प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने महिला शरीर में बहुत से नए बदलाव, नए अनुभव का अहसास करती है। साथ ही इस दौरान महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में महिला को शरीर में होने वाले बदलाव, शारीरिक परेशानियों के कारण ज्यादा दिक्कत न हो इसके लिए महिला को अपने खान पान, अच्छे से आराम करने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं होता है की महिला केवल सारा दिन बेड पर लेटी रहें और कोई काम न करें।
बल्कि महिला को प्रेगनेंसी के दौरान फिट रहने के लिए थोड़ा बहुत काम करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसे महिला को एक्टिव रहने में मदद मिलती है। लेकिन यदि कोई प्रेग्नेंट महिला जरुरत से ज्यादा काम करने लग जाती है तो यह बिल्कुल सही नहीं होता है। और ज्यादा काम करने की वजह से माँ व् बच्चे दोनों को दिक्कत महसूस होती है। जैसे की:
थकान व् कमजोरी
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिला को बहुत जल्दी थकान व् कमजोरी की समस्या होती है। ऐसे में महिला यदि जरुरत से ज्यादा काम करने लगती है तो इसके कारण महिला की यह दिक्कत बढ़ सकती है। और थकान व् कमजोरी की समस्या अधिक होने पर बॉडी पेन, सिर दर्द, जोड़ो में दर्द आदि की समस्या का सामना भी महिला को ज्यादा करना पड़ता है।
सांस फूलने की समस्या
वजन बढ़ने के कारण कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान सांस फूलने की परेशानी हो जाती है। लेकिन यदि गर्भवती महिला जरुरत से ज्यादा काम करती है तो महिला को इस परेशानी का अधिक सामना करना पड़ता है।
ब्लीडिंग का खतरा
ज्यादा काम करने के कारण महिला को ब्लीडिंग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर जब महिला कोई ऐसा काम कर रही हो जिसकी वजह से पेट पर दबाव पड़ रहा हो, महिला भारी सामान उठाने वाला काम कर रही हो, आदि। और पहली तिमाही में जरुरत से ज्यादा काम करने पर ब्लीडिंग की समस्या यदि अधिक हो जाती है तो इसकी वजह से गर्भपात हो जाता है।
समय से पहले प्रसव
प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में महिला को यदि जरुरत से ज्यादा काम करती है। तो इसके कारण पेट पर जोर पड़ सकता है, गर्भाशय में संकुचन अधिक हो सकता है, जिसकी वजह से समय से पहले डिलीवरी होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
बच्चे को दिक्कत होने की समस्या
आपने यह तो सुना ही होगा गर्भ में पल रहा बच्चा पूरी तरह से अपनी माँ पर ही निर्भर करता है। वैसे ही जब महिला जरुरत से ज्यादा काम करती है तो महिला को थकान, कमजोरी, तनाव आदि महसूस होता है तो इसका असर गर्भ में शिशु पर भी पड़ता है। जिसके कारण माँ के पेट में शिशु दिक्कत महसूस कर सकता है।
नींद में कमी
गर्भावस्था के दौरान महिला को बॉडी में हार्मोनल बदलाव, वजन बढ़ने के कारण वैसे भी नींद लेने में परेशानी हो जाती है। ऐसे में यदि महिला ज्यादा काम करती है तो इसके कारण महिला को थकान, बॉडी पेन आदि की समस्या अधिक हो सकती है। जिसके कारण महिला अच्छे से नींद नहीं ले पाती है। और महिला की नींद पूरी न होने के कारण महिला की परेशानियां बढ़ जाती है।
भूख की कमी
फिट रहने के लिए बहुत जरुरी है की आप जितना काम करते है उतनी ही अच्छी आपको डाइट भी लेनी चाहिए। लेकिन प्रेगनेंसी में थोड़ा अलग है महिला को डाइट तो अच्छी लेनी चाहिए, लेकिन काम जरुरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा काम करने के कारण महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ जाती है जिसकी वजह से महिला का खाने का मन नहीं करता है। और फिर महिला के साथ बच्चे पर भी इसका असर पड़ता है।
लापरवाही होने का खतरा
यदि प्रेग्नेंट महिला जरुरत से ज्यादा काम करती है या ज्यादा तेजी से काम करती है तो कई बार लापरवाही होने का खतरा रहता है। जैसे की पेट पर दबाव पड़ जाता है, झटका लग जाता है, आदि। और ऐसी लापरवाही का खामियाजा माँ और बच्चे दोनों को भुगतना पड़ता है।
तो यह हैं कुछ समस्या जो प्रेगनेंसी में ज्यादा काम करने के कारण हो सकती है। और साथ ही इसके कारण प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिला को स्वस्थ रहने के लिए थोड़ा बहुत काम करना चाहिए। और जिस काम को करने में माँ व् बच्चे दोनों को दिक्कत न हो महिला को वो काम करना चाहिए। ताकि माँ व् बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकें।