प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में शिशु का विकास पूरी तरह से अपनी माँ पर ही निर्भर करता है ऐसे में जितना अच्छे से प्रेग्नेंट महिला अपना ध्यान रखती है उतना ही माँ व् बच्चे दोनों को फिट रहने में मदद मिलती है। लेकिन कई बार ऐसा होता है की गर्भ में शिशु दिक्कत महसूस करता है। ऐसे में शिशु को कोई दिक्कत न हो इसका ख्याल भी महिला को ही रखना पड़ता है। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं की गर्भ में शिशु कब दिक्कत महसूस करता है। और महिला को इसके लिए क्या क्या करना चाहिए।
शिशु को गर्भ में कब होती है दिक्कत
वैसे तो माँ के गर्भ में शिशु बिल्कुल सेफ होता है लेकिन कई बार गर्भ में शिशु दिक्कत महसूस करने लगता है। तो आइये जानते हैं कब होती है माँ के पेट में शिशु को दिक्कत।
पेट पर दबाव पड़ने पर
किसी भी कारण यदि प्रेग्नेंट महिला के पेट पर दबाव पड़ता है जैसे की झुककर काम करने पर, पेट के बल काम करने पर, सम्बन्ध बनाने पर, उल्टा सोने पर, आदि। तो जैसे ही पेट पर दबाव ज्यादा होता है तो इसके कारण गर्भ में बच्चा दिक्कत महसूस करता है।
ज्यादा तेज आवाज़ होने पर
बच्चे का शारीरिक विकास बढ़ने के साथ बच्चे के अंगो का विकास भी अच्छे से होना शुरू हो जाता है। ऐसे में जब गर्भ में बच्चा कोई तेज आवाज़ सुनता है तो उसे सुनकर घबरा जाता है। जिसके कारण गर्भ में शिशु डर कर तेजी से हलचल करना शुरू कर देता है और दिक्कत महसूस करता है।
जब महिला तनाव में होती है
ऐसा माना जाता है की जब माँ खुश होती है तो पेट में बच्चा भी खुश रहता है लेकिन जब माँ परेशान होती है तो गर्भ में बच्चा भी परेशान होता है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला यदि तनाव लेती है तो इसका बुरा असर गर्भ में बच्चे पर भी पड़ता है। और गर्भ में बच्चा परेशानी का अनुभव करता है।
बच्चे का विकास सही न होने पर
प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला अपने खान पान, अपनी हेल्थ का अच्छे से ध्यान रखती है तो इससे शिशु का विकास भी अच्छे से होता है। लेकिन यदि महिला अपनी हेल्थ के प्रति किसी भी तरह की लापरवाही करती है तो इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में आती है और गर्भ में शिशु को दिक्कत होती है।
ज्यादा टाइट कपड़े पहनने पर
गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान अपने साइज से थोड़े खुले, सूती व् आरामदायक कपडे पहनने की सलाह दी जाती है। लेकिन यदि महिला ज्यादा टाइट कपडे पहनती है तो इसके कारण महिला को परेशानी होने के साथ पेट पर दबाव भी बढ़ता है। और जब महिला के पेट पर दबाव पड़ता है तो इसके कारण गर्भ में शिशु को दिक्कत महसूस होती है।
प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में
गर्भावस्था के आखिरी दिनों में शिशु का विकास अच्छे से हो चूका होता है ऐसे में गर्भ में शिशु को घूमने के लिए उतनी जगह नहीं मिल पाती है। जिसके कारण शिशु गर्भ में असहज महसूस कर सकता है। साथ ही शिशु उस दौरान अपने जन्म लेने की सही पोजीशन में आने की कोशिश करता रहता है।
गर्भ में शिशु को होने वाली दिक्कत से बचाने के टिप्स
- महिला को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे महिला के पेट पर दबाव पड़े।
- पेट के बल नहीं सोएं।
- ज्यादा तेज आवाज़ में गाने नहीं सुनें या ऐसी किसी जगह पर नहीं जाएँ जहां तेज आवाज़ हो।
- प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में अपना अच्छे से ध्यान रखें।
- तनाव नहीं लें खुश रहें।
- अपने पहनावें का ध्यान रखें
- खान पान का अच्छे से ध्यान रखें ताकि गर्भ में शिशु को पोषक तत्व भरपूर मिल सकें और शिशु के विकास में किसी भी तरह की कमी न आये।
- प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में सम्बन्ध बनाने से बचे क्योंकि इसके कारण गर्भ में शिशु परेशानी का अनुभव करता है।
तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भ में शिशु को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में गर्भ में शिशु को कोई दिक्कत न हो इसके लिए गर्भवती महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। साथ ही यदि आपको कोई भी परेशानी हो तो इसे अनदेखा नहीं करें क्योंकि कई बार छोटी सी लापरवाही माँ के साथ बच्चे पर भी बुरा असर डाल सकती है।
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