इन कारणों से हो सकती प्रसव से पूर्व डिलीवरी

प्रेगनेंसी के पुरे नो महीनो को 40 सप्ताहों में बाँटा जाता है। माना जाता है के 37 सप्ताह के बाद प्रसव का समय शुरू हो जाता है 37वें सप्ताह के शुरू होते ही 40वें सप्ताह तक कभी भी डिलीवरी हो कोई नार्मल डिलीवरी ही कहलाती है। और वही अगर 37वें सप्ताह से पूर्व ही डिलीवरी हो जाए तो इसे प्रीमैच्योर बर्थ या प्रसव से पूर्व डेलिवरी के नाम से भी जाना जाता है।

समय से पहले डिलीवरी होने के बहुत से कारण होते है। कई बार गर्भवती की महिला की मेडिकल हालात देखते हुए भी समय से पहले डिलीवरी को प्लान करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त अगर गर्भ में बेबी का हार्ट रेट कम होने लगे तो भी प्रीमैच्योर डिलीवरी करवाना जरुरी हो जाता है। आइये जानते है समय से पहले डिलीवरी और कौन कौन से कारण हो सकते है।

गर्भनाल

गर्भनाल शिशु के लिए जीवनदायक होती है इसी की मदद से शिशु को ऑक्सीजन, खाना, पानी आदि मिलता है। पर कई बार गर्भनाल गर्भाशय से अलग होने लगती है। जिस वजह से शिशु का जीवन खतरे में पड़ जाता है। गर्भनाल के अलग होने से शिशु तक ठीक ढंग से ऑक्सीजन, पानी और भोजन नहीं पहुँच पाता। ऐसी स्थिति में डॉक्टर भी प्रसव से पूर्व ही डिलीवरी की सलाह देते है।

इस समय में गर्भवती महिला को लेबर पेन भी होने लगते है। इस स्थिति में शिशु का जीवन बचाने के लिए समय से पूर्व डिलीवरी करवानी ही पड़ती है।

सेकेंड डिलीवरी

अगर आप दूसरी बार माँ बन रही है और पहली डिलीवरी के समय भी आपकी प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई थी और दूसरी बार भी समय से पूर्व ही डिलीवरी का भी खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए आपकी पहली डिलीवरी की जो भी हिस्ट्री हो उसे अपने डॉक्टर से जरूर बताये। जिससे आपके डॉक्टर पहले ही आपकी डिलीवरी की प्लानिंग कर लें।

इन्फेक्शन

गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो जाएँ तो ऐसे में भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के चांस बढ़ जाते है। डॉक्टरों के अनुसार भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण इन्फेक्शन होता है।

हाई ब्लड प्रेशर

गर्भवती महिला का हाई ब्लड प्रेशर समय से पहले डिलीवरी का एक बड़ा कारण माना जाता है। हाई ब्लड प्रेशर माँ और शिशु दोनों के जीवन के लिए खतरनाक होता है। गर्भवती महिला और बेबी की जान बचाने के लिए कई बार डॉक्टर समय से पहले डिलीवरी करने का निर्णय करते है। गर्भावस्था के शुरआत से ही ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए। और हाई ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल करने के लिए अपने डॉक्टरों द्वारा बताया गया इलाज भी करवाना चाहिए। ताकि प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचा जा सके।

जुड़वाँ बेबी

अगर गर्भवती महिला के गर्भ में जुड़वाँ शिशु पल रहे है तो समय से पहले ही डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। बहुत से अध्ययन में देखा गया है के जुड़वाँ बच्चों के ज्यादातर केस में प्रीमैच्योर डिलीवरी ही होती है। इसीलिए शुरुआत से ही अपने डॉक्टर से अपने डिलीवरी रिस्क के बारे में बात करते रहे। और हल्की सी समस्या होते ही तुरंत अपने डॉक्टर से मिले।

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