प्रेगनेंसी का तीसरा महीना- लक्षण, डाइट और सावधानियां

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Third Month of Pregnancy Symptoms, Diet and Precautions प्रेगनेंसी के हर महीने महिला नए अनुभव नए अहसास व् नए लक्षण को अनुभव करती है। प्रेगनेंसी का तीसरा महीना महिला के लिए प्रेगनेंसी के पहली तिमाही को पूरा करता है। और यदि महिला तीसरे महीने तक अपनी अच्छे से केयर कर लेती है तो आगे का सफर महिला के लिए थोड़ा आसान हो जाता है। साथ ही प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिला के शरीर में और भी अलग अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा शिशु के शारीरिक विकास में भी वृद्धि हो जाती है।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में महीने में महिला यदि अपना अच्छे से ध्यान रखती है, अपनी डाइट अच्छी रखती है तो इससे शिशु के शारीरिक विकास को मानसिक विकास को शुरुआत से ही बेहतर होने में मदद मिलती है। तो आइये अब इस आर्टिकल में प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिला को क्या-क्या लक्षण महसूस हो सकते हैं, शिशु का शारीरिक विकास कितना हो जाता है, महिला को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने के लक्षण

गर्भावस्था के तीसरे महीने में महिला को शरीर में अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन हर महिला को एक ही जैसे लक्षण महसूस हो ऐसा भी जरुरी नहीं होता है। यह हर महिला के शारीरिक कंडीशन पर निर्भर करता है। ऐसे में हर महिला के शरीर में अलग अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। तो आइये जानते हैं की प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिला के शरीर में कौन-कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं।

पेट में दर्द

तीसरे महीने में गर्भाशय का आकार भी थोड़ा बढ़ जाता है जिसकी वजह से लिगामेंट्स में खिंचाव महसूस होता है। खिंचाव महसूस होने के कारण महिला को पेट में निचले हिस्से में थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है।

कब्ज़

हार्मोनल बदलाव व् बढ़ते गर्भाशय के दबाव के कारण पाचन क्रिया थोड़ा धीमे काम कर सकती है। जिसकी वजह से महिला को कब्ज़ जैसी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

बार बार यूरिन आने की समस्या

बढ़ते गर्भाशय के दबाव के कारण, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिला के यूरिन करने की इच्छा में बढ़ोतरी हो जाती है। और प्रेगनेंसी में जैसे जैसे समय आगे बढ़ता महिला की यह समस्या बढ़ जाती है।

खाने के स्वाद में बदलाव

इस दौरान महिला अपने खान पान के स्वाद में भी बदलाव का अनुभव करती है। जैसे की महिला का उन चीजों को खाने का मन हो सकता है जो महिला को पहले नहीं करता था। साथ ही अब महिला को उन चीजों को खाने का मन नहीं करता है जो महिला का पहले करता था।

स्त्राव हो सकता है

गर्भवती महिला को इस समय प्राइवेट पार्ट से सफ़ेद पानी का स्त्राव महसूस हो सकता है। इसमें घबराने की कोई बता नहीं होती है ऐसा होना बहुत आम होता है। साथ ही यह महिला को संक्रमण की समस्या से बचाये रखने में मदद करता है।

थकान व् कमजोरी

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिला यदि अपनी डाइट का ध्यान नहीं रखती है। पोषक तत्वों से युक्त डाइट का सेवन नहीं करती है, स्ट्रेस में रहती है तो इसकी वजह से महिला को थकान व् कमजोरी की समय बहुत ज्यादा हो सकती है।

तीसरे महीने में महसूस होने वाले अन्य लक्षण

  • इस दौरान महिला को नींद ज्यादा आ सकती है।
  • कुछ महिलाओं को उल्टी की समस्या अधिक तो कई महिलाओं को यह समस्या कम हो सकती है।
  • मूड स्विंग्स होना अधिक चिड़चिड़ाहट महसूस होना इस दौरान बहुत आम बात होती है।
  • ब्रेस्ट में दर्द और सूजा हुआ सा महसूस होना।
  • मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होना।
  • सीने में जलन की समस्या हो सकती है।
  • सिर दर्द की समस्या व् घबराहट महसूस हो सकती है।

गर्भावस्था के तीसरे महीने की डाइट

प्रेगनेंसी में खान पान का बहुत अधिक महत्व होता है। जो गर्भवती महिला अपनी डाइट अच्छे से लेती है उतना ही गर्भवती महिला को स्वस्थ व् एक्टिव रहने में मदद मिलती है। इसके अलावा शिशु को भी अपने विकास के लिए भरपूर पोषक तत्व मिलते हैं। ऐसे में तीसरे महीने में महिला को अपनी डाइट से जुडी किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइये उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

पानी पीएं भरपूर

जितना भोजन शरीर के लिए जरुरी है उतना ही पानी भी शरीर के लिए जरुरी है। ऐसे में गर्भवती महिला को खाने के साथ इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए की महिला दिन भर में आठ से दस गिलास पानी जरूर पीएं।

अन्य तरल पदार्थ भी लें

पानी के साथ निम्बू पानी, घर में निकला फलों का ताजा रस आदि भी महिला ले सकती है। इनसे महिला के शरीर में पानी की मात्रा भी पूरी होती है साथ ही महिला को फलों में मौजूद पोषक तत्व भी मिलते हैं। ध्यान रखें की घर में निकला जूस पीएं न की डिब्बाबंद जूस का प्रयोग करें।

कैल्शियम युक्त डाइट ले

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में गर्भ में शिशु के शरीर की आकृतियां बन चुकी होती है और अब उन अंगों के विकास का समय होता है। खासकर हड्डियों का विकास ऐसे में महिला के लिए कैल्शियम युक्त डाइट का सेवन करना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए महिला डेयरी प्रोडक्ट्स, फल, दालें आदि का भरपूर सेवन कर सकती है।

फाइबर युक्त डाइट लें

तीसरे महीने में अपनी डाइट में फाइबर युक्त खाद्य पदाथों को भी शामिल करें। क्योंकि इस दौरान पाचन क्रिया धीमे होने के कारण महिला को पेट सम्बन्धी समस्या हो सकती है ऐसे में फाइबर युक्त डाइट लेने से महिला की इस परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है। फाइबर के लिए महिला केला, मूंग दाल, व् अन्य चीजों का सेवन कर सकती है।

फल व् सब्जियां ले भरपूर

गर्भावस्था के दौरान महिला को फलों व् सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए क्योंकि महिला को फलों व् सब्जियों से भरपूर मात्रा में अलग अलग तरह क विटामिन्स मिनरल्स मिलते हैं। जो प्रेग्नेंट महिला व् शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। खासकर मौसमी सब्जियों व् फलों का तो खूब सेवन करना चाहिए।

दालें

फल व् सब्जियों के साथ महिला को दिन में एक समय में किसी न किसी दाल का सेवन भी जरूर करना चाहिए। क्योंकि दालें भी आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम का बेहतरीन स्त्रोत होती है। ऐसे में दालों का सेवन करने से शिशु के शारीरिक व् मानसिक विक्स को बेहतर करने में मदद मिलती है।

तीसरे महीने में खाने से जुड़े अन्य टिप्स

  • एक बार भरपेट खाने की बजाय थोड़ा थोड़ा करके खाएं ताकि खाने को आसानी से हज़म करने में मदद मिल सकें।
  • बासी व् ठंडा खाना खाने से बचें हमेशा ताजा खाना बनाकर ही खाएं।
  • किसी भी खाद्य पदार्थ को खाने से यदि आपको दिक्कत महसूस होती है तो उन चीजों का सेवन नहीं करें।
  • डिब्बाबंद चीजें नहीं खाएं।
  • जनक फ़ूड का सेवन करने से बचें।
  • कुछ चटपटा खाने का मन है तो घर में ही नई नई रेसिपीज ट्राई करें।
  • कच्चा अंडा, नॉनवेज आदि को खाने से बचें।
  • नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करें साथ ही जहां पर इन चीजों का सेवन कोई कर रहा हो वहां भी जाने से बचें।
  • डॉक्टर द्वारा बताएं गए विटामिन्स का समय से सेवन करें।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में शिशु का विकास

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में शिशु का विकास तेजी से बढ़ने लगता हैं। शिशु के अंग लगभग बन चुके होते हैं इसके अलावा शिशु के विकास में और भी बदलाव आ चुके होते है और आ रहे होते हैं। जैसे की:-

  • शिशु इस दौरान ढाई इंच लम्बा हो जाता है और शिशु का वजन भी पच्चीस से तीस ग्राम के बीच हो जाता है।
  • शिशु का दिल पूरी तरह से काम करना शुरू कर चूका होता है और आप डोपलर की मदद से किसी भी समय डॉक्टर के पास जाकर शिशु के दिल की धड़कन को सुन सकते हैं।
  • इस दौरान शिशु का प्रजनन अंग भी बन चूका होता है।
  • शिशु के फेफड़े गुर्दे, पाचन तंत्र आदि सब बन चूका होता है।
  • गर्भ में शिशु के दिमाग का विकास भी होना शुरू हो जाता है।
  • शिशु की हड्डियों का ढांचा पूरी तरह से तैयार हो जाता है।
  • गर्भ में शिशु की आँख, कान, नाक सब बन चुके होते हैं, नाख़ून आने लग जाते हैं।

क्या प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में सम्बन्ध बना सकते हैं?

गर्भावस्था के तीसरे महीने में महिला को सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए क्योंकि शुरूआती तीन महीने महिला के लिए अबे ज्यादा नाजुक होते हैं। और ऐसे में यदि कोई गलती हो जाये तो इसकी वजह से दिक्कत हो सकती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में महिला को सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए और उनके पार्टनर को भी उनका साथ देना चाहिए और उन्हें प्रेगनेंसी में संभालना चाहिए ताकि प्रेगनेंसी को और भी आसान बनाने में मदद मिल सके।

गर्भावस्था के तीसरे महीने में बरतें यह सावधानियां

  • गर्भवती महिला को ज्यादा उछल कूद नहीं करनी चाहिए।
  • डाइट नहीं करनी चाहिए।
  • पेट के बल कोई काम नहीं करना चाहिए।
  • ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह, प्रदूषण वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए।
  • अपने साइज से थोड़े ढीले कपडे पहनें।
  • नींद में लापरवाही नहीं करें बल्कि भरपूर नींद लें।
  • लम्बे समय तक पैरों के भर बैठकर काम करने, झुककर काम करने से बचें।
  • डॉक्टर से समय से अपनी जांच करवाएं।
  • तनाव नहीं लें बल्कि खुश रहें।
  • बिना डॉक्टरी सलाह के दवाइयों का सेवन नहीं करें।
  • आराम जरूर करें न की शरीर को हमेशा थकाकर रखें।
  • जरुरत से ज्यादा व्यायाम नहीं करें।
  • यदि आपको डॉक्टर इस दौरान अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बोलते हैं तो आपको समय से उसे करवा लेना चाहिए। या फिर अन्य कोई भी जांच डॉक्टर करवाने के लिए बोलते हैं तो आपको वो भी करवा लेना चाहिए। ताकि आगे चलकर कोई दिक्कत न आये।

तो यह हैं प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिला को क्या लक्षण महसूस हो सकते हैं, महिला को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, आदि। यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आपको भी इन टिप्स को जरूर फॉलो करना चाहिए ताकि आपको प्रेगनेंसी को आसान बनाने में मदद मिल सकें।

ध्यान रखें:- इसके अलावा आप प्रेगनेंसी से जुडी किताबे पड़े, डॉक्टर से सलाह लें, हर किसी की बातों को न मानें, आदि। क्योंकि इन सभी टिप्स से आपको प्रेगनेंसी को समझने में मदद मिलती है।

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