प्रेगनेंसी में सफ़ेद पानी
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे की उल्टियां होना, सिर व् बॉडी के अन्य हिस्सों में दर्द रहना, मांसपशियों में खिंचाव होना, कमजोरी व् थकान का अनुभव होना, ब्लीडिंग की समस्या होना, आदि। ऐसे की कई बार प्रेगनेंसी के दौरान सफ़ेद पानी की समस्या हो सकती है, जिसे ल्यूकोरिया के नाम से भी जाना जाता है और यह कोई बिमारी नहीं होती है साथ ही ऐसा होना प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य बात होती है। लेकिन हो सकता है की सफ़ेद पानी गिरने के कारण महिला तनाव में आ जाएँ, परेशानी का अनुभव करे, या ऐसा सोचें की इससे गर्भ में शिशु को किसी तरह का नुकसान होगा। तो आपको यह पता होना होना चाहिए थोड़ा बहुत सफ़ेद पानी का आना प्रेगनेंसी के दौरान नोर्मल होता है और इसके कारण शिशु को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुँचता है। इसीलिए महिला को तनाव नहीं लेना चाहिए, लेकिन यदि सफ़ेद पानी बहुत ज्यादा गिरने लगे तो एक बार डॉक्टर से राय लेना सही होता है।
प्रेगनेंसी की तीनो तिमाही में स्त्राव होने के कारण
गर्भावस्था की तीनो तिमाही में स्त्राव अलग अलग तरीके का हो सकता है, ऐसे में स्त्राव किस तरह का हो रहा है इस बात का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है, तो आइये जानते है प्रेगनेंसी की तीनो तिमाही में सफ़ेद पानी से जुडी कुछ बातें।
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही
गर्भवती महिला के शरीर में तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण सफ़ेद पानी आ सकता है यह स्त्राव पतला व् रंगहीन हो सकता है। लेकिन यदि सामान्य से अधिक, बदबूदार स्त्राव हो तो यह असामान्य हो सकता है ऐसे में इसे अनदेखा न करते हुए एक बार डॉक्टर से बात करनी चाहिए। साथ ही प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान बॉडी में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ने लगता है जिसके कारण भी गर्भवती महिला को सफ़ेद पानी आ सकता है।
प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही
दूसरी तिमाही में सफ़ेद पानी के आने का कारण गर्भाशय की ग्रीवा पर दबाव पड़ना हो सकता है। और यह सफ़ेद पानी अंडे के सफ़ेद भाग की तरह महसूस हो सकता है लेकिन यदि सफ़ेद पानी के साथ हल्की रक्त की बूंदे दिखाई दे तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही
शिशु का वजन तीसरी तिमाही में पूरी तरह से बढ़ जाता है जिसके कारण गर्भाशय की ग्रीवा और पेल्विक एरिया पर जोर पड़ने के कारण गर्भवती महिला को रक्तस्त्राव हो सकता है। और डिलीवरी का समय पास आने पर सफ़ेद पानी के साथ रक्त की कुछ बूंदे भी नज़र आ सकती है। ऐसे में इसे अनदेखा न करें और जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से राय लें।
संक्रमण: इसके अलावा यदि किसी भी तिमाही में गर्भवती महिला को प्राइवेट पार्ट में संक्रमण होने के कारण भी सफ़ेद पानी की समस्या हो सकती है।
सफ़ेद पानी के कारण गर्भ में पल रहे शिशु को कोई नुकसान होता है?
जी नहीं, प्रेगनेंसी के दौरान सामान्य रूप से सफ़ेद पानी का आना गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु को संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करता है। लेकिन यदि सफ़ेद पानी की मात्रा बहुत अधिक हो, सफ़ेद पानी में रक्त के थक्के नज़र आएं, स्त्राव में से बदबू आती हुई महसूस हो तो यह संक्रमण का लक्षण हो सकता है जो की गर्भ में शिशु के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है, साथ ही यदि महिला को प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन हो तो इसे अनदेखा न करते हुए एक बार डॉक्टर से राय लेना चाहिए और इसका इलाज करवाना चाहिए ताकि गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को हर तरह की परेशानी से सुरक्षित रखने में मदद मिल सके।
प्रेगनेंसी के दौरान सफ़ेद पानी के कारण होने वाले इन्फेक्शन से बचने के टिप्स
- प्राइवेट पार्ट की साफ़ सफाई का अच्छे से ध्यान रखें, ताकि ph संतुलन को मेंटेन रखने में मदद मिल सके।
- ज्यादा सुगन्धित चीजें जैसे साबुन, क्रीम आदि का इस्तेमाल प्राइवेट पार्ट के लिए करने से बचे।
- ज्यादा टाइट या सिंथेटिक अंडरवियर न पहने, बल्कि आरामदायक व् कॉटन की अंडरवियर का इस्तेमाल करें, और दिन में दो बार अंडरवियर बदलें।
- यूरिन या मल पास करने के बाद अच्छे से प्राइवेट पार्ट को साफ़ करें और सूखने के बाद कपडे पहने।
- सम्बन्ध बनाते समय सुरक्षा का इस्तेमाल जरूर करें।
- यदि आपका पार्टनर प्राइवेट पार्ट के इन्फेक्शन से परेशान है या आपको कोई ऐसी परेशानी है तो जितना हो सके सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए।
प्रेगनेंसी में सफ़ेद पानी में इन लक्षणों के महसूस होने पर डॉक्टर से मिलना चाहिए
- यदि डिस्चार्ज पीले, भूरे रंग का हो तो आपको इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
- सफ़ेद पानी के साथ खून के धब्बे नज़र आएं।
- डिस्चार्ज में से तेज दुर्गन्ध के आने पर एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।
- सफ़ेद पानी अधिक आने के साथ प्राइवेट पार्ट में दर्द, खुजली, आदि अधिक महसूस हो।
तो यह हैं प्रेगनेंसी के दौरान सफ़ेद पानी से जुडी कुछ बातें, इसके अलावा यदि गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में सफ़ेद पानी अधिक आने लग जाए जैसे की यूरिन आता है तो यह एमनियोटिक फ्लूइड भी हो सकता है जिसमे शिशु पूरे नौ महीने तक गर्भ में रहता है। तो यह प्रसव का संकेत हो सकता है ऐसे में इसे अनदेखा न करते हुए एक बार डॉक्टर से राय लेनी चाहिए या जितना जल्दी हो सके डॉक्टर के पास पहुँच जाना चाहिए।