प्रेगनेंसी के दौरान महिला को शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण, वजन बढ़ने के कारण बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इस दौरान शरीर में बदलाव आने के कारण और शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिला बहुत से बदलाव का अनुभव भी करती है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहा शिशु अपने लिए गर्भ में जगह बनाता है जिसके कारण पेट के आस पास के हिस्से में खिंचाव बढ़ता है। और बच्चे का विकास बढ़ने के साथ महिला का पेट बाहर की और निकला हुआ महसूस होता है।
ऐसे में अधिकतर गर्भवती महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान पेट में दर्द या पेल्विक एरिया में दर्द की समस्या का सामना कर सकती है। और थोड़ा बहुत पेट या पेट के आस पास के हिस्से में दर्द महसूस होना बहुत ही आम बात होती है। तो आइये अब इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी के दौरान पेल्विक एरिया में दर्द होने के कारण व् प्रेगनेंसी के छठे महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर महिला को क्या करना चाहिए उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द होने के कारण?
- गर्भवती महिला को यदि पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता हैं तो इसका कारण गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन बढ़ना हो सकता है क्योंकि बच्चे का भार बढ़ने के साथ पेट के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है।
- गर्भ में पल रहा शिशु जब हलचल करता है तो वो पेट के किस हिस्से में हाथ पैर चलाता है है इसके बारे में कहना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में यदि शिशु नीचे की तरफ यदि ज्यादा किक करता है तो इसके कारण महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।
- जिन गर्भवती महिलाओं को कब्ज़ की समस्या अधिक रहती है उन गर्भवती महिलाओं को भी पेल्विक एरिया में दर्द की समस्या हो सकती है।
- यदि प्रेग्नेंट महिला को यूरिन इन्फेक्शन की समस्या है तो भी महिला को पेल्विक एरिया में दर्द की समस्या हो सकती है।
- प्रेग्नेंट महिला के अंडाशय में यदि कोई गाँठ होती है तो इसके कारण भी महिला को पेल्विक एरिया में दर्द महसूस हो सकता है।
- डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भ में पल रहे शिशु का सिर नीचे की तरफ होने के कारण पेट के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ सकता है जिसके कारण महिला को पेल्विक एरिया में दर्द महसूस होता है।
- गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी होने के कारण भी महिला को पेल्विक एरिया में दर्द महसूस हो सकता है।
प्रेगनेंसी के छठे महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द हो तो क्या करें?
गर्भावस्था के समय महिला को शरीर में महसूस होने वाले लक्षणों व् बदलाव पर ध्यान देना बहुत जरुरी होता है और जब भी कोई ऐसा लक्षण दिखे जिससे महिला को दिक्कत हो सकती है या शिशु को खतरा हो सकता है तो महिला को तुरंत डॉक्टर्स से बात करनी चाहिए। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होना जितना सामान्य होता है उतना ही महिला को यह ध्यान रखना भी जरुरी होता है की दर्द कितना हो रहा है।
जैसे की प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में यदि प्रेग्नेंट महिला को पेल्विक एरिया में तेज दर्द महसूस होता है तो यह गर्भपात का लक्षण हो सकता है साथ ही एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण भी ऐसा हो सकता है। वैसे ही प्रेगनेंसी के छठे महीने में यदि महिला को पेल्विक एरिया में दर्द महसूस हो तो महिला को क्या करना चाहिए इस बात का ध्यान रखना जरुरी होता है।
दर्द होने पर क्या करें
प्रेगनेंसी के छठे महीने में यदि महिला को पेट के निचले हिस्से में यदि ज्यादा दर्द महसूस हो तो यह समय से पहले डिलीवरी होने का संकेत हो सकता है। साथ ही यदि दर्द के साथ महिला को यूरिन के रंग में बदलाव, बदबू, यूरिन करते समय जलन जैसे लक्षण महसूस हो तो यह यूरिन इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता है।
ऐसे में इन दोनों में से चाहे कोई भी कारण हो लेकिन महिला को अनदेखा नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि समय से पहले डिलीवरी होने पर भी माँ और बच्चे को खतरा होता है और यदि कोई इन्फेक्शन ज्यादा बढ़ जाये तो इस कारण भी महिला को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा यदि पेल्विक एरिया में दर्द के साथ महिला को ब्लीडिंग भी महसूस हो तो महिला जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके अलावा महिला को यदि दर्द तेजी से हो रहा है और प्राइवेट पार्ट से किसी तरह का फ्लो नहीं हो रहा है तो भी महिला को डॉक्टर से मिलना चाहिए। ध्यान रखें की धैर्य रखें और बिल्कुल घबराएं नहीं।
तो यह हैं प्रेगनेंसी के छठे महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं व् इससे बचने के लिए महिला को क्या करना चाहिए उससे जुड़े टिप्स। ऐसे में महिला को पेल्विक एरिया में दर्द के अलावा यदि बॉडी में कोई भी असहज लक्षण महसूस हो या कोई परेशानी ज्यादा हो तो महिला को जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि माँ व् बच्चे को हर दिक्कत से सुरक्षित रहने में मदद मिल सके।