गर्भधारण (Pregnancy) का पता चलते ही महिला अपने आने वाले शिशु के लिए बहुत से सपने संजोने लग जाती है। प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने तक महिला हर दिन एक नया सपना देखती है। लेकिन आप यह तो जानते ही होंगे की कोई भी ख़ुशी पाने के लिए थोड़ा संघर्ष तो करना ही पड़ता है। ऐसे ही प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने महिला बहुत से परिवर्तन से गुजरती है जो की उसके शरीर में होते है। शरीर में हर समय हार्मोनल बदलाव होने के कारण कई बार महिलाओ को बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा महिला केवल शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी प्रभावित होती है। महिला को कई तरह की परेशानियां भी होती है जैसे की उल्टी आना, सर दर्द, पेट दर्द, शरीर में दर्द, मूड में बदलाव, गंध से एलर्जी, वजन का बढ़ना, स्किन में बदलाव आदि। इसके अलावा और भी बहुत से बदलाव होते है जो की प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में होते है। तो आइये अब हम आपको विस्तार से बताते हैं की प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर मैं कौन कौन से बदलाव आते है।
गर्भधारण के बाद शरीर में होने वाले बदलाव:-
वजन का घटना बढ़ना:-
प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनो में महिला का वजन कम हो जाता है। क्योंकि शुरुआत में बॉडी में बहुत से हार्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होते है। लेकिन चौथे महीने के बाद शिशु का विकास तेजी से होने लगता है जिसके कारण शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। और आखिरी के महीनो में यह और तेजी से होने लग जाता है।
स्किन में बदलाव:-
गर्भधारण के समय आपकी स्किन पर भी प्रभाव पड़ता है यह हर महिला में अलग अलग होता है। जैसे कई महिलाओ का रंग निखरने लगता है तो कुछ की स्किन डल हो जाती है। कई बार स्किन पर दाने, झुर्रिया आदि भी आने लग जाते है।
कमर दर्द:-
कमर दर्द की समस्या से प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती है। क्योंकि इस दौरान शरीर बिलकुल सीधा हो जाता है, और जैसे जैसे बॉडी का वजन बढ़ता है उससे रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है। साथ ही बॉडी का पूरा भर कमर की मांपेशियों पर आ जाता है जिसके कारण आपको कमर मैं दर्द होने लगता है।
पाचन क्रिया से सम्बंधित परेशानी:-
पेट में गैस, एसिडिटी, कब्ज़ आदि की परेशानी होना भी प्रेगनेंसी में स्वाभाविक बात होती है। क्योंकि शरीर में हो रहे बदलाव के कारण पाचन क्रिया पर भी फ़र्क़ पड़ता है। कई महिलाओं को हलके फुल्के पेट में दर्द की भी परेशानी रहती है।
बाल झड़ना:-
हार्मोनल बदलाव का असर आपके बालों पर भी पड़ता है। जिसके कारण प्रेगनेंसी के दौरान आपके बाल भी ज्यादा झड़ सकते है। और यह परेशानी डिलीवरी के बाद भी आपको ज्यादा परेशान कर सकती है।
पेट के आकार में बदलाव:-
नौ महीने शिशु माँ गर्भ में ही रहता है, जिसके कारण महिला के पेट का आकार बढ़ जाता है। और जैसे जैसे शिशु का वजन बढ़ने लगता है वैसे वैसे पेट का आकार एक थैले के जैसा हो जाता है। पेट के साथ कई महिलाओ के हिप्स का भी वजन बढ़ जाता है।
भावनाओ में बदलाव:-
माँ बनना किसी भी महिला के लिए एक सुखमयी अहसास होता है। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु के साथ माँ का भावनाओ का रिश्ता जुड़ जाता है। और जैसे जैसे प्रसव का समय पास आता है महिला मानसिक रूप से शिशु से जुड़ जाती है। और उसे मातृत्व का अहसास होता है। और शिशु के जन्म के बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है।
ब्रैस्ट में बदलाव:-
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के ब्रैस्ट का आकार भी बढ़ जाता है और शुरूआती दिनों में महिला के ब्रैस्ट से पानी भी आता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि शिशु के जन्म के बाद उसके भोजन यानी की माँ के दूध बनने की प्रक्रिया शुरू से ही शुरू हो जाती है। इसके कारण महिला को अपने ब्रैस्ट का वजन ज्यादा लगने लगता है। लेकिन जैसे ही शिशु ब्रेस्टफीड करना बंद करता है तो महिला के ब्रैस्ट वापिस शेपमे आ जाते है।
मानसिक रूप से परिवर्तन:-
तनाव प्रेगनेंसी में आपके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। लेकिन कई महिलाएं शरीर मैं तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण परेशान हो जाती है। जिसके कारण उन्हें सर दर्द, चक्कर, या कई बार बेहोश होने जैसी परेशानी भी होने लगती है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए प्रेगनेंसी के दौरान जितना हो सके महिला को खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए जिससे उसे प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
शरीर के अंगो में दर्द:-
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में दर्द होना आम बात होती है, क्योंकि हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर में कमजोरी आती है। जिसके कारण आपको बहुत जल्दी थकावट का अहसास होने लगता है। ऐसे में महिला को अपने आहार का खास ध्यान देना चाहिए ताकि उसकी बॉडी को ऊर्जा से भरपूर रहने में मदद मिल सकें और बॉडी में पेन से राहत मिल सकें।
नाख़ून में परिवर्तन:-
प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में सभी पोषक तत्वों का भरपूर होना बहुत जरुरी होता है। लेकिन कई बार महिलाओं में कैल्शियम की कमी होने के कारण प्रेगनेंसी में इसका असर आपके नाखुनो पर साफ़ दिखाई देता है। जाइए की नाखून डल होने लगते है, उसमे सफ़ेद रंग के निशान दिखाई देने लगते है, साथ ही दरारे पड़ने लगती है। ऐसे में महिला को कैल्शियम युक्त आहार जैसे की दूध व् दूध से बने प्रोडक्ट्स का खूब सेवन करना चाहिए।
बार बार यूरिन:-
मल पास करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान कई बार यह परेशानी ज्यादा हो जाती है जिसके कारण महिला को बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होती है। ऐसे में यदि आपको यह परेशानी ज्यादा हो तो इसके बारे में आपको डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।
स्किन पर निशान:-
त्वचा में खिंचाव वाले तंतु होते है, ऐसे में प्रेगनेंसी के दैरान बॉडी पार्ट्स में खिंचाव उत्त्पन्न होने के कारण शरीरके कई भागो में सफ़ेद या भूरे रंग के निशान दिखाई देने लगते है। ज्यादातर यह समस्या ब्रैस्ट, कूल्हे, जांघो, पेट पर दिखाई देती है। ऐसे में महिला को शुरुआत से ही बॉडी की देखभाल करनी चाहिए और इसके लिए आप ओलिव ऑयल या विटामिन इ ऑयल का इस्तेमाल कर सकते है।
प्राइवेट पार्ट से तरल पदार्थ का आना:-
महिला के प्राइवेट पार्ट से तरल पदार्थ का आना आम बात होती है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान इस तरल पदार्थ के आने के कारण बच्चेदानी के द्वार को चिकना करने में मदद मिलती है। जिससे की डिलीवरी के समय महिला को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती है। लेकिन कई बार यह समस्या बढ़ जाती है, और इस पदार्थ में से बदबू व् इसके रंग में परिवर्तन आने लगता है ऐसे में इसे नज़रअंदाज़ न करते हुए जितना जल्दी हो सकें आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि इससे इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली आम परेशानियां:-
- महिला को उल्टी, खट्टे डकार आदि की परेशानी हो सकती है।
- कई महिलाओ को स्मेल से एलर्जी होने लग जाती है।
- मूड में बदलाव आने लगता है।
- कुसग महिलाओ को प्रेगनेंसी के दौरान स्पॉटिंग की समस्या हो जाती है ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
- सोने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है, और जितना हो सके प्रेगनेंसी के दौरान महिला को साइड होकर सोना चाहिए। क्योंकि सीधे सोने के कारण पीठ में दर्द की परेशानी ज्यादा होती है।
- पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है।
- खाने को लेकर परेशानी हो सकती है, जाइए की कभी महिला का खट्टा तो कभी मीठा खाने का मन करता है।
तो प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे ही कुछ बदलाव महिला के शरीर में आते है। इसके अलावा महिला को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है लेकिन जैसे ही शिशु माँ की गोद में आता है वैसे ही महिला नौ महीने में होने वाली सभी परेशानियों को भूल जाती है। लेकिन कुछ भी हो माँ बनना किसी भी महिला के लिए एक खास अनुभव होता है।