प्रेगनेंसी महिला के लिए बहुत ही नाजुक समय होता है साथ ही यह समय महिला के लिए उसकी जिंदगी का सबसे खास अनुभव भी होता है। साथ ही प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इस दौरान महिला अकेली नहीं होती है बल्कि गर्भ में पल रही नन्ही जान का शुरुआत से लेकर आखिर तक का विकास अपनी माँ पर ही निर्भर करता है। साथ ही इस दौरान महिला को इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए की महिला किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करें जिससे महिला या शिशु दोनों को किसी भी तरह की दिक्कत हो। तो आज इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी के 4 से 6 महीने यानी की प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए उस बारे में बताने जा रहे हैं।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शिशु का विकास
प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में गर्भ मे शिशु के अंग लगभग बन चुके होते हैं अब वो अंग धीरे धीरे काम करना शुरू करना शुरू करते हैं। साथ ही चौथे महीने के आखिर या फिर पांचवें महीने की शुरुआत तक गर्भ में शिशु हलचल करना भी शुरू कर देता हैं।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
प्रेग्नेंट महिला को वैसे तो प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने में सावधानियां बरतनी चाहिए। लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला को कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
समय से करवाएं जांच
प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला को अल्ट्रासॉउन्ड करवाना होता है ऐसे में महिला को अल्ट्रासॉउन्ड समय से करवाना चाहिए ताकि किसी भी तरह की दिक्कत हो या शिशु पूरी तरह स्वस्थ हो उसकी जानकारी आपको मिल सके। इसके अलावा जो भी मल्टीविटामिन लेने की सलाह आपको डॉक्टर देते हैं आपको उनका सेवन समय से करना चाहिए।
डाइट नहीं करें
दूसरी तिमाही में गर्भ में शिशु का विकास बढ़ने लगता है जिसके कारण महिला के वजन में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में महिला को बढ़ते वजन की चिंता को लेकर डाइट नहीं करनी चाहिए यानी की महिला को खाना पीना नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि इसके कारण माँ और बच्चे दोनों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
घर में उन कामों को नहीं करें जिसे करने से आपको दिक्कत हो
गर्भवती महिला को घर के उन कामों को करने से बचना चाहिए जिनकी वजह से महिला को दिक्कत हो सकती है। जैसे की महिला को गैस के पास ज्यादा देर खड़े रहककर काम नहीं करना चाहिए, टॉयलेट या टाइल साफ़ करने वाले कामों को करने से बचना चाहिए, शेल्फ से ज्यादा सटकर काम नहीं करना चाहिए, ज्यादा देर एक ही जगह पर खड़े रहकर काम करने से बचना चाहिए, आदि।
नींद में लापरवाही नहीं करें
प्रेग्नेंट महिला को दूसरी तिमाही में अपनी नींद भरपूर लेनी चाहिए रात भर में आठ घंटे सोने के साथ दिनभर में भी थोड़ा आराम करना चाहिए। क्योंकि यदि महिला भरपूर आराम नहीं करती है तो इसकी वजह से महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ने के साथ तनाव होने का खतरा भी रहता है।
बाहर के खाने से परहेज रखें
गर्भवती महिला को ज्यादा तेलीय मसालेदार आहार, जंक फ़ूड आदि का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इस दौरान गर्भ में शिशु का विकास बढ़ रहा होता है ऐसे में यदि महिला जंक फ़ूड का सेवन करती है तो इससे महिला को पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। और जब महिला को पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो गर्भ में पल रहे शिशु को पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। ऐसे में जब शिशु को पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो इसकी वजह से शिशु के विकास में कमी आने का खतरा रहता है।
नशे से दूर रहें
प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला को किसी भी तरह के नशे जैसे की धूम्रपान, अल्कोहल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही ऐसी किसी जगह पर जाने से भी बचना चाहिए जहां पर कोई इसका सेवन कर रहा होता है।
प्रदूषण वाली जगह पर नहीं जाएँ
गर्भवती महिला को किसी ऐसी जगह पर जाने से बचना चाहिए जहां पर ज्यादा भीड़भाड़ हो या फिर प्रदूषण हो क्योंकि इसके कारण महिला और शिशु दोनों के संक्रमित होने का खतरा रहता है।
साफ़ सफाई का ध्यान रखें
गर्भवती महिला को साफ़ सफाई का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए क्योंकि साफ़ सफाई का ध्यान नहीं रखने के कारण महिला को संक्रमण होने का खतरा रहता है। और महिला को संक्रमण होने के कारण शिशु को संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
शोर शराबे से बचें
गर्भवती महिला को ज्यादा तेज आवाज़ वाली जगह पर भी नहीं जाना चाहिए। क्योंकि गर्भ में ही शिशु की सुनने की क्षमता का विकास होने लगता है। ऐसे में यदि महिला ज्यादा तेज आवाज़ वाली जगह पर जाती है तो इसके कारण शिशु के सुनने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
आरामदायक कपडे पहनें
गर्भवती महिला को आरामदायक कपडे पहनने चाहिए जिससे महिला के पेट पर दबाव नहीं पड़े, महिला को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, ज्यादा चुभने वाले और भारी कपडे नहीं पहनें, आदि।
ज्यादा ऊँचें जूते चप्पल पहनने से बचें
गर्भवती महिला को ज्यादा ऊँचें जूते चप्पल पहनने से बचना चाहिए क्योंकि इनके कारण महिला के गिरने का खतरा होता है। और यदि महिला कभी गिर जाती है तो इसके कारण महिला को चोट लग सकती है जिसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है।
तो यह हैं कुछ सावधानियां जो प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला को बरतनी चाहिए। यदि महिला इन छोटे छोटे टिप्स का ध्यान प्रेगनेंसी के दौरान रखती है तो इससे महिला को स्वस्थ रहने और गर्भ में शिशु के बेहतर विकास होने में मदद मिलती है।
Precautions during second trimester of pregnancy