प्रेगनेंसी का दूसरा महीना
दूसरे महीने में पीरियड्स मिस होना प्रेगनेंसी का खास लक्षण होता है। अगर आपको पीरियड्स नहीं आएं हैं तो पीरियड्स मिस होने की डेट के दस दिन बाद आप प्रेगनेंसी टेस्ट किट की मदद से घर पर टेस्ट कर सकती हैं की गर्भधारण हुआ या नहीं। टेस्ट किट के इस्तेमाल की पूरी प्रक्रिया प्रेगनेंसी टेस्ट किट के पैकेट पर दी होती है। सही परिणाम के लिए सुबह का सबसे पहले यूरिन से टेस्ट करना सबसे होता है क्योंकि इस समय शरीर में HCG हॉर्मोन का लेवल ज्यादा होता है जिसके कारण सही परिणाम आने के चांस बढ़ जाते हैं। अगर आपका टेस्ट पॉजिटिव आता है तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के लक्षण
- मॉर्निंग सिकनेस की समस्या।
- पाचन क्रिया सम्बंधित परेशानी जैसे की कब्ज़, एसिडिटी, सीने में जलन महसूस होना, आदि।
- बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना।
- बॉडी में हार्मोनल बदलाव के कारण इस दौरान कुछ महिलाएं चीजों की गंध से भी परेशान हो सकती है।
- उल्टी, जी मिचलाना की समस्या।
- पेट में हल्का दर्द
- कुछ महिलाओं को पीरियड्स की तारीख के आस पास खून की हल्के धब्बे भी लग सकते हैं, लेकिन इसे अनदेखा न करें।
- भूख अधिक लगना या भूख में कमी आना भी प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के लक्षणों में से ही एक है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शिशु का विकास
गर्भवस्था के दूसरे महीने में शिशु का दिल धड़कने लगता है, मस्तिष्क का निर्माण होना शुरू हो जाता है, लिवर, कान, हाथ, होंठ, आँखे, सिर, रीढ़ की हड्डी, तंत्रिका तंत्र की आकृतियां बनना शुरू हो जाती हैं। इस समय भ्रूण की लम्बाई लगभग एक इंच तक हो जाती है।
गर्भवस्था के दूसरे महीने में शिशु का वजन
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में शिशु का वजन लगभग 14 ग्राम तक हो सकता है, लेकिन इसके बाद महीने दर महीने शिशु का विकास तेजी से बढ़ने लगता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
इस दौरान खान पान को समय से लेने, और आहार में भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों को शामिल करने से गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने में मदद मिलने साथ शिशु के विकास को भी तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या खाना चाहिए?
फोलेट: फोलेट का सेवन गर्भवती महिला को जरूर करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को तेजी से होने में मदद मिलने साथ बीमारियों से सुरक्षित रखने में भी मदद मिलती है। और फोलेट के लिए महिला बीन्स, राजमा, छोले, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, आदि का भरपूर सेवन कर सकती है।
आयरन और फोलिक एसिड: आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर चीजों को भी महिला को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। और इससे बॉडी में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बनाये रखने में मदद मिलती है जिससे गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ गर्भ में शिशु के बेहतर विकास में भी मदद मिलती है। और इसके लिए महिला को पालक, चुकंदर, ब्रोकली, अनार, गाजर, टमाटर, एवोकाडो, बीन्स, दालें, आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए।
एनर्जी: बॉडी में हार्मोनल बदलाव होने के कारण इस दौरान महिला को कमजोरी व् थकान की समस्या हो सकती है ऐसे में महिला को अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए, जिससे महिला को भरपूर एनर्जी मिल सके। और इसके लिए महिला आलू, उबले अंडे, फलों का रस, केला, आदि का सेवन कर सकती है।
कैल्शियम: कैल्शियम का भरपूर सेवन महिला को हड्डियों को मजबूती देने के साथ गर्भ में शिशु की हड्डियों के बेहतर विकास में भी मदद करता है ऐसे में महिला को कैल्शियम युक्त आहार का भी भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। और इसके लिए महिला दूध व् दूध से बनी चीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकती है।
दालें: प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, जैसे मिनरल्स से भरपूर दालों का सेवन भी गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में जरूर करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या नहीं खाना चाहिए?
क्रीम वाला दूध: क्रीम से बने दूध व् उस दूध से बनी चीजों को खाने के लिए गर्भवती महिला को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए क्योंकि इसके कारण गर्भपात व् समयपूर्व प्रसव का खतरा बना रहता है।
कच्चा मांस व् कच्चे अंडे: कच्चे मांस व् कच्चे या अधपके अंडे का सेवन भी प्रेगनेंसी के दूसरे महिला ने करने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद बैक्टेरिया गर्भवती महिला और गर्भ में शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
अल्कोहल: इस दौरान महिला को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान शिशु के दिमाग का विकास होता है। और किसी भी तरह का नशा गर्भवती महिला और गर्भ में शिशु के विकास में समस्या खड़ी कर सकता है।
मर्क्युरी युक्त मछली: समुद्री मछलियां जिनमे मर्करी की मात्रा अधिक होती है उसे खाने से बचें। क्योंकि मर्क्युरी की अधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को बाधित कर सकती है साथ ही इसके कारण गर्भपात का खतरा भी बना रहता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या करें क्या नहीं
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को खान पान के साथ हर एक छोटी से छोटी बात का ध्यान रखना चाहिए। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की दूसरे महीने में प्रेग्नेंट महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में क्या करना चाहिए
- प्रेगनेंसी कन्फर्म होते ही सबसे पहले आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए, और अपनी जांच करवानी चाहिए। ताकि प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही सही ट्रीटमेंट शुरू हो सके और आपको किसी भी तरह की परेशानी न हो।
- मैडिटेशन करें, क्योंकि इससे आपको शांत रहने में मदद मिलती है जिससे तनाव जैसी समस्या से आराम मिलता है।
- प्रेगनेंसी में होने वाली किसी भी परेशानी के कारण असहज महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से बात करें।
- डॉक्टर द्वारा बतानी गई सभी दवाइयों का सेवन समय से करें और किसी भी दवाई को डॉक्टर से बिना पूछें न लें।
- खान पान, सोने का, उठने बैठने का अच्छे से ध्यान रखें।
- तरल पदार्थ जैसे की पानी, नारियल पानी, निम्बू पानी, फलों का रस का भरपूर सेवन करें क्योंकि बॉडी का हाइड्रेट रहना बहुत जरुरी होता है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या न करें
- इस दौरान खाली पेट नहीं रहना चाहिए क्योंकि इसके कारण सिर में दर्द, चक्कर, जी मिचलाना, जैसी समस्या हो सकती है।
- जंक फ़ूड, ज्यादा मसालेदार पदार्थ, चाइनीज़ फ़ूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- सीढ़ियां नहीं चढ़नी चाहिए।
- ज्यादा तेज वॉक नहीं करनी चाहिए।
- यात्रा नहीं करनी चाहिए।
- ज्यादा देर खड़े रहकर काम करने से बचना चाहिए।
- पेट पर दबाव पड़ने वाले या पेट पर जोर पड़ने वाले काम को करने से बचना चाहिए।
तो यह है प्रेगनेंसी के दूसरे महीने की पूरी जानकारी, ऐसे में यदि आप भी गर्भवती है तो आपको भी इन सभी बातों का प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। ताकि गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचे रहने के साथ गर्भ में शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके।