गर्भावस्था का समय महिला के लिए बहुत ही खूबसूरत व् प्यारा समय होता है। क्योंकि इस दौरान महिला एक नन्ही जान को अपने अंदर पाल रही होती है और इस दौरान महिला ऐसे बहुत से खूबसूरत अहसास को महसूस करती है जो कि केवल एक महिला को ही महसूस हो सकते है। साथ ही पूरी प्रेगनेंसी के दौरान महिला उस पल का बेसब्री से इंतज़ार भी करती है जब शिशु इस दुनिया में आने के लिए पूरी तरह से तैयार होता है।
वैसे गर्भावस्था की शुरुआत में ही महिला को एक अनुमानित डिलीवरी डेट बता दी जाती है। और उसी डेट से एक डेढ़ हफ्ता पहले या बाद में बच्चे का जन्म हो जाता है। और डिलीवरी पहले होगी या बाद में यह पूरी तरह से गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति और महिला के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आज इस आर्टिकल में हम आपसे डिलीवरी से जुडी कुछ बातें करने जा रहे हैं जिसमे हम आपको डिलीवरी डेट निकल जाने पर भी यदि महिला को पेन नहीं होता है तो महिला को क्या करना चाहिए उसके बारे में बताएंगे। लेकिन उससे पहले जानते हैं की डिलीवरी लेट होने के क्या कारण होते हैं।
लेट डिलीवरी होने के कारण
- यदि आपकी पहली डिलीवरी भी ऐसे ही हुई हो की डेट निकल गई हो और उसके बाद आपको प्रसव पीड़ा या डिलीवरी हुई हो।
- कुछ कारणों में ऐसा होना जेनेटिक भी होता है यानी की यदि आपकी माँ या बहन के साथ ऐसा हुआ हो तो आपसे साथ भी ऐसा हो सकता है।
- जरुरत से ज्यादा वजन होने के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- अधिक उम्र में माँ बन रही हैं तो भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- गर्भ में शिशु का विकास सही न होने के कारण शिशु अपने जन्म लेने की सही पोजीशन में नहीं आ पाता है यदि ऐसा होता है तो भी कुछ केस में महिला की डिलीवरी लेट हो सकती है।
- कई बार आपकी लास्ट पीरियड की डेट सही न पता होने के कारण भी ड्यू डेट की गिनती गलत हो सकती है जिसकी वजह से आपको इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
लेट लेबर यानी डिलीवरी होने का क्या मतलब होता है?
लेट लेबर होने का मतलब यह होता है की ज्यादातर केस में महिला की डिलीवरी छत्तीस से चालीसवें हफ्ते के बीच में हो जाती है। लेकिन यदि डिलीवरी इस समय से पहले हो जाये तो उसे समय पूर्व प्रसव कहा जाता है जिसमे बच्चे प्रीमैच्योर होते हैं। और यदि चालीसवें या इकतालीसवें हफ्ते के बाद भी महिला को शरीर में प्रसव का कोई लक्षण महसूस नहीं होता है। तो इसका मतलब यह होता है की महिला को लेट लेबर की समस्या है।
ड्यू डेट निकल जाने के बाद महिला को क्या करना चाहिए?
यदि महिला की डिलीवरी डेट निकल जाती है तो सबसे पहले महिला को बिना देरी किये हुए डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि डॉक्टर आपकी सही से जांच कर सके की आपके और आपके बच्चे के लिए अभी आगे और समय निकालना ठीक है या नहीं। यदि डॉक्टर को ऐसा लगेगा की आपका बच्चा अभी ठीक है और आपको दो चार दिन और इंतज़ार करना चाहिए तो आप कर सकती है। लेकिन यदि आपको डॉक्टर मना कर देता है तो उसके बाद आपको डॉक्टर द्वारा आर्टिफिशल पेन देकर या फिर सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जा सकती है। ताकि माँ और बच्चे दोनों को ही गर्भ में किसी भी तरह का रिस्क नहीं हो। और आपको भी बच्चे को रिस्क से बचाने के लिए जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए।
प्रसव पीड़ा बढ़ाने के तरीके
यदि आपको डॉक्टर द्वारा अभी दो चार दिन का समय दिया जाता है या फिर नौवें महीने में आप प्रसव पीड़ा को बढ़ाने के लिए कुछ तरीके अपनाना चाहती है तो आइये हम आपको कुछ आसान घरेलू नुस्खों के बारे में बताते हैं।
स्ट्रैस नहीं लें
डिलीवरी का समय पास आने पर कुछ महिलाएं तनाव में आ जाती है और तनाव के कारण कई बार महिला को लेबर पेन न होने की परेशानी हो सकती है। ऐसे में यदि आप चाहती है की आपको लेबर पेन हो तो इसके लिए आप दिमागी रूप से रिलैक्स रहें।
एक्टिव रहें
नौवें महीने में वजन बढ़ने के कारण महिला को काम करने, उठने बैठने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है की हमेशा आराम ही करते रहना चाहिए। बल्कि महिला को एक्टिव रहना चाहिए क्योंकि एक्टिव रहने से प्रसव पीड़ा को बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही ध्यान रखें की एक्टिव रहने का यह मतलब नहीं है की आप उछल कूद करना शुरू कर दें।
वॉक करें
प्रसव पीड़ा को उत्तेजित करने के लिए वॉक करना एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि वाक करने से गर्भ में पल रहे शिशु को अपने जन्म लेने की सही पोजीशन में आने में मदद मिलती है। जिससे डिलीवरी जल्दी होने में मदद मिलती है।
प्रसव को बढ़ाने वाली डाइट लें
ऐसा मन जाता है की कुछ आहार ऐसे होते हैं जिन्हे खाने से आपकी प्रसव पीड़ा को उत्तेजित करने में मदद मिलती सकती है जैसे की जिन खाद्य पदार्थों की तासीर गर्म होती है, स्पाइसी फ़ूड, आदि। ऐसे में गर्भवती महिला चाहे तो इन आहार का सेवन कर सकती है ताकिप्रसव को उत्तेजित करने में मदद मिल सके।
क्या गर्भ में शिशु के ज्यादा समय तक रहने से कोई दिक्कत होती है?
वैसे तो आपको डॉक्टर द्वारा सही सलाह दी जाती है की आपको कब डिलीवरी करवा लेनी चाहिए। लेकिन यदि आप उसके बाद भी डिलीवरी नहीं करवाती हैं। तो डिलीवरी डेट आने तक गर्भ में शिशु का विकास और वजन बढ़ चूका होता है। ऐसे में हो सकता है की इस दौरान गर्भनाल अपना काम उतनी अच्छी तरह से न कर पाए जैसे की पहले कर रही थी।
और गर्भनाल के सही से काम न करने के कारण शिशु तक पहुँचने वाले पोषक तत्वों व् ऑक्सीजन के प्रवाह में समस्या आ सकती है। जिसके कारण शिशु की हलचल में कमी, सांस लेने में दिक्कत, और शिशु की जान को रिस्क आदि हो सकता है। ऐसे में डिलीवरी डेट निकल जाने पर आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से बात करनी चाहिए। ताकि बच्चे को किसी भी तरह की दिक्कत न हो और आप एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकें।
डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद महिला को होने वाली दिक्कत
बच्चे के जन्म की तिथि निकल जाने का बाद गर्भ में केवल शिशु को हो नहीं बल्कि महिला को भी दिक्कत हो सकती है जैसे की महिला को तनाव अधिक हो सकता है जिसकी वजह से महिला की दिक्कतें बढ़ सकती है, इसके अलावा महिला को पेल्विक एरिया, पीठ, आदि की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ सकता है जिसके कारण महिला का कमर दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द जैसी परेशानी अधिक हो सकती है।
तो यह हैं डिलीवरी की ड्यू डेट निकल जाने पर महिला को क्या करना चाहिए उससे जुडी जानकारी, यदि आप भी माँ बनने वाली हैं तो आपको भी यह सब जानकारी अपने पास जरूर रखनी चाहिए ताकि माँ या बच्चे को होने वाली हर दिक्कत से बचे रहने में मदद मिल सके।
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