ओवुलेशन पीरियड माहवारी (Periods) के कितने दिन पहले या कितने दिन बाद होता है?

Ovulation Period In Womens : महिलाओं के शरीर में दिन-रात बहुत से परिवर्तन होते रहते है जिनके बारे में किसी को पता नहीं होता। ओवुलेशन पीरियड भी एक ऐसा ही परिवर्तन है जो माहवारी प्रारंभ होने के बाद हर महिला को होता है। लेकिन बहुत ही कम ऐसी महिलाएं है जो इस पीरियड के बारे में विस्तार से जानती हैं। इसीलिए आज हम आपको ओवुलेशन पीरियड के बारे में जानकारी दे रहें है।

ओवुलेशन पीरियड क्या होता है? (What is Ovulation Period)

ओवरी (अंडाशय) से अंडे के बाहर आने की क्रिया को ओवुलेशन कहा जाता है। जो हर महिला को मासिक धर्म के दौरान होती है। ओवुलेशन महीने का वो (12 से 24 घंटे का) समय होता है जब अंडा स्पर्म के साथ मिलने और निषेचित होने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। ये अंडे मासिक धर्म प्रारंभ होने से कुछ समय पूर्व फ़ैलोपिन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में पहुंच जाते है और एक बार में अंडाशय से 15 से 20 अंडे निकलते है।

ओवुलेशन का गर्भधारण से क्या संबंध है? (Role of Ovulation Period in Pregnancy)

आम लोगों की समझ के अनुसार गर्भधारण बहुत ही आसान क्रिया है जिसे शारीरिक संबंध स्थापित करके किया जा सकता है, जबकि ऐसा नहीं है। गर्भधारण करना या अंडे का स्पर्म के साथ निषेचित होना एक लंबी क्रिया का परिणाम होता है। जो माहवारी खत्म होने के बाद से ही शुरू हो जाती है और गर्भ ठहरने के बाद समाप्त होती है। ओवुलेशन इस पूरी प्रक्रिया में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान देता है, बिना ओवुलेशन पीरियड के बारे में जाने गर्भधारण करना आसान नहीं होता।

इस तरह जानें ओवुलेशन क्या है :

चक्र के प्रारंभ में ग्रीवा (प्राइवेट पार्ट और गर्भाशय के बीच का रास्ता) थोड़ा सख्त, नीचा और बंद होता है। परंतु ओवुलेशन के प्रारंभ होते ही यह खुल जाता है और मुलायम हो जाता है ताकि स्पर्म आसानी से अंदर जा सके। ये जगह मासिक धर्म के दिनों में खुली रहती है और पीरियड खत्म होने के बाद फिर से सख्त हो जाती है। परंतु जिन महिलाओं के पीरियड्स रेगुलर नहीं होते उनका ओवुलेशन पीरियड भी अलग होता है।

कभी-कभी एक के बाद अंडाशय में अंडे मैच्योर हो जाते है और हॉर्मोन में वृद्धि होने के कारण वे परिपक्व होकर बाहर आते है। जिसके बाद ये अंडे फ़ैलोपिन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय की तरफ आते हैं और ट्यूब में रूककर निशेषित होने के लिए शुक्राणुओं की प्रतीक्षा करते हैं।

ओवुलेशन गर्भधारण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है और इसके कई फायदे भी है जो गर्भधारण में मदद करते हैं।

ओवुलेशन पीरियड को कैसे जानें? How to Calculate Ovulation PeriodOvulation Period

इस पीरियड को जानने से पहले आपको अपने मासिक चक्र की अवधि को समझना होगा। मासिक चक्र एक पीरियड्स शुरू होने से दूसरे पीरियड्स शुरू होने तक की अवधि होती है। यह मासिक धर्म का पहला दिन और अगले मासिक धर्म के बीच के दिन की अवधि होती है जिसे इस उदाहरण से समझें –

  • पीरियड्स का पहला दिन – मार्च 1
  • अगले पीरियड्स का पहला दिन – मार्च 31
  • मासिक चक्र की अवधि (मार्च 1 से मार्च 31 के बीच का समय) – 30 दिन

अब ओवुलेशन पीरियड को समझते है –

उपरोक्त उदाहरण के मुताबिक मासिक चक्र की अवधि 30 दिन है जिसके अनुसार ओवुलेशन 16वें  दिन के आस पास होगा। क्योंकि ओवुलेशन अगले पीरियड्स के प्रारंभ होने के 10 से 14 दिन पहले होता है तो अगर आप (30 – 14 = 16) इस हिसाब से समझेंगी तो ओवुलेशन पीरियड को बेहतर तरह से समझ पाएंगी। यानी आपका ओवुलेशन पीरियड 17 मार्च से प्रारंभ हो जाएगा।

मासिक चक्र की अवधि ओवुलेशन का दिन प्रेग्नेंट होने की अधिक संभावनाएं
22 दिन Day 8 Day 6-8
23 दिन Day 9 Day 7-9
24 दिन Day 10 Day 8-10
25 दिन Day 11 Day 9-11
26 दिन Day 12 Day 10-12
27 दिन Day 13 Day 11-13
28 दिन Day 14 Day 12-14
29 दिन Day 15 Day 13-15
30 दिन Day 16 Day 14-16
31 दिन Day 17 Day 15-17
32 दिन Day 18 Day 16-18
33 दिन Day 19 Day 17-19
34 दिन Day 20 Day 18-20
35 दिन Day 21 Day 19-21
36 दिन Day 22 Day 20-22

ओवुलेशन के लक्षण :

जिन महिलाओं को रेगुलर पीरियड्स होते है वे ओवुलेशन प्रक्रिया को आसानी से समझ सकती हैं क्योंकि इनका ओवुलेशन का दिन निश्चित होता है।

अगर किसी का मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर होता है तो 12वें और 16वें दिन लक्षणों को पहचाना जा सकता है। इसी दिन ओवुलेशन प्रकिया हो सकती है।

जिन महिलाओं को रेगुलर पीरियड्स नहीं होते उनमे यह क्रिया अनिश्चित होती है। क्योंकि उनके मासिक धर्म टाइम पर नहीं होते इसलिए ओवुलेशन पीरियड भी बदलता रहता है।

ओवुलेशन पीरियड के दौरान शरीर में आने वाले बदलाव : Symptoms Of Ovulation Period

सर्विकल म्यूकस : ओवुलेशन प्रकिया के दौरान सर्विकल, म्यूकस में बदलने लगता है जो समय बढ़ने के साथ और गाढ़ा व् चिपचिपा होने लगता है। ओवुलेशन के समय यह बहुत चिकना रहता है। इस स्थिति से आसानी से पता लगाया जा सकता है की आप फर्टाइल स्टेज पर है।

शरीर का तापमान : अन्य दिनों की तुलना में इस दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है। अगर आपको लगता है की शरीर का तपमान कुछ ज्यादा है तो समझ की आपका ओवुलेशन शुरू हो चुका है।

संबंध बनाने की इच्छा : फर्टाइल फेज होने के कारण इन दिनों संबंध बनाने की इच्छा बढ़ जाती है।

ब्रेस्ट में बदलाव : ओवुलेशन पीरियड के दौरान महिलाओं के ब्रेस्ट संवेदनशील हो जाते हैं और कई बार उनमे दर्द भी होता है।

हल्का भूरा चिपचिपा पदार्थ : ओवुलेशन के दौरान महिलाओं की योनि से हल्का भूरे रंग का चिपचिपा पदार्थ निकलता है जो आगे चलकर लाल में बदल जाता है। ये चिपचिपा पदार्थ एक कवच होता है जो परिपक्व अंडे को निषेचन तक कवर करके रखता है।

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