गर्भावस्था का पहला महीना
प्रेगनेंसी के पहले महीने में तो महिला को पता ही नहीं होता की उनका गर्भ ठहर गया है या नहीं। क्योंकि प्रेग्नेंसी निषेचन पर निर्भर होती है। और यदि महिला के अंडे के साथ पुरुष के शुक्राणु का मिलन हो जाता हैं तो निषेचन हो जाता है। निषेचित होते ही अंडा फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में जाकर प्रत्यारोपित हो जाता है। जिसके बाद महिला की बॉडी में तेजी से हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं और यही बदलाव बताते हैं की गर्भधारण हो चुका है। गर्भधारण होने के बाद महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द, थकान, कमजोरी, उल्टी की समस्या, जी मिचलाना, वजन में कमी, ऐंठन, मूड स्विंग्स, बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना, खाने की पसंद में बदलाव, सिर में दर्द, हो सकता है। ये लक्षण महिलाओं को प्रेगनेंसी के पहले महीने में ही बॉडी में महसूस हो सकते हैं, और हर गर्भवती महिला के शरीर में महसूस होने वाले हार्मोनल बदलाव पूरी तरह से गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बदलाव पर निर्भर करते हैं।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में शिशु का विकास
निषेचन होने के बाद अंडा गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है। प्रत्यारोपण के बाद अंडा दो भागों में विभाजित हो जाता है। जिसमे से एक भाग प्लेसेंटा बनता है जिसकी मदद से पूरे नौ महीने शिशु को पोषण पहुंचाने में मदद मिलती है। और दूसरा भाग शिशु के रूप में विकसित होने लगता है। पहले महीने में केवल भ्रूण का प्रत्यारोपण होता है और भ्रूण के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को इम्प्लांटेशन के नाम से जाना जाता है। साथ ही शिशु का विकास दूसरे महीने से शुरू होता है।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में शिशु का वजन
इस दौरान शिशु के वजन के बारे में तो बताना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन पहले महीने के आखिर तक शिशु का आकार एक चावल के दाने से भी छोटा होता है।
पहले महीने में गर्भवती महिला का खान पान
यदि कोई महिला प्रेग्नेंट होने का प्रयास कर रही है या पहले महीने में महिला को अपनी बॉडी में में कुछ ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं की उसका गर्भ ठहर गया है तो ऐसे में गर्भवती महिला को अपने खान पान में बहुत सी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जैसे की किन चीजों का सेवन महिला को करना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, ताकि गर्भधारण में और गर्भावस्था में किसी भी तरह की समस्या न आ सके। तो लीजिये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला को क्या खाना चाहिए
आयरन: हरी सब्जियों जैसे की पालक, बथुआ, आदि, चुकंदर, गाजर, अनार, आदि में आयरन की मात्रा भरपूर होती है जो गर्भवती महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। साथ ही गर्भाशय में भ्रूण तक खून का प्रवाह बेहतर तरीके से होते है जिससे शिशु का विकास शुरुआत बेहतर तरीके से होता है।
दूध व् दूध से बनी चीजें: कैल्शियम व् प्रोटीन की मात्रा से भरपूर दूध व् दूध से बनी चीजों का सेवन गर्भवती महिला को भरपूर मात्रा में करना चाहिए, इससे हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। और दही का सेवन करने से महिला को पाचन सम्बन्धी समस्या से बचे रहने में मदद मिलती है।
सालमन मछली: पर्याप्त मात्रा में यदि कोई महिला सालमन मछली का सेवन करती है, तो यह भी पहले महीने में महिला के लिए बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन डी, कैल्शियम आदि भरपूर मात्रा में होते हैं।
फाइबर: बॉडी में हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला की पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है ऐसे में महिला को अपनी डाइट में फाइबर युक्त आहार का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। फाइबर युक्त आहार में महिला संतरे, नारियल, सेब, टमाटर, गाजर, मटर, बीन्स आदि का सेवन कर सकती है।
कार्बोहाइड्रेट्स: बॉडी में ऊर्जा को भरपूर रखने के लिए महिला को कार्बोहायड्रेट से युक्त चीजों का सेवन भी करना चाहिए। और इसके लिए महिला केला, साबुत अनाज, योगर्ट, आलू, कॉर्न्स, दूध आदि का भरपूर सेवन कर सकती है।
फोलेट: गर्भ में शिशु के बेहतर शारीरिक व् मानसिक विकास को बेहतर तरीके होने के लिए फोलेट युक्त चीजों को भी गर्भवती महिला को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। और फोलेट के लिए महिला हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे की ब्रोकली, पालक, संतरा, आदि का भरपूर सेवन कर सकती है।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या नहीं खाएं
पपीता व् अनानास: महिला को कच्चे पपीते व् अनानास का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनका अधिक सेवन करने से ब्लीडिंग की समस्या का खतरा रहता है।
कच्चा मांस व् कच्चे अंडे: कच्चा मांस व् कच्चे अंडे का सेवन महिला को नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पेट सम्बन्धी समस्या, इन्फेक्शन, गर्भपात जैसी समस्या का सामना महिला को करना पड़ सकता है।
क्रीम से बनी चीजें: क्रीम से बने दूध व् पनीर का सेवन भी महिला को करने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद बैक्टेरिया के कारण गर्भवती महिला को उल्टी, दस्त, गर्भपात, समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
कच्ची अंकुरित चीजें: प्रेगनेंसी के पहले महिला में महिला को कच्ची अंकुरित चीजों का सेवन करने से इसमें मौजूद बैक्टेरिया के कारण महिला को पेट में इन्फेक्शन की समस्या के साथ शिशु पर भी गलत असर पड़ सकता है।
गर्म तासीर की चीजें: जिन खान पान की चीजों की तासीर गर्म होती है उनका सेवन करने से भी महिला को बचना चाहिए क्योंकि ऐसी चीजों का सेवन करने से गर्भपात होने का खतरा रहता है।
मछली: पहले महीने में महिला को मर्क्युरी युक्त मछली का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात, ब्लीडिंग, शिशु की सेहत को नुकसान जैसी परेशानी हो सकती है।
बिना धुली सब्जियां व् फल: खाने के लिए इस्तेमाल में लाने से पहले सब्जियों व् फलों को अच्छे से धो लेना चाहिए, क्योंकि इनमे मौजूद कीटाणु के कारण भी महिला और शिशु की सेहत पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है।
कैफीन: अधिक मात्रा में कैफीन जैसे की चाय, कॉफ़ी का सेवन करने से भी महिला को बचना चाहिए, क्योंकि कैफीन का अधिक सेवन करने से भी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
नशे: धूम्रपान, अल्कोहल जैसे किसी भी तरह के नशे का सेवन भी महिला को नहीं करना चाहिए क्यूंकि ऐसा करना महिला की सेहत के साथ शिशु के विकास में भी बाधा डाल सकता है।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या करे और क्या नहीं?
महिला क्या करती है क्या नहीं इसका सीधा असर गर्भ में शिशु पर पड़ता है ऐसे में प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसका ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की महिला को प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या करना चाहिए
- अपने आहार को समय से लें और खाने में भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों को शामिल करें।
- तनाव न लें, और जितना हो सके खुश रहने की कोशिश करें।
- दिन में आठ से दस गिलास पानी का सेवन जरूर करें।
- भरपूर नींद लें, और जितना हो सके आराम करने की कोशिश करें।
- अपनी गलत आदतों को सुधारे जो प्रेगनेंसी के दौरान महिला या शिशु की सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
- प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी इककठी करें अन्य प्रेग्नेंट महिलाओं के अनुभव को जानने की कोशिश करें।
प्रेगनेंसी के दौरान क्या नहीं करना चाहिए
- यात्रा करने से बचना चाहिए।
- चहलकदमी भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दौरान अधिक चलना भी नुकसानदायक हो सकता है।
- तनाव नहीं लेना चाहिए।
- जिस काम को करने से पेट पर जोर पड़े वैसे किसी भी काम को नहीं करना चाहिए, ज्यादा झुकने, पैरों पर भार पड़ने वाले काम को भी नहीं करना चाहिए।
- किसी भी तरह की दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।
- डाइटिंग नहीं करनी चाहिए।
- गरम पानी से नहाना नहीं चाहिए।
- ज्यादा ऊँची हील वाली सैंडल या चप्पल, ज्यादा टाइट कपडे नहीं पहनने चाहिए।
तो यह हैं प्रेगनेंसी के पहले महीने से जुडी सम्पूर्ण जानकारी तो यदि आप भी माँ बनने की तैयारी कर रही है या आपको लगता है की आपका गर्भ ठहर गया है इन सभी बातों का ख्याल रखना चाहिए और बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। ताकि महिला के स्वास्थ्य को प्रेगनेंसी के दौरान बेहतर रहने के साथ शिशु का विकास भी बेहतर तरीके से होने में मदद मिल सके।