माँ के गर्भ में शिशु
किसी भी महिला के लिए गर्भ में शिशु को महसूस करना और उसे जन्म देना उसकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन लम्हा होता है। और पूरे नौ महीने गर्भ में शिशु क्या कर रहा है क्या नहीं, शिशु का विकास कैसे हो रहा है इसे जानने की उत्सुकता गर्भवती महिला को होती रहती है। लेकिन गर्भ में शिशु किस समय क्या कर रहा है इसे जानना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि आप गर्भ में शिशु को महसूस तो कर सकती है लेकिन उसे देख नहीं सकती। परन्तु शिशु के जन्म के बाद उसकी हर पहली आदत और हरकत को आप देख भी सकती है, और उसे हमेशा यादगार लम्हो में कैद करके भी रख सकती है। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी की गर्भ में भी शिशु की बहुत सी ऐसी आदतें होती है जिन्हे वो करता है, और आपको पता भी नहीं चलता।
गर्भ में शिशु क्या क्या करता है
माँ के गर्भ में शिशु पांचवे महीने तक हलचल करना शुरू कर देता है, और जैसे जैसे शिशु का विकास होता है वैसे वैसे शिशु की हलचल बढ़ने लगती है, साथ ही गर्भवती महिला ज्यादा समय के लिए इस अनुभव को एन्जॉय कर सकती है। हाथ पैर मरने के अलावा और भी ऐसी बहुत सी हरकते हैं जो शिशु माँ के गर्भ में करता है, तो आइये आज हम आपको माँ के गर्भ में शिशु को क्या क्या आदत होती है इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
हिचकियाँ लेना
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में गर्भ में शिशु हिचकियाँ लेना शुरू कर देता है। गर्भवती महिला इसे महसूस नहीं कर सकती है लेकिन गर्भ में शिशु कभी कभी हिचकी ले सकता है।
अंगूठा चूसता है
जैसे जैसे शिशु का आकार बढ़ता है वैसे वैसे उसकी हरकतें भी बढ़ने लग जाती है। और विशेषज्ञों की मानें तो गर्भ में शिशु अपने अंगूठे को चूसने की कोशिश करता है। और कई बच्चे तो गर्भ में अंगूठा चूसते भी हैं।
अंगड़ाई लेता है
शिशु गर्भ में घूमता भी है और चौबीसवें हफ्ते के अस पास आप शिशु की हलचल महसूस भी कर सकती है। और जब गर्भ में शिशु घूमकर थक जाता है तो थकावट के कारण शिशु अंगड़ाई भी ले सकता है।
गर्भ में रोना
अल्ट्रासॉउन्ड टेस्ट के दौरान कई बार देखा गया है की गर्भ में शिशु बहुत सी हरकतें करता है, लेकिन हो सकता है की आपको यह जानकार बुरा लगे की गर्भ में शिशु मूवमेंट करने के साथ कई बार रोता भी है।
गर्भ में हंसना
गर्भ में शिशु केवल रोता ही नहीं है बल्कि हँसता भी है, डॉक्टर्स के अनुसार छठे महीने के आस पास शिशु अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है, और कई बार हँसता भी है।
बाहरी चीजों को महसूस करना
शिशु का शारीरिक विकास बढ़ने के साथ शिशु के अंगो का विकास भी बढ़ने लगता है, शिशु के अंग काम करने लगते हैं। जैसे की शिशु की सुनने की क्षमता में वृद्धि होना, ऐसे में तेज आवाज़ सुनकर कई बार शिशु गर्भ में चौकता भी है जिसके कारण गर्भ में वह ज्यादा मूवमेंट करने लगता है, ऐसे में महिला को ज्यादा शोरगुल वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए। साथ ही गर्भ में शिशु आस पास की आवाज़ भी महसूस कर सा सकता है, इसीलिए गर्भवती महिला को गर्भ में ही अपने शिशु से बातें करनी चाहिए ताकि उसके मानसिक विकास को बेहतर तरीके से होने में मदद मिल सके।
आँखे खोलना
अठाईसवें हफ्ते के आस पास शिशु अपनी आँखे भी खोल सकता है, और गर्भ पर तेज रौशनी पड़ने पर शिशु उसे महसूस भी कर सकता है।
हाथ पैर मारना
शिशु का जैसे जैसे शारीरिक विकास होता है वैसे वैसे शिशु के हाथ पैर अच्छे से मूव करने लगते हैं, जिसके कारण प्रेगनेंसी के आखिरी महीने शिशु की हलचल अधिक महसूस हो सकती है। और यह पल गर्भवती महिला की प्रेगनेंसी के सबसे बेहतरीन पलों में से एक होता है।
मूत्र भी करते हैं
जी हाँ, आपको यह जानकार हैरानी होगी की गर्भ में शिशु भी यूरिन करता है, और यह शिशु पहली तिमाही के आखिर तक शुरू कर देता है।
खाने का स्वाद
गर्भवती महिला जो भी आहार खाती है उसके मौजूद पोषक तत्व शिशु के बेहतर शारीरिक विकास में मदद करते है ऐसा तो आपने बहुत बार सुना होगा। लेकिन शिशु उस खाने के स्वाद का अनुभव भी कर सकता है, ऐसे में महिला को आहार का सेवन करते समय बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है।
अपनी पोजीशन में बदलाव लाना
प्रेगनेंसी के दौरान शिशु गर्भ में मूवमेंट करता है, लेकिन डिलीवरी का समय जैसे जैसे पास आता है वैसे वैसे शिशु अपनी सही पोजीशन में आने लगता है। जैसे की शिशु का सिर नीचे की तरफ और टाँगे ऊपर की तरफ हो जाती है।
सांस लेता है
गर्भावस्था की पहली तिमाही में शिशु एमनियोटिक फ्लूड अपने अपने अंदर लेना व् बाहर निकालना शुरू करता है, जिससे शिशु के फेफड़ों का विकास होता है। और प्लेसेंटा के माध्यम से शिशु तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है जिससे शिशु को सांस लेने में मदद मिलती है। ऐसे में गर्भवती महिला को बॉडी में एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा को पर्याप्त बनाए रखने के लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए, ताकि शिशु के विकास में किसी भी तरह की कमी न आए।
तो यह हैं कुछ आदतें जो गर्भ में शिशु करता है, ऐसे में शिशु स्वस्थ रहे और उसक विकास बेहतर तरीके से हो इसके लिए प्रेग्नेंट महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ मानसिक रूप से भी फ्री रहना चाहिए, ताकि शिशु का भी शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर तरीके से हो सके। इसके अलावा कोई भी परेशानी हो, शिशु की हलचल लम्बे समय के लिए महसूस न हो, दर्द महसूस हो, तो ऐसे लक्षणों को अनदेखा न करते हुए जितना जल्दी हो सके एक बार डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।