गर्भावस्था के सातवें से नौवें महीने को थर्ड ट्रिमेस्टर या तीसरे भाग के नाम से जाना जाता है। प्रेगनेंसी का यह समय गर्भवती महिला के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस भाग के अंत में डिलीवरी का समय आ जाता है। इस समय में गर्भवती महिला को बहुत से टेंशन भी होती है। आइये देखते है गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनो में कैसे बदलाव होते है और कैसे अपना ध्यान रखना होता है।
शारीरिक बदलाव
प्रेगनेंसी के आखिरी तीन महीनो में गर्भवती महिला को ज्यादा कमर दर्द, सूजन, चलने फिरने के परेशानी आदि से गुजरना पड़ता है। इस समय में बेबी गर्भाशय में बहुत सी मूवमेंट्स करता है। इस दौरान पेट कई बार बहुत ज्यादा टाइट हो जाता है। सामान्यतः पेट के टाइट होने से दर्द नहीं होता फिर भी अगर दर्द महसूस हो तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इस समय में गर्भाशय पर प्रेशर ज्यादा बढ़ने से बार बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है। प्रेगनेंसी के आखिरी महीनो में स्तनों में दूध अच्छे से भरा होने के कारण कई बार दूध रसाव भी होने लगता है। इस समय में गर्भवती महिला को नींद कम आने की परेशानी से भी गुजरना पड़ता है।
गर्भवस्था के इस भाग में शिशु और अपना ध्यान रखने के लिए अच्छे से भोजन करे। भोजन में दो से ज्यादा घंटो का गैप ना दे। इस समय में डॉक्टर द्वारा बताई गयी विटामिन्स और आयरन की दवाइयां समय पर लेते रहे। इस दौरान फल, सब्जियां और फाइबर से भरपुर भोजन जरूर खायें। अच्छे से आराम ले और रात में कम से कम 8 घंटे की नींद और दिन में 2 घंटे की नींद लें। एक्टिव रहने के लिए मॉर्निंग वाक जरूर करें।
मानसिक बदलाव
इस भाग में लगभग सभी महिलाये डिलीवरी को लेकर बहुत चिंतित रहती है। इस समय में बहुत सी महिलाये ज्यादा स्ट्रेस लेती है। नींद कम आने से भी तनाव उनके चेहरे पर नजर आता है। इसके लिए जरुरी है के अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर आपको सोने के लिए सही पोजीशन बताएंगे जिससे आपको आराम करने में आसानी होगी। इसके अतिरिक्त डॉक्टर से आप डिलीवरी को लेकर भी बात कर सकते है जिससे आपका स्ट्रेस कम हो।
शिशु का विकास
प्रेगनेंसी के इस भाग में शिशु की मूवमेंट्स सबसे महत्वपूर्ण होती है। जैसे जैसे डिलीवरी का समय आता है भ्रूण का पूरी तरह विकास हो जाता है उसी हिसाब से शिशु की हरकते भी बदल जाती है। आखिरी महीने में शिशु पैर मारने के बजाय पेट में पूरी तरीके से घूमने लगता है। बेबी की इन मूवमेंट्स पर हमेशा ध्यान दीजिये। जब भी आप खाना खाये तो अपने शिशु की मूवमेंट्स को गिनिए। इस समय में आपके डॉक्टर भी आपको बेबी की मूवमेंट्स काउंट करने को कहते है। उनके हिसाब से एक घंटे में कम से कम शिशु की 8 से 10 मूवमेंट्स जरूर होनी चाहिए। अगर आपको इस समय में अपने शिशु की मूवमेंट्स महसूस नहीं हो पाती तो अपने डॉक्टर को जरूर बताये।