हिन्दू धर्म में सावन का महीना बहुत खास होता है क्योंकि इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है साथ ही इस दौरान बारिश की बूंदें सावन के महीने को और खास बना देती है। और यदि सावन के महीने के धार्मिक महत्व की बात की जाये तो यह महीना शिव परिवार को समर्पित होता है। और इस महीने में भगवान् शिव और माँ पार्वती के साथ गणेश जी, कार्तिकेय, नंदी जी को यदि पूरे भक्ति भाव से पूजा जाए तो आपके मन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
देशभर में भक्तजन सावन के महीने का इंतज़ार करते हैं कुछ लोग तो अपने स्थानों से हरिद्वार तक कावड़ लेने जाते हैं और हरिद्वार से पैदल कावड़ लेकर आते हैं। साथ ही पूरे रास्ते उनके मुँह से केवल भोलेबाबा की जयकार निकलती है। इसीलिए सावन के महीने में पाठ पूजा का भी बहुत अधिक महत्व होता है ऐसे में जो लोग मंदिर नहीं जा सकते या जिनके घर के आस पास कोई मंदिर नहीं है तो वो घर में रहकर भी भोलेबाबा की पूजा व् अराधना कर सकते हैं। तो आइये अब इस आर्टिकल में हम आपको घर में रहकर ही सावन के महीने में पूजा कैसे की जाती है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
घर में रहकर सावन की पूजा कैसे करें?
सावन के महीने में पाठ पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसे में यदि सावन के महीने में पाठ पूजा अच्छे से की जाएँ और पूरे भक्ति भाव से भोलेबाबा को याद किया जाये तो भोलेबाबा की कृपा सदा आ पर बरसती रहती है। तो आइये अब जानते हैं की घर में रहकर सावन महीने में पूजा कैसे की जाती है।
- सुबह समय से उठकर घर की साफ़ सफाई कर लें और उसके बाद नहा धोकर तैयार हो जाएँ।
- उसके बाद घर का मंदिर साफ़ करके मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- गंगाजल का छिड़काव करने के बाद मंदिर में दीप जलाएं।
- उसके बाद सभी देवी देवताओं को फूल अर्पित करें।
- फूल अर्पित करने के बाद घर में बैठकर सावन के सोमवार की कथा पढ़े, शिव चालीसा का पाठ करें, ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
- फिर भोलेबाबा की आरती करके उन्हें भोग लगाएं।
- भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी में बाटें।
- पूरा सावन का महीना आप इसी तरह घर में रहकर भी पूजा कर सकती है।
- इसके अलावा यदि आप चाहे तो सावन के महीने में शिव पुराण लाकर भी पढ़ सकते हैं।
तो यह हैं सावन में घर में रहकर पूजा किस तरह से करें उससे जुड़े टिप्स, ऐसे में यदि आपके घर के आस पास भी कोई मंदिर नहीं है तो आप भी घर में रहकर पूजा पाठ कर सकते हैं। क्योंकि भगवान् आपका भक्ति भाव देखते हैं न की यह देखते हैं की आप मंदिर जाते हैं या नहीं जाते हैं।