
लगभग बीस से चौबीस हफ्ते के बाद शिशु अधिक गतिशील होने लगता है, और गर्भ में जब वो कला बाज़िया करता है, लत मारता है, तो महिला को इसका अनुभव थोड़ी थोड़ी देर बाद होता रहता है, शुरुआत में कम और आठवे नौवे महीने में आपको इसका अनुभव और भी अधिक होने लगता है।
चौंकता है:-
माँ के गर्भ में भी शिशु बाहर की सभी बातों को सुन सकता है, तेज लाइट को महसूस करता है। इसके लिए आपने अभिमन्यु का नाम तो सुना ही होगा। इसीलिए कहा जाता है की शिशु के गर्भ में होने पर आपको अच्छा ही सोचना चाहिए, अच्छी चीजों में ध्यान लगाना चाहिए, तेज शोर और भीड़भाड़ में नहीं जाना चाहिए। क्योंकि इसके कारण कई बार बच्चा गहरा कर पेट में ज्यादा हलचल करने लगता है।
अपनी पोजीशन बदलता है:-
जैसे जैसे डिलीवरी का समय नजदीक आता है, तो इसे लेकर केवल माँ ही उत्साहित नहीं होती है, बल्कि शिशु भी बाहर आने के लिए बेसब्र रहता है। और अपनी पोजीशन भी बदलता है, आम तौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में शिशु का सर नीचे की तरफ और पैर ऊपर की तरफ होते है, जिससे वो बाहर आने के लिए तैयार होता है।
तो शिशु की मूवमेंट का हर महिला को ध्यान रखना चाहिए और साथ ही शिशु यदि लम्बे समय तक मूवमेंट न करें, तो इसे अनदेखा न करते हुए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ताकि किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। इसके अलावा आपको गर्भ में पल रहे शिशु के भरपूर विकास के लिए अपना दुगुना ध्यान रखना चाहिए, ताकि शिशु हष्ट पुष्ट, और बुद्धिमान हो।
शिशु गर्भ में कब हरकते करना शुरू करता है, पेट में बच्चे का मूवमेंट कब से शुरू होता है, गर्भ में शिशु का विकास, माँ के गर्भ में शिशु कौन से मूवमेंट करता है, infant movement, garbh me shishu kab se movement karna shuru karta hai