गर्भावस्था का छठा महीना प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आखिरी महीना होता है। यानी की अब धीरे धीरे समय और तेजी से आगे निकलने लगता है साथ ही महिला को अब डिलीवरी के लिए अपने शरीर को तैयार करने की जरुरत होती है। इसके अलावा एक और बात जिसका ध्यान महिला को बहुत ज्यादा रखने की जरुरत होती है वो है की महिला को अपनी डाइट को पहले से और भी बेहतर करना चाहिए।
प्रेग्नेंट महिला जितना अच्छे से अपनी डाइट का ध्यान रखेगी उतना ही शिशु को बेहतर पोषण मिलेगा जिससे गर्भ में शिशु का विकास अच्छे से होगा। इसके अलावा जन्म के समय शिशु को वजन में कमी जैसी समस्या से भी बचे रहने में मदद मिलेगी। तो आइये अब प्रेगनेंसी के छठे महीने में महिला के शरीर में क्या लक्षण महसूस होते हैं, महिला की डाइट कैसी होनी चाहिए, गर्भवती महिला को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, आदि के बारे में जानते हैं।
प्रेगनेंसी के छठे महीने के लक्षण
गर्भावस्था के पूरे नौ महीने महिला के शरीर में बहुत से लक्षण महसूस होते हैं। ऐसा जरुरी नहीं है की हर गर्भवती महिला के शरीर में एक ही तरह के लक्षण दिखाई दे बल्कि यह पूरी तरह से महिला के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। ऐसे में हर गर्भवती महिला के शरीर में अलग अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। तो आइये अब जानते हैं की प्रेग्नेंट महिला के शरीर में कौन-कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं।
पाचन से जुडी समस्या
प्रेगनेंसी के छठे महीने में गर्भवती महिला का पेट आगे की तरफ निकला हुआ दिखाई देने लगता है। साथ ही गर्भाशय का आकार बढ़ने के साथ पेट के निचले हिस्से पर भी दबाव बढ़ जाता है। जिसकी वजह से पाचन क्रिया थोड़ा धीमे काम करने लगती है। ऐसे में महिला को खाना हज़म करने में दिक्कत हो सकती है जिसकी वजह से कब्ज़, सीने में जलन, एसिडिटी जैसी समस्या भी महिला को अधिक हो सकती है।
पीठ में दर्द
पेट का आकार बढ़ने के कारण पीठ की मांसपेशियों में भी खिंचाव थोड़ा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से महिला को पीठ में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिन महिलाओं का वजह ज्यादा होता है उन्हें यह समस्या अधिक हो सकती है।
सूजन
वजन बढ़ने की वजह से पेट के निचले हिस्से से लेकर पैरों तक दबाव अधिक बढ़ जाता है। जिसकी वजह से यदि महिला बहुत देर तक पैरों को लटककर बैठती है तो इसकी वजह से ब्लड फ्लो थोड़ा धीमे हो जाता है साथ ही यदि महिला लम्बे समय तक एक ही जगह खड़ी रहती है तो इसकी वजह से पैरों पर अधिक दबाव पड़ता है जिसकी वजह से महिला को पैरों में दर्द व् सूजन की समस्या हो सकती है। पैरों के साथ कुछ महिलाओं को हाथों व् चेहरे पर सूजन भी हो सकती है ऐसे में इस समस्या के ज्यादा होने पर महिला को इसे अनदेखा न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
थकावट महसूस होना
इस दौरान महिला ज्यादा थकावट व् कमजोरी भी महसूस कर सकती है। खासकर काम करते समय महिला जल्दी ही थक जाती है ऐसे में महिला को आराम आराम से ही काम करना चाहिए और अपने खान पान का ध्यान रखना चाहिए ताकि महिला को इस परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सकें।
भूख में बढ़ोतरी
पहले की अपेक्षा छठे महीने में महिला को ज्यादा भूख लग सकती है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है की महिला जरुरत से ज्यादा खाना शुरू कर दे। साथ ही महिला को थोड़ा थोड़ा करके खाना चाहिए ताकि महिला को पेट से सम्बंधित परेशानियों से बचे रहने में मदद मिल सके।
प्रेगनेंसी के छठे महीने में बरतें यह सावधानियां
हर महिला यही चाहती है की उसे प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह की समस्या नहीं हो ऐसे में महिला के लिए जरुरी है की महिला प्रेगनेंसी के दौरान पूरी सावधानी बरतें। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के छठे महीने में महिला को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
- महिला को पेट के बल नहीं सोना चाहिए।
- एक ही बार में पेट भरकर नहीं खाना चाहिए थोड़ा थोड़ा करके खाना चाहिए ताकि महिला की पाचन क्रिया को दुरुस्त रहने में मदद मिल सकें।
- पेट के बल काम नहीं करना चाहिए।
- ज्यादा देर एक ही जगह खड़े रहकर काम नहीं करना चाहिए।
- यदि काम करने में कोई दिक्कत हो रही है तो उस काम को न करें।
- स्ट्रेस नहीं लें।
- सम्बन्ध बनाते समय सावधानी बरतें।
- शिशु गर्भ में हलचल कर रहा है या नहीं इस बात का ध्यान रखें।
- ज्यादा भागादौड़ी नहीं करें।
- तेलीय व् मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करें।
- कैफीन का सेवन अधिक नहीं करें।
- ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा बहुत योगा व् मैडिटेशन जरूर करें।
- बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी तरह की दवाई का सेवन नहीं करें।
- यदि शरीर में कोई भी असहज लक्षण महसूस होता है या कोई दिक्कत ज्यादा होती है तो देरी न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलें।
तो यह है प्रेगनेंसी के छठे महीने से जुड़े टिप्स, यदि आप भी प्रेग्नेंट हैं तो आपको भी इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और डॉक्टर जो आपको करने या न करने की सलाह देता है उसके प्रति ध्यान रखें। ताकि आपकी प्रेगनेंसी को आसान बनाने में मदद मिल सके साथ ही माँ व बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सकें।
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