प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत ही नाजुक समय होता है। गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने महिला अपने शरीर में नए बदलाव और बहुत से नए अनुभव महसूस करती है। प्रेगनेंसी कन्फर्म के बाद से ही मातृत्व क्या होता है महिला को समझ में आने लगता है। और गर्भ में पल रहे बच्चे से हुए जुड़ाव को महसूस करती है। साथ ही प्रेगनेंसी के हर पल महिला के दिल और दिमाग में केवल अपने बच्चे के विकास से जुड़े सवाल ही घूमते रहते हैं।
इसके बाद जैसे ही गर्भ में बच्चा हलचल करता है तो यह पल महिला के लिए उसकी प्रेगनेंसी का सबसे प्यारा और इमोशनल पल होता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के हर महीने महिला कैसा महसूस करती है और प्रेगनेंसी की हर स्टेज पर क्या क्या होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं।
प्रेगनेंसी का पहला महीना: First Month of Pregnancy
गर्भावस्था के पहले महीने में ओवुलेशन पीरियड के दौरान आपके और आपके पार्टनर के बेहतर सम्बन्ध बनाने पर अंडे व् शुक्राणु के मिलन से निषेचन की प्रक्रिया होती है। जिसके बाद गर्भाशय में प्रत्यारोपण किया जाता है। उसके बाद पीरियड्स मिस होने पर घर में टेस्ट करके प्रेगनेंसी कन्फर्म की जाती है।
गर्भवती महिला के शरीर में होने वाली परेशानियां: उल्टी आने का मन करना, थकान, कमजोरी, स्तन के आगे के हिस्से के रंग में बदलाव, खून का धब्बा लगना आदि।
बच्चे का विकास: प्रेगनेंसी के पहले महीने में भ्रूण की सिर्फ दो कोशिकाओं का विकास होता है।
गर्भावस्था का दूसरा महीना: Second Month of Pregnancy
प्रेगनेंसी के दूसरा महिला महिला का माँ बनने की तरफ दूसरा कदम होता है। ऐसे में बॉडी में हार्मोनल बदलाव के कारण महिला थोड़ा परेशानी महसूस कर सकती है।
गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाली परेशानियां: बार बार यूरिन आने की समस्या, थकान व् कमजोरी का महसूस होना, मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी होना, गंध से एलर्जी होना, आदि
बच्चे का विकास: बच्चे का दिल धड़कने लगता है, बच्चे के दिमाग का विकास होना शुरू हो जाता है।
प्रेगनेंसी का तीसरा महीना: Third Month of Pregnancy
गर्भावस्था का तीसरा महिला पहली तिमाही का आखिरी महीना होता है। यह महीना महिला के लिए और बच्चे के लिए दोनों के लिए बहुत अहम होता है। क्योंकि इस दौरान महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ने के साथ थोड़ी सी लापरवाही के कारण गर्भ गिरने का डर भी होता है।
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में होने वाली परेशानियां: कब्ज़, सफ़ेद पानी, पेट में ऐंठन, मूड स्विंग्स, सीने में जलन, स्तनों में भारीपन महसूस होना, आदि।
बच्चे का विकास: तीसरे महीने में भ्रूण एक बच्चे की तरह दिखने लग जाता है। साथ ही बच्चे का आकार एक निम्बू के जितना हो जाता है।
गर्भावस्था का चौथा महीना: Fourth Month of Pregnancy
दूसरी तिमाही की शुरुआत के पहले महीने में महिला को पहली तिमाही में होने वाली परेशानियों से थोड़ी राहत मिल जाती है। महिला का पेट थोड़ा सा बाहर निकल जाता है। साथ ही जिन महिलाओं का खाने का मन नहीं करता है उन गर्भवती महिलाओं की इस महीने में भूख बढ़ सकती है।
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में होने वाली शारीरिक परेशानियां: सीने में जलन, कब्ज़, पैरों में दर्द, पीठ में दर्द की समस्या।
बच्चे का विकास: इस समय बच्चे की हड्डियों की आकृतियां बनी हुई होती है और वह मजबूत हो रही होती है। ऐसे में अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से आप बच्चे के विकास को देख सकते हैं। साथ ही बच्चे का आकार एक बड़े संतरे के जितना हो जाता है।
प्रेगनेंसी का पांचवां महीना: Fifth Month of Pregnancy
पांचवें महीने में महिला थोड़ा रिलैक्स महसूस करती है। लेकिन वजन बढ़ने के कारण थोड़ी परेशानी का अनुभव भी महिला कर सकती है। साथ ही पांचवें महीने पेट थोड़ा ज्यादा बाहर आ जाता है जिसे देखकर लोग आसानी से अनुमान लगा सकते हैं की आप प्रेग्नेंट हैं। इसके अलावा पांचवें महीने में आपके बच्चे की हलचल भी आपको महसूस होती है।
प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में होने वाली परेशानियां: पीठ में दर्द, कब्ज़, सिर में दर्द, सीने में जलन, सूजन जैसी परेशानी आपको होती है।
बच्चे का विकास: गर्भ में बच्चे की हड्डियों व् मांसपेशियों का विकास बढ़ता है, बच्चे के सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है।
गर्भावस्था का छठा महीना: Sixth Month of Pregnancy
प्रेगनेंसी का छठा महीना दूसरी तिमाही का आखिरी महीना होता है। इस महीने में महिला का पेट थोड़ा और बाहर आ जाता है। साथ ही गर्भ में शिशु की हलचल भी बढ़ जाती है। साथ ही वजन बढ़ने के कारण महिला थोड़ा असहज महसूस कर सकती है।
गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाली परेशानियां: सूजन, ज्यादा भूख लगना, खर्राटे आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, सफ़ेद पानी गिरना, भूख में बढ़ोतरी, पीठ में दर्द, आदि।
बच्चे का विकास: इस महीने में बच्चे के सभी अंग पूरी तरह बन चुके होते हैं साथ ही कुछ अंग अपना काम भी करने लगते हैं। जैसे की बच्चे की सुनने की क्षमता का विकास बढ़ता है।
प्रेगनेंसी का सातवां महीना: Seventh Month of Pregnancy
गर्भावस्था के सातवां महीना यानी की मुबारक हो आप प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में कदम रख चुकी है। इस समय आपका पेट बाहर की तरफ और ज्यादा आ चूका होता है, आपका वजन पहले की अपेक्षा दस से बारह किलो तक बढ़ चूका होता है।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में होने वाली परेशानियां: पेट में संकुचन महसूस हो सकता है जिसे की फाल्स लेबर पेन कहा जाता है, स्तनों से रिसाव हो सकता है, कब्ज़ की समस्या बढ़ सकती है, सूजन की परेशानी, आदि।
बच्चे का विकास: सातवें महीने में बच्चा माँ के स्पर्श व् बाहर की आवजों को सुनकर प्रतिक्रिया दे सकता है।
गर्भावस्था का आठवाँ महीना: Eighth Month of Pregnancy
गर्भावस्था का आठवाँ महीना बहुत ही अहम होता है क्योंकि इस समय बच्चे के जन्म से पहले होने का खतरा अधिक होता है। साथ ही बच्चे का विकास भी तेजी से बढ़ता है और वजन बढ़ने के कारण महिला को शारीरिक परेशानियां भी अधिक होती है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है।
प्रेगनेंसी के आठवें महीने में होने वाली परेशानी: सूजन की समस्या, सोने में परेशानी, उठने बैठने में दिक्कत, कब्ज़, बवासीर की समस्या, पीठ और पेट के निचले हिस्से में दर्द की समस्या, बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना, आदि।
बच्चे का विकास: इस दौरान शिशु के सभी अंग विकसित हो चुके होते हैं बस शिशु का वजन तेजी से बढ़ रहा होता है।
प्रेगनेंसी का नौवां महीना: Ninth Month of Pregnancy
गर्भावस्था का नौवां महीना महीना वो महीना होता है जब आपका इंतज़ार खत्म होने वाला होता है। और आपका नन्हा मेहमान बहुत जल्दी आपकी गोद में आने वाला होता है। और इस दौरान शिशु अपनी सही पोजीशन में भी आने लगता है। लेकिन आपको इस दौरान तनाव नहीं लेना चाहिए क्योंकि तनाव लेने के कारण आपकी परेशानियां बढ़ सकती है।
गर्भावस्था के नौवें महीने में होने वाली परेशानियां: सूजन, सोने में परेशानी, कब्ज़, पेट के निचले हिस्से में भारीपन महसूस होना, यूरिन ज्यादा आना, दस्त लगना, उल्टी की परेशानी होना, रक्त के धब्बे महसूस होना, आदि।
बच्चे का विकास: नौवें महीने में बच्चा जन्म लेने की सही पोजीशन में आने की कोशिश करता है, वजन का विकास पूरी तरह हो चूका होता है।
यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आप भी प्रेगनेंसी के हर महीने आप बहुत से नए अनुभव महसूस करेंगी। जो आपको ऊपर बताए गए हैं। लेकिन पूरे नौ महीने आपको दो बातों का खास ध्यान रखना है। पहला किसी भी चीज चाहे वो खान पान हो या काम उसमे लापरवाही न करें, और दूसरा किसी भी दिक्कत के महसूस होने पर उसे अनदेखा न करें एक बार डॉक्टर से जरूर बात करें।