प्रेगनेंसी टिप्स: गर्भावस्था की स्थिति तब आती है. जब पुरुष और महिला सम्भोग करते हैं. तो एक ऐसा समय आता हैं जब पुरुष के शुक्राणु, महिला के गर्भ में जाकर निषेचित अंडो से मिल जाते हैं. इस क्रिया को निषेचन कहा जाता हैं. निषेचन की क्रिया के बाद महिला का गर्भ ठहर जाता हैं. और उसे मासिक धर्म आना बंद हो जाता हैं. मासिक धर्म यानि पीरियड्स हर महिला को इससे जरूर अवगत होना चाहिए. फिर उसे जैसे ही पता चलता हैं की वो माँ बनने वाली हैं. तो वो अपना हर कदम बड़ी सावधानी से रखती हैं. क्योकि गर्भवस्था किसी भी महिला के लिए बड़ी नाजुक होती हैं. इस समय पर उन्हें तरह तरह की समस्याए उत्तपन हो जाती हैं. और पुरे नौ महीने यानि जब तक बच्चा पैदा नहीं होता उन्हें हर पल अपना ध्यान रखना पड़ता हैं.
गर्भावस्था में मासिक धर्म न आने पर महिलाओ के अंदर बहुत से परिवर्तन आने लगते हैं. जैसे बार बार पेशाब का आना, थकन लगना, सर भारी हो जाना, पेट में हल्का दर्द रहना, आदि. कई महिलाओ को तो उलटी की भी समस्या हो जाती हैं. कई महिलाओ की उलटी की समस्या शुरू के दिनों में ही रहती हैं. परंतु कुइछ ऐसी भी होती हैं जिन्हें ये समस्या पुरे नौ महीने रहती हैं. इसके साथ में कई बार ज्यादा थकावट की वजह से स्पोटिंग यानि खून का धब्बा लगने की भी आशंका होती हैं. इन दिनों में हर महिला को अपना ध्यान रखना चाहिए. ताकि उन्हें किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े.
आज के इस युग में आप घर बैठे ही पता कर सकते हैं. की आप माँ बनने वाली हैं या नहीं इसके लिए आपको बहार जाने की जरुरत नहीं हैं. आप बाजार से ही टेस्ट करने के लिए किट ला सकती हैं. और उसमे पेशाब की दो से तीन बुँदे डाल कर पता कर सकती हैं के कही आप माँ तो नहीं बनने वाली. आइये अब जानते हैं के गर्भावस्था में यानि प्रेगनेंसी में महिलाओ के साथ होने वाली कौन कौन से समस्याए हैं और उनका क्या इलाज़ हैं. तो महिलाओ के साथ गर्भवस्था में होने वाली समस्याए इस प्रकार हैं.
प्रेगनेंसी टिप्स- गर्भावस्था में होने वाली परेशानिया व् उसके उपाय:-
- जैसे ही आपको पता चले की आप माँ बनने वाली हैं तुरंत जाकर अपने डॉक्टर से चेक करवाये. और फिर डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानिया का पालन करे. ताकि आप और आपका बच्चा स्वस्थ रह सके.
- जैसे ही आपको पता चलता हैं की आपका मासिक धर्म रुक गया हैं. और आपको पता हैं की आप माँ बनने वाली हैं तो आपको कोई भी भारी वस्तु नहीं उठानी चाहिए. और कोई भी ज्यादा भागदौड़ वाला काम नहीं करना चाहिए. इससे खून आने का डर बना रहता है और कई बार गर्भपात का भी खतरा बन जाता हैं.
- गर्भावस्था में आप अपने खून और पेशाब की नियमित समय पर जाँच करवाये. जिससे इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता हैं.
- गर्भावस्था में ज्यादा समय बैठना भी नुकसान करता हैं. कोशिश करे की थोड़ी देर घूमे. सिर्फ घूमे भागे नहीं. नहीं तो परेशानी का सामना करना पड सकता हैं.
- डॉक्टर से पूछे बिना किसी भी दवाई का सेवन न करे. क्योकि ज्यादा दवाई शिशु पर बुरा असर डाल सकती हैं. और इस समय पर ज्यादा दवाई हानिकारक साबित हो सकती हैं.
- यदि आप किसी अन्य रोग जैसे शुगर, दमा आदि रोग से पीड़ित हैं. तो आपको इसकी दवाई डॉक्टर से पूछ कर नियमित समय पर लेनी चाहिए. ताकि इससे बच्चे को कोई नुक्सान न हो. क्योकि एक स्वस्थ माँ में ही स्वस्थ बच्चा निवास करता हैं.
- गर्भावस्था के समय में कई बार पेट में दर्द हो जाता हैं. परंतु अगर दर्द ज्यादा हो और सहा नहीं जा रहा हो तो अपने डॉक्टर को जरूर दिखाए. बिना डॉक्टर की इज्जाजत के कोई दवाई न ले. ये खतरे के लक्षण हो सकते हैं.
- शुरुआत के दिनों में उलटी आना आदि स्वाभाविक हैं. परंतु अगर ये ज्यादा हो तो अपने डॉक्टर से इसके लिए बात करनी चाहिए. ये खतरे के लक्षण हो सकते हैं.
- गर्भावस्था में समय समय पर होने वाले टीकाकरण करवाये. और कैल्शियम आयरन की गोली जरूर ले. क्योकि ये माँ और बच्चे के लिए बहुत जरुरी हैं. और डॉक्टर भी आपको इसके बारे में जरूर बताएगा.
- गर्भावस्था में गंभीरता से चेहरे या हाथ-पैर मे असामान्य सूजन, तेज सिर दर्द, आखों मे धुंधला दिखना और मूत्र पेशाब करने मे कठिनाई की अनदेखी न करें, ये खतरे के लक्षण हो सकते हैं.
- एक समय के बाद बच्चे की हलचल शुरू हो जाती हैं. यदि बहुत कम हो या नही हो तो सतर्क हो जाएं तथा डॉक्टर से संपर्क करें.
- इस अवस्था में हो सके तो ढीले कपडे पहने और उच्ची चप्पल न पहने. ये नुकसान कर सकती हैं.
- सफर कम ही करे तो अच्छा हैं. ये नुकसान कर सकती हैं. और यदि सफर करे तो बस की बजाय कार या ट्रेन को चुने. ये थोड़े कम रिस्की होते हैं.
- अपने डॉक्टर से हमेशा संपर्क में रहे. और समय समय पर होने वाले बदलाव से डॉक्टर को अवगत करवाते रहे ताकि कोई खतरा न हो.
- तो ये सब तरीके हैं जिनसे आप अपने आप को स्वस्थ रख सकती हैं. क्योकि गर्भावस्था में हमेशा ही गर्भपात का खतरा बना रहता हैं. परंतु इसका मतलब ये नहीं है के आप एक्टिव नहीं रहेगे. बस आपको इतना ध्यान रखना हैं के आप जो भी करेगे वो बड़ी सूझ बुझ के साथ करेगे. और अपना ध्यान रखेगे. और गर्भपात के खतरे से बचेगे.
अपने डॉक्टर से हमेशा संपर्क में रहे.
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