गर्भावस्था के चौथे से छटे महीने को सेकंड ट्रिमेस्टर यानि की दूसरा तिमाही का नाम दिया जाता है। प्रेगनेंसी के एस दूसरे भाग में शिशु पहले से और बड़ा और मजबूत बनता है। बेबी के बढ़ते आकर से गर्भवती महिला का पेट और भी बाहर की तरफ निकल जाता है। बहुत सी महिलाओं को प्रेगनेंसी का यह भाग पहले से ज्यादा आसान लगता है। पर फिर भी यह भाग शिशु की ग्रोथ के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है। इस भाग में भी गर्भवती महिला में बड़े शारीरिक बदलाव होते है। आइये जानते है इन महीनो के दौरान गर्भवती महिला किन किन बदलावों से गुजरती है और शिशु की कितनी ग्रोथ होती है।
शारीरिक बदलाव
प्रेगनेंसी के इस दूसरे भाग के दौरान पहले तीन महीनो के लक्षणों में सुधार होने लगता है। अधिकतम महिलाओं के अनुसार प्रेगनेंसी का यह समय बहुत खुशनुमा होता है। इन दिनों में महिला को कोई उल्टी, सर दर्द, घबराहट आदि पहले से कम हो जाता है। प्रेगनेंसी के इन तीन महीनो में गर्भवती महिला का गर्भाशय पहले अधिक बड़ा हो जाता है। इस दौरान पेट पहले से बड़ा, कम ब्लड प्रेशर के कारण घबराहट, स्ट्रेच मार्क्स, खुजली, पैरो या हाथो पर सूजन आदि का सामना करना पड़ सकता है। पेट का आकर बड़ा होने से मसल्स खिंचती जिसके कारण खुजली होने लगती है। ज्यादा खुजली करने के कारण स्ट्रेच मार्क्स पड़ने लगते है।
इस समय में गर्भवती महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। अपने खाने और पीने का अच्छे से ध्यान रखते हुए हाइड्रेट रहने के लिए अच्छे से फलो का रस, जूस और पेय प्रदार्थ का सेवन करने चाहिए। इसके अलावा इस समय में आप ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी कर सकते है। गर्भावस्था के दूसरे भाग में हर महिला को दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। इस समय में ज्यादा खुजली होने पर नाखुनो से ना खुजाये बल्कि नारियल तेल या कोई मॉइस्चराइजर से हल्के हाथो से मालिश करें।
मानसिक बदलाव
गर्भावस्था के चौथे माह से लेकर छटे माह तक का समय पूरी प्रेगनेंसी का सबसे सुखद समय होता है। यह समय इसलिए खास होता है क्योंकि इस समय में आप अपने शिशु की हर हरकत को महसूस कर सकते है। बच्चे की छोटी छोटी मूवमेंट्स को महसूस कर के आपको मानसिक संतुष्टि मिलती है। वैसे तो पूरी प्रेगनेंसी के दौरान खुश रहना चाहिए क्योंकि हमारी हर चीज का असर बेबी पर पड़ता है परन्तु यह समय ऐसा होता है जब गर्भवती महिला खुद पर खुद ही खुश रहना शुरू कर देती है। कभी कभी कुछ महिलाये मानसिक तनाव महसूस कर सकती अगर प्रेगनेंसी में कुछ कम्प्लीकेशन हो तो।
जैसा की हम पहले भी बता चुके है गर्भावस्था में स्ट्रेस दूर करने का सबसे आसान उपाय होता है मैडिटेशन और योगा। मैडिटेशन और योगा सिर्फ गर्भवती महिला के लिए ही नहीं बल्कि उनके शिशु के लिए भी फायदेमंद होती है।
शिशु का विकास
प्रेगनेंसी के चौथे से छटे महीने में भ्रूण का बहुत अच्छे से विकास हो जाता है। इस समय में शिशु के सभी ऑर्गन्स यानि के सभी अंगो का निर्माण हो चूका होता है। इस समय में बेबी में सुनने के शक्ति आ जाती है। छटा महीना शुरू होते होते बेबी गर्भाशय में घूमना शुरू कर देता है। इस समय में जब जब हम कुछ खाते या पीते तब तब गर्भ में शिशु घूमता है या लात मरता है। अगर आप ध्यान दे तो आपको पता लगेगा के इस समय में आपका शिशु कब सो रहा है कब जाग रहा है।
शिशु के इस विकास और हरकतों से आपको शिशु के बारे में जानकारी मिलती रहती है जिससे आपको ख़ुशी और शांति का अनुभव होता है। प्रेगनेंसी के इस भाग में आपको पूरा सचेत रहने के जरुरत होती है क्योंकि इस समय के अंत तक भी अगर आप बेबी की मूवमेंट्स को महसूस नहीं कर पा रहे तो अपने डॉक्टरों से जरूर बताये। डॉक्टरों के अनुसार छटे महीने के अंत तक शिशु की लम्बाई 14 इंच तक बढ़ जाती है।