शादी के बाद महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती है :- हिन्दू धर्म में सिंदूर हर सुगहन स्त्री के लिए बेहद ख़ास महत्त्व रखता है। सिंदूर, सुहाग के लिए किये जाने वाले 16 श्रृंगारो में से एक है। जिसे हर सुहागन स्त्री को करना जरुरी होता है। सुहागन स्त्री के लिए Sindur को सुहाग के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसीलिए हिन्दू परंपरा में विवाह के पश्चात् हर स्त्री को सिंदूर लगाना आवश्यक होता है।
यदि पिछले समय की तुलना वर्तमान समय से की जाये तो मांग में Sindur भरने का प्रचलन कुछ कम होता जा रहा है। लेकिन आज भी ऐसी कई स्त्री है जो पूरी मांग में सिंदूर भर्ती है। फैशन के साथ-साथ आज कल सिंदूर की भी नयी-नयी वैराइटियां आने लगी है। कोई लिक्विड सिंदूर लगाना पसंद करती है तो कोई पेंसिल सिंदूर लगाती है। परंतु धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो कैमिकल वाला सिंदूर लगाना सही नहीं है।
ऐसे तो मांग में सिंदुर लगाना हिन्दू परंपराओं के रिवाजो में से एक है जिसे हर स्त्री को पालन करना होता है। परंतु जैसा की आप सभी जानते है की हिन्दू धर्म की हर रीती-रिवाज़ के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण छुपा होता है। इसी प्रकार इस प्रथा के पीछे भी एक बेहद ख़ास वैज्ञानिक कारण छुपा है। जिसकी जानकारी हम आपको आगे देंगे।
भारत में बनाये गए सभी रीत-रिवाज़ हर प्रकार की खरी कसौटी पर उतरकर बनाये गए है। हालाँकि कुछ लोग इन्हें पाखंड और अंध विश्वास का नाम देकर झूठ बताते है जबकि ऐसा नहीं है। हिन्दू धर्म में बनाये गए रिवाजो के पीछे वैज्ञानिक कारणों की जानकारी सबको नहीं होती इसीलिए कई बार इन्हें महत्व पर ध्यान नहीं देते। आज हम आपको विवाहिता स्त्रियों द्वारा मांग भरी जाने के विषय में सभी तथ्य बताने जा रहे है। जिन्हें जानकर आपको हैरानी अवश्य होगी।
विवाहिता स्त्री के लिए सिंदूर और मंगल सूत्र को सबसे अहम और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे अपने पति की लंबी आयु के लिए भी धारण किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर मांग में ही सिंदूर क्यों लगाया जाता है? और विवाह के बाद इसे लगाना अनिवार्य क्यों होता है? शायद हां या हो सकता नहीं। कोई बात नहीं हम बताते है।
हिन्दू धर्म वैदिक परंपरा के अनुसार शादी के बाद सभी महिलाओ को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक होता है। इसके पीछे भी एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण छुपा है। वैज्ञानिको की माने तो मांग में Sindur भरने का संबंध स्त्री के पूर्ण शरीर से है। विवाह के पश्चात सिंदूर मस्तिष्क के मध्य में भरा जाता है। वैज्ञानिको के अनुसार महिलाओ के मस्तिष्क के मध्य भाग में एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है जिसे ब्रहमरंध्र कहा जाता है।
ब्रहमरंध्र ग्रंथि बेहद सहनशील ग्रंथि होती है। ये ग्रंथि महिला के मस्तिष्क के अगर भाग से शुरू होकर मस्तिष्क के मध्य में खत्म होती है। मस्तिष्क के इसी भाग में स्त्रियां सिंदूर लगाती है। इसीलिए ब्रहमरंध्र ग्रंथि के शुरूई शुरू से लेकर अंत तक Sindur लगाया जाता है। सिंदूर में पारा नाम की एक धातु पायी जाती है, जो ब्रहमरंध्र ग्रंथि के लिए बहुत ही प्रभावशाली धातु मानी जाती है। माना जाता है पारा नामक यह धातु महिलाओं के मस्तिष्क के तनाव को कम करती है। कहते है सिंदूर में पायी जाने वाली इसी धातु के कारण महिलाओं का मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रहता है।
वैज्ञानिक ये भी मानते है की जब लड़कियों का विवाह होता है तो उस पर कई तरह की जिम्मेदारियां और दायित्व आते है। जिनका प्रभाव सीधा उनके मस्तिष्क पर पड़ता है। जिसकी वजह से विवाह के बाद से ही महिलाओं में सर दर्द और अनिद्रा जैसे समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। सिंदूर में मौजूद पारा एक तरल पदार्थ है जो मस्तिष्क के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसीलिए विवाह के पश्चात हर महिला को Sindur लगाना आवश्यक होता है।
यदि आप भी कॉस्मेटिक आदि से अपनी मांग भरती है तो उन्हें छोड़ Natural Sindur का प्रयोग करना प्रारंभ कर दें। लेकिन हां, हम ये भी नहीं कह रहे की आप अपनी परम्पराओ के विपरीत जाकर कोई काम करें। इसीलिए अपनी परंपरा अनुसार ही अपनी रीत अपनाये।