भारत में खाना पकाने के अतिरिक्त सरसों के तेल का प्रयोग मालिश और मसाज आदि करने के लिए भी किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते है की रसोई घर के अलावा भी इसके कई प्रयोग किये जा सकते है. आम तौर पर इसे कड़वे तेल के नाम से भी जाना जाता है. खाने के अतिरिक्त हमारी सेहत के लिए भी सरसों तेल बहुत लाभकारी होता है.
क्योंकि सरसों के तेल में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो न केवल हमारी त्वचा को निखारने में मदद करते है बल्कि हमारे बालों के लिए भी बेहद लाभकारी होते है. इसके अलावा सरसों तेल में दर्दनिवारक गुण भी पाए जाते है. सरसों के तेल में omegAlpha3 और pmegAlpha6 fatty acids, vitamin E और antioxidents पाए जाते है जो न केवल त्वचा अपितु आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होते है. इसके अलावा ओर भी कई फ़ायदे है सरसों तेल के. जिनसे अधिकतर लोग अनजान है.
पहले के समय के लगभग सभी लोग इस तेल के फ़ायदों के बारे में जानते थे लेकिन आज कल केवल कुछ लोगो को छोड़कर अन्य सभी इसके पूर्ण गुणों से अपरिचित है. पहले के समय में महिलाओ के बाल और काले हुआ करते थे क्योकि अधिकतर महिलाएं बालों में लगाने के लिए सरसों तेल का प्रयोग करती थी परंतु आज कल हर कोई बालों से सम्बन्धित समस्याओं से परेशान रहता है. यदि आपके साथ भी इसी तरह की कोई समस्या है तो आप भी बालों में सरसों तेल का प्रयोग करना शुरू कर दें.
भारत में अधिकतर लोग इसे केवल तेल समझकर इसका इस्तेमाल करते है लेकिन शायद आपको नहीं पता की आयुर्वेद में सरसों तेल को भी एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है. इसके अलावा और भी कई फ़ायदे है सरसों के तेल के जिन्हें आमतौर पर सभी नहीं जानते. इसीलिए आज हम आपको सरसों तेल के स्वास्थ्य के फ़ायदों के बारे में बताने जा रहे है.
स्वास्थ्य के लिए सरसों के तेल के फ़ायदे :-
अन्य प्राकृतिक तेलों की तुलना में सरसों के तेल को स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है क्योंकि इसमें trans-fat और saturated fats की कम मात्रा पाई जाती है जबकि mono-unsaturated fats और polyunsaturated fatty acids जैसे omega-3 की अच्छी मात्रा पाई जाती है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते है.
1. भूख बढ़ती है :
अच्छा स्वास्थ्य आपकी बेहतर भूख पर निर्भर करता है. और सरसों तेल एक बेहतर appetizer के रूप में कार्य करता है जो पेट में गैस्ट्रिक जूस को उत्तेजित कर भूख बढ़ाने में मदद करता है. यह पेट की आँतों को irritate करके भूख को बढ़ाता है. इसीलिए जिन लोगों को भूख कम लगती है या उन्हें खाना खाने का मन नहीं करता तो वे अपना खाना पकाने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल करें.
2. उत्तेजक :
सरसों का तेल आपके पाचन, circulatory और excretory system को उत्तेजित कर एक बेहतर उत्तेजक के रूप में कार्य करता है. ये spleen और लीवर से बाइल और digestive जूस के स्त्राव को बेहतर कर पाचन की प्रक्रिया को सुधारता है. इसके अलावा इस तेल से मसाज करने से blood circulation और sweat gland भी उतेजित होते है जो शरीर के तापमान को कम करने में मदद करते है.
3. Irritant :
सरसों का तेल senseless मांसपेशियों और अंगों में सेंसेशन पैदा करता है. इसीलिए, ये एक Irritant के रूप में भी कार्य करता है.
4. हृदय के लिए फ़ायदे :
सरसों के तेल में Monounsaturated और Polyunsaturated fats (MUFA और PUFA) पाए जाते है जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी acid. ये acid खून में गुड कोलेस्ट्रॉल व् HDL को बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करता है. जिसके कारण हृदय संबंधी समस्यायों का खतरा कम हो जाता है. तो, हम कह सकते है की ये बटर, और Cheese जैसे पदार्थों का बेहतर substitute है.
5. कैंसर का खतरा कम करे :
सरसों के तेल में Glucosinolate नामक पदार्थ पाया जाता है जो अपनी anti-carcinogenic प्रकृति के कारण जाना जाता है. ये पदार्थ कैंसर की कोशिकाओं के निर्माण को रोकता है. इसके अलावा phytonutrients तत्व colorectal और gastrointestinal कैंसर से बचाने में मदद करता है.
6. अस्थमा :
अस्थमा और sinusitis की समस्या के लिए सरसों का तेल बेहद फायदेमंद घरेलू औषधि है. अस्थमा अटैक की समस्या में, भूरे सरसों के तेल से छाती की मसाज करने से सांस लेने में आसानी होती है. इसके लिए एक चम्मच चीनी और एक चम्मच सरसों के तेल को मिलाकर, दिन में कई बार एक-एक चम्मच करके इसका सेवन करें. आप चाहे तो एक चम्मच शहद और सरसों के तेल को मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें. अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए ये उपाय सबसे फायदेमंद है.
7. कफ और सर्दी में दे आराम :
ये तेल छाती और नाक की रुकावट को खत्म करके सर्दी और कफ की समस्या में आराम देने में मदद करता है. इसके लिए एक चम्मच सरसों के तेल और कपूर को मिलाकर अपनी छाती पर लगायें और पीठ के बल लेट जाएँ. ताकि उसकी vapour आपके फेफड़ों तक जा सके. आप चाहे तो किसी दुसरे तरीके से भी अपनी इस समस्या से निजात पा सकते है. इसके लिए कुछ चम्मच सरसों के तेल और जीरे के बीज को एक साथ मिलाकर उसे उबले पाने में डाल दें. अब उसकी भाप लें. सरसों के तेल में पाया जाने वाला अरोमा आपके श्वसन तंत्र को वार्म अप करके बलगम के निर्माण को रोकता है.
8. एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रकृति :
सरसों के तेल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते है जो irritable bowel syndrome की समस्या में आराम देने में मदद करता है, इसके साथ ही पेट की सुजन को भी कम करता है. सरसों के तेल की मसाज rheumatic और arthritic दर्द में भी आराम देता है. इसके साथ ही मोच और जोड़ो के अन्य दर्द होने पर भी आराम देता है. इसकी एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रकृति जोड़ो और त्वचा की सुजन को भी कम करता है. arthritic दर्द होने पर लहसुन की 3 से 4 कलियों को 2 चम्मच सरसों के तेल में गर्म कर लें. अब इस तेल को जोड़ो पर लगायें, दर्द में आराम मिलेगा.
9. एंटी बैक्टीरियल :
सरसों के तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते है क्योंकि इसमें glucosinolate की उच्च मात्रा पायी जाती है जो bacteria के निर्माण को कम करता है. इसके साथ ही फंगी और अन्य डेडली माइक्रोब्स की ग्रोथ को भी रोकता है. इसका सेवन करने से urinary tract, colon, intestines और पाचन तंत्र के अन्य भाग में हुए बैक्टीरिया इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है. इसके साथ ही कफ और सर्दी की समस्या में भी आराम देता है. और यदि इसका प्रयोग त्वचा पर किया जाये तो बैक्टीरियल इन्फेक्शन से छुटकारा मिलता है.
10. एंटी फंगल :
सरसों के तेल में एंटी फंगल गुण भी पाए जाते है. क्योंकि इसमें allyl isothiocyanate नामक एक तत्व मौजूद होता है जो फंगल बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है. इसके अलावा ये तेल रैशेज और फंगी के कारण उत्पन्न हुए अन्य स्किन इन्फेक्शन को भी ठीक करता है.
11. मलेरिया के लिए :
सरसों का तेल मच्छरों से संबंधित समस्या के लिए बेहद लाभदायक सिद्ध होता है. साथ ही मलेरिया और insect-borne बिमारियों को ठीक करने में भी मदद करता है.