पांचवे महीने में शिशु का विकास, गर्भ में शिशु का विकास, पांचवे महीने में गर्भवती महिला में बदलाव, गर्भावस्था का पांचवा महीना, प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में चैंजेस, Changes in Fifth Month of Pregnancy, Baby Development in Fifth Month, Changes in Pregnant Women after Five month pregnancy, Fifth Month, Five Month Baby Developement

गर्भवती महिलाओं के लिए पांचवा महीना बहुत खास होता है क्यूंकि इस महीने से महिलाएं कई तरह के नए-नए अनुभवों को महसूस करती हैं। इस महीने से शिशु और माँ का संबंध और गहरा होने लगता है। गर्भधारण के पांचवे महीने में गर्भ के भीतर शिशु का विकास किस तरह होता है और गर्भवती महिला में क्या-क्या परिवर्तन आते हैं उस बारे में बता रहे हैं।

गर्भावस्था का पांचवा महीना और शिशु में विकास

गर्भावस्था के पांचवे महीने से गर्भवती महिला का शिशु के साथ संबंध और भी प्रगाढ़ हो जाता है। भावनात्मक लगाव भी बढ़ जाता है। शिशु गर्भ के भीतर मूवमेंट शुरू कर देता है जिसे अब आप अपने पेट पर हाथ रखकर महसूस कर सकती हैं। पांचवे महीने से शिशु भी गर्भ से बाहर की आवाजें सुनने लगता है और माँ के पेट सहलाने पर प्रतिक्रया भी देने लगता है।

पांचवे महीने में शिशु का कंकाल तंत्र पहले से ज्यादा मजबूत हो जाता है, शिशु की हड्डियों में मजबूती आने लगती है, नसों के चारो ओर एक सुरक्षात्मक कवच बन जाता है। पांचवे महीने में शिशु अपने हाथ-पैरों को हिलाने लगता है और किक भी करने लगता है।

गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु की पांचों इन्द्रियों का विकास हो जाता है जैसे गंध, द्रष्टि, स्पर्श, स्वाद और सुनना। इस महीने से शिशु गर्भ से बाहर की आवाजें सुनने लगता है और माँ की भावनाओं को महसूस भी करने लगता है।

गर्भावस्था के पांचवे महीने में गर्भवती महिला के शरीर में बदलाव

प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में गर्भवती महिला के शरीर में भी कई बदलाव होते हैं। पांचवे महीने से गर्भवती महिला के पेट का आकार बढ़ने लगता है जिसके कारण पेट और उसके आस-पास की मांसपेशियों पर खिंचाव महसूस होता है।

पेट का आकार बढ़ने के कारण कई बार महिला के पेट के निचले हिस्से और कमर में दर्द होता है। पांचवे महीने तक गर्भवती महिला के स्तनों में दूध का उत्पादन करने वाली ग्रंथियों का विकास होना शुरू हो जाता है जिसके कारण स्तनों में भारीपन आ जाता है।

पांचवे महीने से गर्भवती महिला का वजन बढ़ने लगता है जिसके कारण पैरों में सूजन आ जाती है। पांचवे महीने से गर्भ में शिशु का विकास तेजी से होने लगता है जिसके चलते गर्भवती महिला की भूख भी बढ़ने लगती है। कई बार महिलाओं को कुछ विशेष चीज खाने की तीव्र इच्छा होती है।

हार्मोनल चैंजेस के चलते गर्भवती महिला के शरीर में मेलेनिन का उत्पादन बढ़ने लगता है जिसके कारण त्वचा के कई हिस्सों में कालापन आने लगता है। इस महीने से महिला की नाभि से निचले हिस्से तक एक डार्क लाइन भी दिखने लगती है। हार्मोनल बदलावों के चलते कुछ महिलाओं की आँखों की रौशनी पर भी प्रभाव पड़ता है। पेट पर कुछ स्ट्रेच मार्क्स दिख सकते हैं।

कुछ महिलाओं को इस महीने से कब्ज की समस्या भी रहती है। इसलिए पांचवे महीने से गर्भवती महिला को अपना और भी ज्यादा खास ख्याल रखना चाहिए। डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराते रहना चाहिए। क्यूंकि इस महीने से शिशु का वजन बढ़ने लगता है और उसके शारीरिक अंगों का विकास भी तेजी से होता है। ऐसे में लापरवाही करना ठीक नहीं।

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