लड़का या लड़की ऐसे जानें, प्रेगनेंसी एक ऐसा समय होता है जहां महिला को अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखने के साथ खुश रहने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे प्रेग्नेंट महिला को स्वस्थ रहने के साथ भ्रूण को भी स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानियों व् बॉडी में रहे बदलाव के कारण प्रेग्नेंट महिला तनाव में आ सकती है।
और प्रेगनेंसी के दौरान तनाव प्रेग्नेंट महिला के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। साथ ही इसके कारण शिशु के शारीरिक व् मानसिक विकास पर भी असर पड़ सकता है। इसीलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान खुश रहने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा एक नई रिसर्च में भ्रूण लड़का है या लड़की इसे प्रेग्नेंट महिला के तनाव से जोड़ा जा रहा है।
यानी की जिस तरह से बहुत लोग प्रेग्नेंट महिला के शरीर में हो रहे बदलाव को देखकर अंदाजा लगा लेते हैं। की गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की उसी तरह प्रेग्नेंट महिला के तनाव लेने से भी यह अनुमान लगाया जा सकता है। की गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की है। तो आइये अब इसे जुडी बातों को विस्तार से जानते हैं।
तनाव से कैसे पता चलता है की गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की?
एक रिसर्च के अनुसार ऐसा माना जाता है की तनाव का सबसे ज्यादा असर प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में पड़ता है। और इसी समय में भ्रूण के शरीर के सभी अंगो की आकृतियां बनने के साथ शिशु का लिंग निर्धारण भी होता है। लेकिन इसके बारे में प्रेग्नेंट महिला को पता नहीं चलता है, क्योंकि वह बदलाव बॉडी के अंदर हो रहे होते हैं।
वैसे शिशु के लिंग की जांच करवाना एक कानूनी अपराध है। लेकिन इसका अंदाज़ा लगाना प्रेगनेंसी के दौरान आम बात होती है। खासकर घर के बड़े बुजुर्ग तो अक्सर इसका अंदाजा लगते रहते हैं।वैसे ही गर्भावस्था के दौरान यदि प्रेग्नेंट महिला तनाव लेती है तो इसे देखकर भी बताया जा सकता है की पैदा होने वाला शिशु लड़का होगा या लड़की।
जैसे की यदि प्रेग्नेंट महिला बहुत अधिक तनाव में रहती है तो इसके कारण भ्रूण के लड़का होने की दर घट जाती है और लड़की होने के चांस बढ़ जाते हैं। और यदि महिला खुश रहती है प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक रूप से रिलैक्स रहती है तो इससे भ्रूण के लड़का होने की दर बढ़ जाती है और लड़की होने के चांस घट जाते हैं।
गर्भावस्था में तनाव लेने के नुकसान
प्रेग्नेंट महिला को गर्भावस्था के दौरान तनाव न लेने और मानसिक रूप से रिलैक्स रहने की सलाह दी जाती है। क्योंकि प्रेग्नेंट महिला का तनाव लेना प्रेग्नेंट महिला की मुश्किलों को बढ़ाने के साथ भ्रूण के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी के दौरान तनाव लेने से कौन से नुकसान हो सकते हैं।
- गर्भवती महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ सकती है।
- तनाव लेने के कारण महिला की भूख कम भी हो सकती है और भूख बढ़ भी सकती है और दोनों ही प्रेग्नेंट महिला की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।
- तनाव के कारण महिला आलस अधिक महसूस करती है।
- बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन व् गुस्सा गर्भवती महिला को आ सकता है।
- भ्रूण के शारीरिक व् मानसिक व् मानसिक विकास में कमी का एक कारण प्रेग्नेंट महिला का तनाव लेना भी हो सकता है।
- प्रेग्नेंट महिला के तनाव लेने के कारण समय से पहले डिलीवरी होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।
तो यह है प्रेगनेंसी के दौरान तनाव लेने से लिंग का कैसे पता चलता है। उससे जुडी जानकारी व् प्रनन्सी के दौरान तनाव के कारण कौन से नुकसान हो सकते हैं। तो इन परेशानियों से गर्भवती महिला व् भ्रूण को बचाव मिल सके इसीलिए प्रेग्नेंट महिला को तनाव लेने से बचना चाहिए।