प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए जरुरी टिप्स
गर्भधारण से लेकर डिलीवरी तक के नौ महीनों का सफर हरेक गर्भवती महिला के लिए यादगार होता है। इस सफर की खट्टी मीठी यादें महिलाएं जिंदगी भर अपने मन में संजोय रखती हैं। गर्भधारण से लेकर माँ बनने तक का एहसास किसी भी महिला के लिए बहुत खास होता है। परन्तु ये खास पल मुश्किल तब हो जाता है जब डिलीवरी में दिक्क्तें आने लगती है। कई महिलाओं की डिलीवरी बहुत आसानी से हो जाती है। लेकिन कुछ महिलाओं की डिलीवरी का समय नजदीक आते-आते कॉम्प्लीकेशंस होने लगती हैं। जो शिशु और माँ दोनों के लिए ही समस्या का कारण बन जाता है।
आज हम आपको कुछ खास टिप्स दे रहे हैं जिन्हे आपको गर्भधारण के बाद से ही करना है ताकि डिलीवरी के समय परेशानी से बचा जा सके।
डिलीवरी की परेशानी से बचने के लिए क्या करें?
प्रसव के समय होने वाली अधिकतर समस्याएं गर्भावस्था के दौरान की गयी गलतियों के कारण होती हैं। अगर महिला गर्भधारण के बाद से ही सतर्क हो जाएं और सावधानियां बरतें तो डिलीवरी के समय परेशानी नहीं होगी।
डॉक्टरी जाँच
प्रेग्नेंसी में जो सबसे जरुरी चीज होती है वो है डॉक्टरी जाँच। अगर आप सही समय पर डॉक्टरी सलाह नहीं लेंगी, अल्ट्रासाऊंड नहीं कराएंगी, दवाएं नहीं खाएंगी, टेस्ट नहीं कराएंगी तो डिलीवरी के समय परेशानी आएगी। क्यूंकि बिना डॉक्टरी जांच के शिशु की ग्रोथ जानना मुश्किल है। इसलिए प्रेग्नेंसी कन्फर्म होते ही डॉक्टर से मिलें और जाँच करें। सभी दवाएं टाइम पर खाएं, सभी टेस्ट समय पर करवाएं और डॉक्टर की सलाह लेती रहें। ताकि शरीर की कमियों से सही समय पर पूरा किया जा सके और शिशु की ग्रोथ का पता चल सके। अगर शरीर में सब कुछ नार्मल रहेगा तो डिलीवरी में दिक्कत नहीं होगी।
खान-पान में बदलाव
आपको और गर्भ में पल रहे शिशु को उचित पोषण देने के लिए खान-पान में उचित बदलाव करना आवश्यक होता है। गर्भधारण के बाद से ही आपको ऐसा आहार लेना चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हो और उसमे सभी तरह के विटामिन्स और मिनरल्स हों। पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको प्रॉपर डाइट लेनी होगी ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। इसके अलावा पहली और दूसरी तिमाही के बाद भी अपनी आहार में उचित बदलाव करने होंगे। ताकि शिशु को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल सके।
खून की कमी
डिलीवरी के समय होने वाली अधिकतर परेशानियां खून की कमी के कारण होती है। खून की कमी होने पर गर्भाशय के आस-पास के हिस्सों में रक्त का परिसंचरण ठीक तरह से नहीं हो पाता जिसके कारण डिलीवरी प्रोसेस में मुश्किल होती हैं। इन समस्यायों से बचने के लिए गर्भधारण के बाद से ही आयरन युक्त चीजें का सेवन करना शुरू कर दें। इसके लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, ड्राई फ्रूट, अखरोट, किशमिश, अंजीर, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर, ब्रॉक्ली, बीन्स, अंडे का पीला भाग, मीट, मछली, दालें और दलिया आदि का खूब सेवन करें।
हड्डियों के लिए
प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल चैंजेस के कारण महिलाओं को कई समस्यायों का सामना करना पड़ता है। हड्डियों की परेशानियां भी उन्ही में से एक हैं। डिलीवरी के दौरान और बाद में अक्सर हड्डियों से संबंधित समस्या बनी रहती है। कई बार हड्डियां कमजोर होने के कारण भी डिलीवरी के समय दिक्क्त होती है। ऐसे में महिला को गर्भधारण के बाद से ही कैल्शियम युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान दूध पीना चाहिए। और पहले तीन महीने के बाद नियमित रूप से अंडा खाना चाहिए ताकि शरीर में कैल्शियम की जरूरत को पूरा किया जा सके।
सभी पोषक तत्व लें
प्रेग्नेंसी कन्फर्म होने के बाद से ही संतुलित आहार लें। ठोस आहार के साथ-साथ तरल पदर्थों का भी खूब सेवन करें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। फल व् सब्जियों के साथ-साथ अन्य चीजें भी खाएं। जैसे – बादाम, फिश, कम तेल मसाले वाला मीट आदि। ये चीजें ज्यादा मात्रा में नहीं खाए। इसके साथ-साथ नारियल पानी, फलों का रस, रसीले फल, रोटी, चावल, दाल, सोयाबीन, सब्जियों का उचित मात्रा में सेवन करें। दही भी खाएं, ये शरीर को ठंडक देगी और पाचन भी सही रखेगी।
डिलीवरी की तैयारी
सुखद और आरामदायक डिलीवरी के लिए आपको पहले महीने से ही अपनी केयर करनी होगी। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान आपको सातवें महीने से रखना है। सातवें महीने से घी, केसर दूध, बादाम दूध, ड्राई फ्रूट्स, बीन्स और अंडे का सेवन करें। गर्मियों के दिनों में रोजाना एक अंडा दूध के साथ जरूर खाएं, दूध में घी डालकर पियें। इससे गर्भाशय में चिकनाहट आएगी जिससे डिलीवरी में आसानी होगी और दर्द कम होगा।
अन्य बातों का भी रखें ध्यान
डिलीवरी के समय दिक्क्त न हो इसके लिए गर्भवती महिला को अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। जैसे –
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के बाद कोई भी भारी वजन नहीं उठाएं।
- पेट का आकार बढ़ा हो जानें पर झुककर या पेट पर दबाब देकर कोई काम नहीं करें।
- कठिन योग और व्यायाम करने से बचें।
- रोजाना सुबह-शाम टहलें।
- धूप में घर से बाहर कम निकलें।
- ज्यादा शोर, प्रदूषण धूल-मिट्टी वाले क्षेत्र में नहीं जाएं।
- किसी भी फल या सब्जी को प्रयोग से पूर्व पानी से अच्छी तरह साफ कर लें। बिना धोएं इस्तेमाल नहीं करें।
- कोई भी समस्या हो खुद डॉक्टर नहीं बनें। छोटी से छोटी समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें। ताकि सही समय पर समस्या का समाधान किया जा सके।
तो ये कुछ खास टिप्स हैं जिन्हे आपको गर्भधारण के बाद से ही ध्यान रखना है। अगर आप इन टिप्स को पूरी प्रेग्नेंसी में अपनाएंगी तो डिलीवरी के समय कोई दिक्क्त नहीं होगी।