गर्भपात
हर महिला के लिए प्रेगनेंसी जितना सुखद शब्द है, गर्भपात शिशु की चाह रखने वाली महिला के लिए उतना ही डरावना लम्हा होता है। क्योंकि शिशु के गर्भ में आते ही गर्भवती महिला उससे न केवल शारीरिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी जुड़ जाती है। और हर महिला चाहती है की उसका आने वाले शिशु स्वस्थ और बिना किसी तकलीफ के जन्म लें। लेकिन न चाहते हुए भी कुछ कारणों की वजह से महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। गर्भ का गिरना महिला को शारीरिक रूप से कमजोर कर देने के साथ कई बार मानसिक रूप से भी परेशान कर देता है, ऐसे में महिला को इस दुःख से उबारना बहुत जरुरी होता है।
गर्भपात के लक्षण
जब महिला का गर्भपात होने वाला होता है तो इससे पहले बॉडी में कुछ लक्षण महसूस होते हैं, ऐसे में यदि सही समय पर डॉक्टर के जाया जाए तो हो सकता है गर्भपात जैसी परेशानी से बचने में मदद मिल सके। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भपात से पहले बॉडी क्या संकेत देती है।
- पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या बहुत तेज दर्द का महसूस होना जैसा की माहवारी के दौरान होता है।
- पीठ में दर्द का अनुभव अधिक होना या मांसपेशियों में खिंचाव का महसूस होना।
- प्राइवेट पार्ट से खून के थक्के निकलना, या रक्तस्त्राव का अधिक होना, इस दौरान होने वाला रक्तस्त्राव भूरे या गहरे लाल रंग का हो सकता है।
- इसके अलावा कुछ महिलाओं के साथ ऐसा भी हो सकता है की उन्हें कुछ महसूस न हो, और ब्लीडिंग की परेशानी शुरू हो जाए।
गर्भपात के कारण
यदि महिला का गर्भपात होता है तो ऐसा कोई जरुरी नहीं होता है की हर एक महिला के गर्भपात होने का कारण एक ही हो। बल्कि महिला के गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, और यह सब महिला को अलग अलग कारणों की वजह से हो सकता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की किन किन कारणों की वजह से महिला को गर्भपात की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
हार्मोनल असंतुलन
गर्भवती महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने के कारण प्रेगनेंसी के दौरान महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में इन परेशानियों से बचने के लिए बॉडी में हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखना बहुत जरुरी होता है। लेकिन यदि किसी कारण की वजह से बॉडी में हार्मोनल इम्बैलेंस हो जाए तो इसके कारण गर्भवती महिला की परेशानी बढ़ सकती हैं, और कुछ महिलाओं में गर्भपात का कारण उनकी बॉडी में होने वाले हार्मोनल इम्बैलेंस ही होता है।
शारीरिक समस्याएं
यदि गर्भधारण करने वाली महिला किसी शारीरिक समस्या जैसे की थायरॉइड, मधुमेह या किसी अन्य शारीरिक समस्या से ग्रसित होती है तो इसके कारण महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भाशय से जुडी समस्या
गर्भधारण करने वाली महिला यदि गर्भाशय से जुडी परेशानी से ग्रसित है जैसे की गर्भाशय का आकार, गर्भाशय का मुड़ा हुआ होना, गर्भाशय की दीवारों का कमजोर होना, गर्भाशय में किसी तरह के इन्फेक्शन का होना, आदि। इन सभी में से किसी भी एक समस्या के होने के कारण गर्भाशय में भ्रूण को प्रत्यारोपित होने में परेशानी हो सकती है जिसके कारण महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पी सी ओ एस (PCOS)
इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहा जाता है, यदि गर्भधारण करने वाली महिला पी सी ओ एस की समस्या से ग्रसित होती है तो गर्भधारण के बाद महिला के गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि इस समस्या के होने के कारण बॉडी में प्रोजेस्ट्रोन व एस्ट्रोजन हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण अंडे का विकास होने में परेशानी होती है और महिला का गर्भपात हो सकता है।
दवाइयां
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयों का सेवन करना भी गर्भपात का कारण बन सकता है। क्योंकि कुछ महिलाएं शरीर में होने वाले दर्द की समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टर से बिना पूछे ही दवाइयों का सेवन करने लगती है। जिसके कारण गर्भपात होने के चांस बढ़ जाते हैं, साथ ही जो महिलाएं रक्त को पतला करने की दवाइयों का सेवन करती है उन्हें भी इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
तनाव
प्रेगनेंसी के दौरान महिला का तनाव लेना न केवल गर्भवती महिला के लिए नुकसानदायक होता है बल्कि इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी बुरा असर पड़ सकता है। क्योंकि यदि गर्भवती महिला तनाव लेती है तो इसके कारण मस्तिष्क से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उसके विकास को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि तनाव लेने पर मस्तिष्क से कॉर्टिकोट्रॉपिन हार्मोन उत्सर्जित होता है, जो महिला के गर्भपात के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान परेशानियों से बचे रहने के लिए महिला को जितना हो सके खुश रहना चाहिए और तनाव नहीं लेना चाहिए।
जंक फ़ूड
गर्भवती महिला को पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है ताकि गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी बेहतर तरीके से होने में मदद मिल सके। लेकिन यदि महिला जंक फ़ूड जैसे की पिज़्ज़ा, बर्गर, ज्यादा मसाले व् तला भुना आहार का सेवन करती है जो की महिला और शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है जिसके कारण महिला को इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर गर्भवती महिला को चाइनीज़ फ़ूड का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सोया सॉस में मर्क्युरी मौजूद होती है जो महिला के गर्भपात का कारण बन सकती है।
उम्र
गर्भावस्था के लिए सही उम्र पर गर्भधारण करना भी बहुत जरुरी होता है, लेकिन यदि महिला या तो उम्र अधिक होने पर या बहुत कम उम्र होने पर गर्भधारण करती है तो इसके कारण महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
प्राइवेट पार्ट में संक्रमण
यदि गर्भधारण करने वाली महिला प्राइवेट पार्ट में होने वाले किसी तरह की इन्फेक्शन की समस्या से जूझ रही है तो इसके कारण गर्भाशय में संक्रमण होने का भी खतरा रहता है जिसके कारण महिला का गर्भपात हो सकता है।
लापरवाही करना
गर्भावस्था की शुरुआत में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही महिला के गर्भपात का कारण बन सकती है। जैसे की यदि महिला पेट के बल काम करती है, झुककर काम करती है, बहुत ज्यादा भागदौड़ व् उछल कूद करती है, ट्रेवल आदि अधिक करती है, पेट के बल सोती है, आदि। तो इन सभी के कारण गर्भाशय पर बुरा असर पड़ता है जिसके कारण महिला को गर्भपात जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
तो यह है कुछ कारण जिनकी वजह से महिला को गर्भपात जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जितनी केयर गर्भवती महिला को करनी चाहिए उससे ज्यादा गर्भपात होने के बाद महिला को करनी चाहिए क्योंकि गर्भपात के बाद शरीर में बहुत कमजोरी आ सकती है। इसके अलावा यदि गर्भपात के बाद आप दुबारा माँ बनने का निर्णय लेती है तो उसमे कम से कम तीन से छह महीने का गैप रखना चाहिए ताकि बॉडी अच्छे से फिट हो सके और आपको दुबारा ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े।