प्रेगनेंसी के पहले महीने के लक्षण, प्रेगनेंसी के पहले महीने में शिशु का विकास, गर्भावस्था का पहला महीना, प्रेगनेंसी के पहले महीने में बॉडी में क्या क्या बदलाव आते हैं, महिला गर्भवती कैसे होती है, प्रेगनेंसी कैसे होती है

प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत ही खास और अनोखा अनुभव होता है, क्योकि महिला अपने गर्भ में एक नहीं सी जान को रखकर उसे जन्म देने का सौभाग्य पाती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने, महिला के लिए बहुत खास होते हैं। और इस दौरान महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन उसके बाद भी महिला यह जानने के लिए उत्सुक रहती है की गर्भ में शिशु का विकास कैसे हो रहा है। तो आइये आज हम आपके लिए इसी खास अनुभव को शेयर करने जा रहें हैं जिससे आपको पता चलता है की पहले महीने में प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं और इस दौरान शिशु का विकास कैसे होता है।

महिला का गर्भ कैसे ठहरता है?

जब महिला और पुरुष सम्बन्ध बनाते हैं, और दोनों सम्बन्ध बनाकर संतुष्ट हो जाते हैं, उसके बाद शुक्राणु निकलते हैं जो की प्रेगनेंसी के के लिए बहुत अहम होते हैं और साथ ही महिला के गर्भ ठहरने की प्रक्रिया निषेचन पर निर्भर करती है, यदि महिला का गर्भ ठहरता है तो फैलोपियन ट्यूब में महिला के गर्भ में रखे अंडे का निषेचन पुरुष के शुक्राणु द्वारा किया जाता है। ऐसे में महिला के गर्भ ठहरने के लिए बेहतर शुक्राणु का होना बहुत जरुरी होता है। और यदि निषेचन की प्रक्रिया बेहतर तरीके से हो जाती है तो महिला का गर्भ ठहर जाता है।

महिला के गर्भ ठहरने के लक्षण

पीरियड्स के खत्म होने के एक महीने तक महिला को यह पता नहीं चलता है की उसका गर्भ ठहर गया है। लेकिन यदि निषेचन हो जाता है तो उसी समय से बॉडी में बहुत से बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। जैसे की तेजी से हार्मोनल बदलाव होने के कारण सिर में दर्द, कमजोरी, वजन कम होना, उल्टी आदि का आना, कुछ खाने का मन न करना आदि लक्षण होते हैं जो महिला में प्रेग्नेंसी के पहले महीने में ही दिखाई देने लग जाते हैं।

गर्भावस्था के पहले महीने में शिशु का विकास

  • प्रेगनेंसी के पहले महीने महिला को खुद भी नहीं पता होता है की वो प्रेग्नेंट हैं, लेकिन महिला के पीरियड्स के आखिरी दिन से ही महिला का गर्भ ठहरने की तैयारी शुरू हो जाती है, क्योंकि अंडाशय में अंडे का निर्माण हो जाता है।
  • लेकिन यदि निषेचन की प्रक्रिया यानी महिला के गर्भ में रखे अंडे का पुरुष के शुक्राणु द्वारा निषेचन हो जाता है तो ऐसे में महिला का गर्भ ठहर जाता है।
  • और गर्भ ठहरते ही शिशु का विकास भी शुरू हो जाता है, ऐसे में सबसे पहले एमनियोटिक थैली का निर्माण होता है, जिसमे शिशु नौ महीने तक रहता है।
  • साथ ही इस समय प्लेसेंटा का भी निर्माण होता है यह एक गोल चपटी नाल होती है जो शिशु को महिला के साथ जोड़कर रखती है, और इसी के द्वारा शिशु तक आहार पहुँचाया जाता है, और शिशु इस के माध्यम से मल भी बाहर निकालता है।
  • पहले महीने में शिशु के अंगो का विकास होने लगता है इसमें शिशु की आँखे, मुँह, जबड़ा, गर्दन आदि सबसे पहले विकसित होने लगते हैं।
  • इसके अलावा शिशु की आंतरिक सरंचना भी शुरू हो जाती है जिसमे रक्त कोशिकाएं बनने लगती है, और उनमे रक्त का प्रवाह भी शुरू हो जाता है।
  • पहले महीने में शिशु का आकार बिल्कुल चावल के दाने जितना होता है, और उसके बाद जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है उसी अनुसार शिशु भी विकसित होने लगता है।

तो यह हैं प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास से जुडी कुछ बातें ऐसे में यदि आप एक महीने बाद पीरियड्स मिस होने के बाद टेस्ट करती है, और रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उसके बाद महिला को डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए ताकि शिशु का और बेहतर तरीके से विकास होने में मदद मिल सके।

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गर्भावस्था के पहले महीने में शिशु का विकास और गर्भवती महिला में क्या क्या बदलाव आते हैं?

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