गर्भावस्था के दौरान महिला हर छोटी से छोटी बात का अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि महिला द्वारा की गई छोटी सी लापरवाही केवल महिला पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता है बल्कि भ्रूण पर भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। इसीलिए प्रेग्नेंट महिला को कुछ भी करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए की जो वो कर रही है वो सही है या नहीं। जैसे की कुछ महिलाएं बालों में डाई लगाती है और प्रेगनेंसी के दौरान महिला को ऐसा करना चाहिए या नहीं सबसे पहले इसकी जानकारी होना बहुत जरुरी है।
प्रेगनेंसी में बालों में डाई लगाना चाहिए या नहीं?
डाई को बनाने के लिए बहुत से केमिकल जैसे की अमोनिया आदि का इस्तेमाल किया जाता है। और यह केमिकल प्रेगनेंसी के दौरान न केवल गर्भवती महिला पर बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी नकारात्मक असर डाल सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को जितना हो सके गर्भावस्था में स्वस्थ रहने के लिए और गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर विकास के लिए डाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तो आइये अब यह भी आपको बताते हैं की आखिर प्रेग्नेंट महिला को डाई का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए और प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल करने के क्या दुष्प्रभाव होते है।
प्रेगनेंसी में डाई लगाने के नुकसान
- बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेगनेंसी के दौरान स्किन थोड़ी सेंसिटिव हो जाती है। ऐसे में यदि महिला डाई का इस्तेमाल करती है तो इससे स्किन प्रभावित हो सकती है जिसके कारण स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है।
- डाई लगाने के कारण उसकी स्मैल में जब आप सांस लेते हैं तो वो स्मैल आपके शरीर में पहुँच सकती है, और उस स्मैल में हानिकारक कण यानी डाई में मौजूद केमिकल होते हैं। जो गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- ऐसा भी कहा जाता है की डाई लगाने से प्रेग्नेंट महिला की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ सकती है। और गर्भवती महिला की इम्युनिटी के कमजोर होने के कारण गर्भवती महिला और शिशु को संक्रमण होने का खतरा रहता है।
- डाई में मौजूद केमिकल का असर गर्भवती महिला की आँखों पर भी देखने को मिल सकता है जैसे की आँखों का लाल होना, आँखों में से आंसू आना, आँखों का कमजोर होना आदि।
- बालों के झड़ने जैसी परेशानी भी महिला को डाई का इस्तेमाल करने से अधिक हो सकती है।
प्रेगनेंसी में बालों में डाई नहीं तो क्या लगाएं?
गर्भावस्था के दौरान यदि आप अपने बालों में कलर करना चाहती है तो आपको प्राकृतिक तरीको का इस्तेमाल कर सकती है। जिससे न तो गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे शिशु को कोई नुकसान हो और साथ ही आपके बाल भी कलर हो जाएँ। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के दौरान बालों को कलर करने के लिए क्या- क्या करना चाहिए।
मेहँदी: बालों को कलर करने के लिए मेहँदी का इस्तेमाल करने एक बेहतरीन विकल्प है, इसे न तो गर्भवती महिला को किसी तरह का नुकसान होता है और न ही भ्रूण पर कोई बुरा असर पड़ता है। लेकिन कोशिश करते की सुबह के समय मेहँदी लगाएं और धो दें, क्योंकि शाम को थोड़ा मौसम ठंडा होने के कारण आपको दिक्कत हो सकती है। बालों को काला करने के लिए जहां आप हिना में दही और चायपत्ती का इस्तेमाल कर सकती हैं, वही बालों को भूरा करने के लिए आप हिना के साथ कॉफ़ी का इस्तेमाल कर सकती है।
कॉफ़ी: पांच छोटे पैकेट कॉफ़ी, आधा चुकंदर, आधा प्याज, एक गाजर, को पानी में एक साथ डालकर अच्छे से उबाल लें, उसके बाद इसे पीस लें। और ठंडा होने के बाद पेस्ट को बालों में लगाएं और सूखने के बाद बालों को अच्छे से धो लें, ऐसा करने से भी आपको अपने बालों के रंग को काला करने में मदद मिलती है। साथ ही इससे बाल सिल्की व् शाइनी भी हो जाते हैं। आप चाहे तो केवल कॉफ़ी में पानी को मिलाकर भी बालों में लगा सकती है इससे भी बालों के रंग में बदलाव आ सकता है।
तो यदि आप भी प्रेगनेंसी के दौरान हेयर कलर लगाने का सोच रही हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला और शिशु की स्वस्थता को प्राथमिकता देनी चाहिए, न की बालों के रंग को। यदि आप फिर भी बालों को कलर करना चाहती है तो प्राकृतिक तरीको से अपने बालों को कलर कर सकती हैं क्योंकि इससे प्रेग्नेंट महिला को शिशु को किसी भी नुकसान से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।