माँ बनने का अहसास
माँ बनना किसी भी महिला के लिए उसकी जिंदगी में मिलने वाला सबसे बड़ा उपहार होता है, जो महिला की जिंदगी को एक दम से बदल देता है। क्योंकि अब महिला की लाइफ में कोई ऐसा आने वाला होता है जिसके बारे में पहले और अपने और बाकी सब चीजों के बारे में महिला बाद में सोचती है। केवल प्रेगनेंसी की पॉजिटिव रिपोर्ट को देखकर ही महिला मन में तरह तरह के सपने बुनना शुरू कर देती है। ख़ुशी के साथ महिला के लिए यह पल बहुत से सवालों से भी घिरा होता है, क्योंकि महिला के मन में सिर्फ यही होता है की वो उन सभी चीजों का ध्यान रखे जिससे गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके। माँ बनने की खबर ही महिला के अंदर मातृत्व के अहसास को जगा देती है।
अकेले में बैठकर गर्भ पर हाथ फेरते हुए गर्भवती महिला अपने शिशु को महसूस करने की कोशिश करती है। और यह अहसास तब और भी खूबसूरत बन जाता है जब गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल महसूस होती है। प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों के कारण महिला को दिक्कत तो होती है, लेकिन गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में सोचकर महिला को मजबूत रहने में मदद मिलती है। घर में या बाहर हर कोई गर्भवती महिला को बहुत सी सलाह देता है, और महिला भी शिशु की बेहतरी के लिए हर किसी से उनके अनुभव को जानने की कोशिश करती है। और गर्भ में शिशु के होने से ही उसकी बेहतर केयर और परवरिश का ध्यान देना शुरू कर देती है।
पहली बार माँ बनने का क्या अहसास कैसा होता है?
पहली बार माँ बनना किसी भी महिला के लिए उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल लम्हा होता है, और इस अनमोल लम्हे का अहसास ही महिला में माँ की ममता को जागृत कर देता है। गर्भवती महिला अपने कमरे में सूंदर सूंदर शिशु की तस्वीरें लगाकर अपने गर्भ में पल रहे शिशु की आकृति को महसूस करने लगती है। माँ बनने का अहसास एक गर्भवती महिला से बेहतर कोई नहीं बता सकता है, क्योंकि गर्भ में नौ महीने शिशु को रखकर, हर दिन हर पल हर नए अनुभव का अहसास केवल एक महिला ही महसूस कर सकती है।
शिशु का विकास पूरी तरह से महिला के शरीर पर निर्भर करता है, क्योंकि शिशु के विकास के लिए सभी जरुरी पोषक तत्व गर्भ में पल रहा शिशु महिला के शरीर से ही लेता है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होता है की एक महिला के लिए प्रेगनेंसी किसी जंग से कम नहीं होती है। लेकिन फिर भी जैसे जैसे प्रेगनेंसी के दिन आगे बढ़ते हैं, शिशु की हलचल बढ़ने लगती है वैसे वैसे महिला के माँ बनने का अहसास और भी ज्यादा बढ़ने लगता है। और महिला चाहे पहली बार माँ बनने का अनुभव ले या दूसरी बार माँ बनने का अहसास दोनों में किसी तरह का फर्क नहीं होता है।
बस फर्क इतना होता है की दूसरी बार गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी हो जाती है, जबकि पहली बार महिला के मन में ख़ुशी के साथ घबराहट और डर भी होता है। ऐसे में यदि माँ बनने के अहसास को शब्दों में बताया जाए यह थोड़ा मुश्किल होगा, क्योंकि यह हर महिला के लिए अलग होता है। और हर महिला प्रेगनेंसी के दौरान अलग अलग तरह की चीजों का एक्सपीरियंस करती है, लेकिन इन सब में सिर्फ एक बात एक जैसी होती है वो है माँ बनने का अहसास, और मातृत्व की भावना।
तो यह है पहली बार माँ बनने का क्या अहसास होता है, इससे जुडी कुछ बातें, ऐसे में इस अहसास को गर्भवती महिला को अपने पार्टनर अपने परिवार के साथ शेयर करना चाहिए। ताकि वह चाहे इस अहसास का अनुभव न ले सके, लेकिन आपकी बातों से इन्हे महसूस कर सकें।