गर्भ में शिशु की हलचल
प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत सुखद पल होता है। गर्भधारण से लेकर डिलीवरी होने तक हर पल महिलाएं अपने आने वाले शिशु के बारे में सोचती रहती है। सबसे ज्यादा इन्तजार उन्हें अपने शिशु की पहली किक का होता है। सभी प्रेग्नेंट महिलाएं इस बात का बड़ी बेसब्री से इन्तजार करती हैं हैं की उनका नन्हा सा शिशु कब किक करेगा? क्यूंकि गर्भ में पल रहे शिशु की पहली हलचल महिला के लिए बहुत खास होती है। प्रेग्नेंसी के लगभग बीसवे सप्ताह के आस-पास शिशु गर्भ में हलचल करना शुरू कर देता है। और समय बढ़ने के साथ-साथ ये हलचल भी बढ़ने लगती है।
शिशु हमेशा गर्भ में मूव करते रहता है, अपने हाथ पैर चलाता है, और किक भी करता है। पर क्या आप जानती हैं किक करने के साथ-साथ शिशु और भी कई एक्टिविटी करता है। गर्भ में शिशु का दिल धड़कता है, शिशु हँसता है, रोता है, अंगड़ाई लेता है, अपना अगूंठा चूसता है, आपकी बातें सुनता है, सिर घुमाता है, बात करने पर किक करके जबाब भी देता है, अपनी पोजीशन बदलता है, डरता है, चौंकता है और थकता भी है।
जो शिशु जितना ज्यादा एक्टिव रहेगा वो उतना ज्यादा थकेगा। कुछ चीजें तो नार्मल होती हैं जिससे शिशु को थकान कम होती है, जैसे – अंगूठा चूसना, आंखे खोलना, आवाज सुनना, रियेक्ट करना। अब आप खुद ही सोचिये गर्भ में पल रहा नन्हा सा शिशु दिनभर इतनी सारी गतिविधियां करता है, तो एक समय आता है जब शिशु थक जाता है। सबसे ज्यादा थकान आपके कार्य पर निर्भर करती है।
अगर आप दिनभर बहुत ज्यादा काम करती हैं, कहीं बाहर घूमने जाती हैं या बहुत ज्यादा पैदल चलती हैं तो भी शिशु थक जाता है, यात्रा करती हैं, ज्यादा देर खड़ी रहकर बातें करती हैं तो शिशु ज्यादा थकान महसूस करता है। क्यूंकि आपके साथ शिशु का शारीरिक और मानसिक जुड़ाव है। आप थकावट महसूस करेंगी तो शिशु को भी थकान होगी। जब आपको ज्यादा थकान हो जाए तो समझिये शिशु भी थक गया है। और जब आप फ्रेश महसूस करती हैं तो समझ लीजिये आपका शिशु खुश है। अब आप इस बात को अच्छे से समझ गयी होंगी की शिशु को थकान कब होती है।