प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए खुशियों से भरा समय होता है। लेकिन कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं को इस दौरान बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। और इन परेशानियों का कारण गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, महिला द्वारा प्रेगनेंसी में बरती गई लापरवाही हो सकती है। और ऐसी ही एक परेशानी है समय से पहले डिलीवरी होने की समस्या, जो कुछ गर्भवती महिलाओं को हो सकती है, इसे प्रीमैच्योर डिलीवरी भी कहा जाता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या होती है और इसके क्या कारण होते हैं।
प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या होती है?
सामान्य प्रेगनेंसी चालीस हफ़्तों में पूरी हो जाती है लेकिन लगभग सेंतीस हफ़्तों तक गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से हो जाता है। और सेंतीस हफ़्तों के बाद महिला की डिलीवरी किसी भी समय हो जाये यह नोर्मल डिलीवरी मानी जाती है। लेकिन यदि किसी महिला का प्रसव सेंतीस हफ्ते से पहले हो जाता है तो इसे प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है।
अगर प्रसव तेइसवें से अठाईसवें हफ्ते के बीच होता है तो इसे एक्सट्रिमली प्रीमैच्योर डिलीवरी कहते हैं क्योंकि इस दौरान बच्चा बहुत ज्यादा वजन व् आकार में कम होता है। यदि बच्चे का जन्म उन्नतीसवें से तैंतीसवें हफ्ते के बीच होता है तो इसे मॉडरेटली प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है। और यदि बच्चे का जन्म चौंतीसवें हफ्ते से सैंतीसवें हफ्ते के बीच होता है तो इसे लेट प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है।
समय से पहले बच्चा होने के लक्षण
- प्राइवेट पार्ट से बहुत ज्यादा तरल पदार्थ निकलना और कई बार तरल पदार्थ के साथ खून का आना।
- पेट में दर्द व् कसाव बहुत अधिक महसूस होना।
- पेट के निचले हिस्से पर दबाव महसूस होना जैसे की नीचे की तरफ बच्चा अपने आप को धकेल रहा है।
- पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द की तरह पेट व् पीठ में दर्द का महसूस होना।
- डायरिया की समस्या होना।
समय से पहले बच्चा होने के कारण
यदि किसी महिला को समय से पहले डिलीवरी हो जाती है तो इसका कोई एक कारण नहीं होता है बल्कि ऐसे बहुत से कारण होते हैं जिनकी वजह से महिला को समय से पहले बच्चा हो सकता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की समय से पहले बच्चा होने के क्या कारण होते हैं।
खराब जीवनशैली
यदि महिला की जीवनशैली सही नहीं है जैसे की न तो महिला नींद सही से लेती है, न खाना सही से खाती है, नशीले पदार्थों का सेवन करती है, न किसी तरह का व्यायाम आदि करती है, तो इन सबका बुरा असर गर्भ पर पड़ता है जिसके कारण महिला की डिलीवरी समय से पहले हो सकती है।
उम्र
यदि महिला की उम्र अठारह से कम और पेंतीस वर्ष से ज्यादा होती है तो ऐसे में प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से महिला की डिलीवरी समय से पहले हो सकती है।
तनाव
प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला मानसिक रूप से बहुत अधिक परेशान रहती है। तो इस कारण भी महिला व् बच्चे की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। जिसके कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के चके बढ़ जाते हैं।
गर्भ में एक से ज्यादा शिशु का होना
यदि किसी महिला के गर्भ में जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चें होते हैं। तो इन महिलाओं को भी समय से पहले बच्चा होने के चांस अधिक होते हैं।
अनुवांशिक प्रभाव
अगर गर्भवती महिला की माँ या बहन आदि किसी की पहले समय से पहले डिलीवरी हुई है तो इसका प्रभाव आप पर भी पड़ सकता है और आपके बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है।
वजन
मोटापे से ग्रसित महिलाओं की डिलीवरी भी समय से पहले होने की सम्भावना अधिक होती है, या फिर जिन महिलाओं का जरुरत से ज्यादा वजन कम होता है उन महिलाओं की डिलीवरी भी समय से पहले हो सकती है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी
प्रेगनेंसी के दौरान महिला को भरपूर पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है लेकिन यदि महिला ऐसा नहीं करती है। तो इसके कारण भी महिला की डिलीवरी समय से पहले हो सकती है खासकर जिन गर्भवती महिलाओं के शरीर में खून की कमी होती है उनके साथ ऐसा होने के चांस अधिक होते हैं।
संक्रमण
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, प्राइवेट पार्ट में संक्रमण जैसी समस्या यदि प्रेग्नेंट महिला को होती है तो इन संक्रमण का गर्भ पर बुरा असर पड़ता है जिसके कारण महिला की डिलीवरी समय से पहले हो सकती है।
बिमारी से पीड़ित
शुगर, हाई ब्लड प्रैशर, थायरॉयड जैसी शारीरिक बिमारियों से गर्भवती महिला ग्रसित होती है। तो इन बिमारियों के बुरे प्रभाव के कारण भी महिला की डिलीवरी समय से पहले हो सकती है।
महिला द्वारा बरती गई लापरवाही
प्रेग्नेंट महिला यदि प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे काम अधिक करती है जिससे पेट पर जोर पड़ता है, ट्रैवेलिंग अधिक करती है, ज्यादा समय खड़े रहती है, पैरों के भार बैठती है, भारी सामान उठाती है तो इसके कारण गर्भ पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण महिला समय से पहले बच्चे को जन्म दे सकती है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी महिला को क्या परेशानियां हो सकती हैं
- महिला की डिलीवरी सिजेरियन होने के चांस होते हैं।
- महिला को बच्चे को दूध पिलाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- महिला को शुगर, हाई ब्लड प्रैशर जैसी परेशानियां हो सकती है।
- कमजोरी, थकान जैसी परेशानियां होने के कारण महिला को शिशु की केयर करने में दिक्कत हो सकती है।
- महिला मानसिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान हो सकती है।
- नींद में कमी, खाने में परेशानी जैसी दिक्कतें भी महिला को हो सकती है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के टिप्स
- उम्र को देखकर माँ बनने का निर्णय लें।
- प्रेगनेंसी से पहले और प्रेगनेंसी के दौरान अपने अच्छे से ध्यान रखें।
- यदि कोई बिमारी है तो उसका इलाज करवाएं उसके बाद माँ बनने का फैसला लें।
- शरीर में पोषक तत्वों की कमी न होने दें।
- वजन को न तो ज्यादा होने दे न कम होने दे संतुलित रखें।
- नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।
- मानसिक व् शारीरिक रूप से तैयार होने के बाद ही माँ बनने का फैसला लें।
- पहली और दूसरी प्रेगनेंसी में दो से तीन साल का अंतर रखें।
तो यह हैं समय से पहले बच्चे का जन्म होने से जुडी बातें, ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि माँ व् बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।