गर्भवस्था के दौरान गर्भनाल का सबसे अहम रोल होता है क्योंकि गर्भनाल ही वह माध्यम है जिसके जरिये शिशु तक पोषण पहुंचाया जाता है, शिशु को संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, रक्त व् ऑक्सीजन का प्रवाह भी गर्भनाल के माध्यम से ही शिशु में होता है। इसीलिए गर्भनाल को शिशु के लिए लाइफलाइन कहा जा सकता है। गर्भनाल में कोई नस नहीं होती है इसीलिए शिशु के जन्म के बाद आसानी से इसे काटकर शिशु से अलग कर दिया जाता है, क्योंकि जन्म के बाद शिशु अपने आप सांस ले सकता है, अपने आप दूध पी सकता है, अब उसे गर्भनाल की नहीं बल्कि अपने विकास के लिए माँ के दूध की जरुरत होती है।
लेकिन कई बार नौवें महीने के अल्ट्रासॉउन्ड में पता चलता है की शिशु की गर्भनाल उसके गले में लिपटी हुई है, तो ऐसे में महिला घबरा सकती है, या आपकी डॉक्टर आपको जल्द से जल्द सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु को जन्म देने के लिए प्रेरित कर सकती है। ऐसे में सबसे पहले तो महिला को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि घबराने से आपकी समस्या का हल नहीं होगा। बस आपको डॉक्टर द्वारा बताई गए टिप्स का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी भी तरह की शिशु या महिला को दिक्कत न हो। इसके अलावा महिला जो ज्यादा मूवमेंट करने की बजाय जितना हो सके आराम करना चाहिए।
शिशु गर्भनाल गले में क्यों लपेट लेता है?
प्रेगनेंसी एक ऐसा समय होता है जहां महिला द्वारा की गई गई लापरवाही के कारण महिला व् शिशु की सेहत पर गलत असर पड़ सकता है। और कई बार बिना किसी लापरवाही के भी आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है जैसे आज कल ऐसे बहुत से केस देखने को मिलते हैं जिसमे महिला को अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से पता चलता है की शिशु ने गले में गर्भनाल लपेटी हुई है। और गर्भ में शिशु के साथ ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं, तो आइये अब जानते हैं की गर्भनाल को शिशु गले में क्यों लपेट लेता है।
समय पूर्व प्रसव
जो शिशु समय से पहले ही पैदा हो जाते हैं उन शिशु के गले में गर्भनाल लिपटे होने के चांस ज्यादा होते है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए महिला को प्रेगनेंसी के दौरान अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि महिला और शिशु को हर परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सके, ।
लम्बी गर्भनाल
कुछ केस ऐसे भी होते हैं जिनमे गर्भनाल थोड़ी ज्यादा लम्बी होती है, और लम्बी होने के कारण शिशु जब गर्भ में मूवमेंट करता है। तो इसके कारण भी शिशु के गले में गर्भनाल लिपटने के चांस अधिक होते हैं।
शिशु की पोजीशन
प्रसव के दौरान शिशु का सिर सबसे पहले बाहर आता है लेकिन कई बार शिशु के अपनी सही पोजीशन में न आने के कारण या शिशु के उल्टा होने के कारण प्रसव के समय शिशु के पैर पहले बाहर आते हैं। ऐसा होने पर भी शिशु के गले में नाल लिपटने के चांस अधिक होते हैं।
ज्यादा एमनियोटिक फ्लूड
भ्रूण गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूड में रहता है और शिशु को गर्भ में सुरक्षित रहने में लिए एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा का सही होना बहुत जरुरी होता है। लेकिन कई बार एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा बढ़ जाती है, ऐसा होने के कारण शिशु की मूवमेंट ज्यादा तेजी से हो सकती है जिसके कारण भी गर्भ में शिशु के गले में गर्भनाल लिपटने की सम्भावना बढ़ जाती है।
शिशु की हलचल
गर्भ में शिशु हलचल करता है, किक मारता है, घूमता हैं, और भी बहुत सी हरकतें करता है, ऐसे में कई बार घुमते घुमते शिशु गर्भनाल में लिपट भी जाता है। और उसमे से अपने आप को बाहर भी निकाल लेता है। और कुछ केस में डिलीवरी के समय पास आने पर यह परेशानी के रूप में सामने आता है, क्योंकि गर्भनाल का शिशु के गले में ज्यादा लिपट जाने शिशु तक ऑक्सीजन के प्रवाह को कम कर सकता है जिसके कारण शिशु को दिक्कत हो सकती है।
जुड़वाँ बच्चे
गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होने के कारण भी शिशु के गले में गर्भनाल लपेट लेने के चांस अधिक होते हैं। ऐसा जरुरी नहीं है की हर केस में हो, लेकिन जुड़वाँ बच्चे गर्भ में होने पर ऐसा होने के चांस अधिक होते हैं।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से शिशु गले में गर्भनाल लपेट लेता है, ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपने अच्छे से ध्यान रखना चाहिए, और जैसे ही अल्ट्रासॉउन्ड के बाद आपको पता चलता है की गर्भ में शिशु ने अपने करतब दिखने शुरू कर दिए हैं तो उस समय जो डॉक्टर द्वारा सही आपको बताया जाये आपको वही करना चाहिए।