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आज के समय में हर कोई अपने शरीर का बहुत ध्यान रखता है। लेकिन फिर भी कई बार हमारे शरीर में ऐसी परेशानियां हो जाती है जिन्हे सहन करना आसान नहीं होता। कमर दर्द, सर दर्द आदि जैसी समस्याओं को तो दवा खाकर दूर किया जा सकता है लेकिन कुछ परेशानियां है जिनमे दवा खाने का भी कोई असर नहीं होता। इन्ही कुछ समस्याओं में से एक है पैरों से संबंधित समस्याएं। यहाँ हम घुटने के दर्द, पैरों में सूजन आदि के विषय में नहीं अपितु उनमे होने वाले संक्रमण या इन्फेक्शन की बात कर रहे है।
अधिक देर तक पानी में काम करने या धान उगाने वाले किसानो को अक्सर ये समस्या हो ही जाती है। धान लगाते समय उसे रोपने के लिए बहुत अधिक पानी में रहना पड़ता है जिसके कारण उन्हें ये बीमारी हो जाती है। इसके अलावा जो लोग नंगे पैर खड़े होकर काम करते है उन्हें भी ये समस्या हो सकती है। कभी कभी बहुत घंटों तक लगातार जूते पहनने के कारण उँगलियों के बीच में भी ये बीमारी हो जाती है।
पैरों में पानी लगने के कारण :-
ऐसे तो किसी भी इन्फेक्शन का मुख्य कारण गंदगी होता है। और इस समस्या का कारण भी यही है। दरअसल अधिक समय तक पानी और मिटटी के सम्पर्क में रहने से त्वचा मुलायम हो जाती है जिसके कारण उसमे फफूंद और संक्रमण फैलने लगता है। इस बीमारी के होने पर पैरों में तेज खुजली होने के साथ-साथ सूजन भी आने लगती है। कई बार इसमें पीप से भरे फोड़े भी हो जाते है।
इस समस्या का मुख्य कारण बैक्टीरिया होते है। जो त्वचा में एकत्रित होकर संक्रमण पैदा करते है। ऐसे में इन बैक्टीरिया को साफ़ करना और सही देखभाल करना जरुरी है। इसीलिए आज हम आपको पैरों में पानी लगने या उनमे संक्रमण होने का इलाज बताने जा रहे है जिनकी मदद से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
पैरों में पानी लग जाए तो ऐसे ठीक करें :-
इस बीमारी के होने पर पैरों में मवाद वाले फोड़े हो जाते है जिन्हे ठीक करने के लिए टैट्रासाईक्लीन नामक दवाई को खाना और बैक्टीरिया रोधी या फफूँद रोधी दवाई को संक्रमण वाले स्थान पर लगाने की सलाह दी जाती है।
जेंशियन वायलट दवा लगाने से बीमारी में चार पांच दिन में आराम मिल जाता है। तेल युक्त नीम का सत्त लगाने से भी संक्रमण में फायदा मिलता है।
बहुत से किसान इस बीमारी से राहत पाने के लिए आग जलाकर उसके धुएं से अपने पैरों को सेकते है।
इस बीमारी से बचने के लिए रबर के जूतों का इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे उनमे पानी न घुसे और पैर सूखे रहे। इसके अलावा खेती का काम करने के बाद पैरों को ठीक तरह से सुखाकर भी इस बीमारी से बचाव संभव है।