शरीर की त्वचा पर पड़ने वाली लम्बी, पतली धारियाँ या लकीरें, जिनका रंग आपकी त्वचा से अलग हो, स्ट्रेच मार्क्स कहलाती हैं। ये बहुत ही सामान्य समस्या है, जो की त्वचा के अत्यधिक खिंचाव की वजह से अक्सर हो जाती है। स्ट्रेच मार्क्स स्त्री या पुरुष किसी को भी हो सकते हैं, हालाँकि स्त्रियाँ इससे ज़्यादा प्रभावित होती हैं। स्ट्रेच मार्क्स ज़्यादातर पेट, कूल्हों, बाँह व जाँघ के ऊपरी हिस्सों, छाती या कमर में होते हैं। महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स ज़्यादातर गर्भावस्था के दौरान होते हैं। ज़्यादातर गर्भावस्था के 25वें सप्ताह में स्ट्रेच मार्क्स होने लगते हैं। उसके अलावा भारी कसरत से, वज़न अचानक घटने-बढ़ने से और किशोरावस्था में भी ऐसे निशान शरीर पर पड़ जाते हैं। लगभग 70% लड़कियाँ किशोरावस्था के दौरान स्ट्रेच मार्क्स से प्रभावित होती हैं और लगभग 40% लड़कों में किशोरावस्था के दौरान स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। त्वचा की रचना में तीन परतें होती हैं, सबसे पहली परत अधिचर्म होती है। यह सबसे बाहरी त्वचा होती है, जिसे एपिडर्मिस (Epidermis) भी कहते हैं। इसके बाद मध्य में अंदरूनी परत जिसे डर्मिस (dermis) कहते हैं एवं सबसे निचली परत हायपोडर्मिस (hypodermis) होती है। मुख्यतः स्ट्रेच मार्क्स मध्यम परत में होते हैं। मध्यम परत, डर्मिस में किसी भी तन्तु या कोशिका का खिंचाव स्ट्रेच मार्क्स के लिए जिम्मेदार होते हैं।
स्ट्रेच मार्क्स होने के कारण – स्ट्रेच मार्क्स चिकित्सा की दृष्टि से ख़तरनाक नहीं होते पर कई लोगों के लिए सौंदर्य या चिंता का विषय हो सकते हैं। कई लोग इन स्ट्रेच मार्क्स की वजह से अपने आत्मविश्वास में कमी महसूस करने लगते हैं। स्ट्रेच मार्क्स होने की निम्नलिखित वजहें होती हैं –
गर्भावस्था – गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेच मार्क्स होना बहुत ही सामान्य है। गर्भावस्था में शिशु के बढ़ते आकार और वज़न के साथ त्वचा में खिंचाव आता है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स होते हैं। गर्भावस्था के 25वें सप्ताह से स्ट्रेच मार्क्स होने लगते हैं। इस दौरान स्त्री के शरीर ने कुछ ऐसे हॉर्मोनस का उत्पादन होता है, जिनसे pelvic ligament नर्म पड़ जाते हैं और उनमें लचीलापन आ जाता है। यही हॉर्मोन त्वचा के रेशों को भी नर्म कर देते हैं, जिससे स्ट्रेच मार्क्स बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं।
किशोरावस्था – किशोरावस्था के दौरान शरीर में बहुत सारे परिवर्तन होते हैं, जिनसे स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं। किशोरों में अधिकतर स्ट्रेच मार्क्स कंधे और पीठ पर उभरते हैं, जबकि किशोरियों में जाँघों, कूल्हों व छाती पर उभरते हैं।
एकदम से वज़न बढ़ना – अगर किसी का वज़न अचानक से बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, तब भी स्ट्रेच मार्क्स उभर आते हैं। जैसे कि बॉडी बिल्डर और खिलाड़ी अचानक से अपने मसल्ज़ और वज़न बढ़ लेते हैं।
स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से – Cushing’s syndrome और Marfan syndrome नामक बीमारियों में स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। Marfan syndrome एक आनुवंशिक बीमारी है, इसमें बहुत कमज़ोरी आ जाती है और शरीर के उत्तकों में लचीलापन घट जाता है। Cushing’s syndrome नामक बीमारी में शरीर में cortisol (stress hormone) नाम के हॉर्मोन का अत्यधिक उत्पादन होने लगता है, जिससे वज़न बहुत जल्दी बढ़ता है, ख़ासकर पेट के हिस्से में मोटापा ज़्यादा आ जाता है और इससे त्वचा में अधिक खिंचाव होने लगता है और स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं।
Corticosteroids – eczema यानि की खुजली से राहत के लिए corticosteroid युक्त क्रीम व लोशन के अधिक इस्तेमाल से या लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं, क्यूँकि इनके इस्तेमाल से collagen का स्तर कम होता जाता है और चमड़ी पतली होती जाती है।