प्रेग्नेंट महिला पूरे नौ महीने उस पल का बेसब्री से इंतज़ार करती है की कब उसका शिशु की उसकी गोद में खेलेगा, कब महिला उसे करीब से महसूस कर पाएगी, कब अपने बच्चे के विकास का अनुभव कर पाएगी, आदि। ऐसे में प्रेगनेंसी के हर पल महिला केवल अपने शिशु के बारे में ही सोचती रहती है और उसके लिए सपने संजोती है। और जैसे ही नौवां महीना लगता है। वैसे ही महिला उल्टी गिनती शुरू कर देती है क्योंकि अब उसके बच्चे के जन्म लेने का समय और पास आता जाता है।
लेकिन कुछ महिलाओं की डिलीवरी में थोड़ी देरी हो सकती है, तो कुछ महिलाएं डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी बच्चे को जन्म दे सकती है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती है लेकिन इसे अनदेखा भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद शिशु का गर्भ में ज्यादा समय तक रहना माँ व् बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको बेबी डिलीवरी में देरी होने के क्या कारण हो सकते हैं इस बारे में बताने जा रहे हैं।
डिलीवरी पेन न होना
ऐसा बिल्कुल भी जरुरी नहीं होता है की डिलीवरी का समय पास आने पर हर महिला को डिलीवरी पेन का अनुभव हो। और कुछ महिलाओं को तो डॉक्टर द्वारा दी गई आर्टिफिशल पेन का भी कोई असर नहीं होता है। साथ ही अधिकतर महिलाओं को ऐसा ही लगता है की जब तक पेन नहीं होगा तब तक डिलीवरी नहीं होगी। जो की गलत होता है, कुछ महिलाओं को डिलीवरी पेन महसूस ही नहीं होता है। और जिन महिलाओं को डिलीवरी पेन महसूस का अहसास नहीं होता है उन महिलाओं की डिलीवरी में देरी हो सकती है।
बच्चे का सही पोजीशन में न आना
यदि गर्भ में शिशु अपनी सही पोजीशन में नहीं आता है तो इसके कारण भी डिलीवरी होने में देरी हो सकती है। क्योंकि शिशु का सिर जब तक नीचे की तरफ नहीं आता है तब तक पेल्विक एरिया पर जोर नहीं पड़ता है तो जिससे प्रसव पीड़ा का अहसास नहीं होता है। जिससे महिला की डिलीवरी में देरी हो सकती है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से बेबी डिलीवरी में देरी हो सकती है। ऐसे में आपको एक बात का ध्यान जरूर रखना है की यदि डिलीवरी डेट निकल जाएँ, शिशु की हलचल में कमी हो, तो इन कारणों के होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ताकि माँ व् बच्चे दोनों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।