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कहने वाले ने बिलकुल सत्य कहा है, “सावधानी हटी , दुर्घटना घटी”। क्योंकि आम तौर पर होने वाले सभी हादसे सावधानी न रखने के कारण ही होते है। जैसे की इलेक्ट्रिक शौक या बिजली का झटका। बिजली का झटका आमतौर पर लोगों को नंगी तार छूने, किसी बिजली का काम करते समय ध्यान न रखें, नंगें पैर बिजली का काम करने से लग ही जाता है।

कहने को तो ये बहुत ही सामान्य सी बात है लेकिन कई बार शौक लगने से हृदय की गति पर भी प्रभाव पड़ता है और ऐसे में इंसान बेहोश हो जाता है। इसके अलावा कई बार बिजली का झटका इतना जोर से लगता है की इंसान दूर गिर जाता है। इस स्थिति में लापरवाही बरतने से व्यक्ति की जान पर बन सकती है। इसीलिए बिजली का करेंट लगने पर तुरंत डॉक्टरी इलाज की सलाह दी जाती है।

लेकिन डॉक्टर के मरीज तक पहुँचने और उसे ले जाने में थोड़ा समय लगता है। जिस बीच हम प्रथम उपचार की मदद से रोगी की दशा में कुछ सुधार ला सकते है। क्योंकि कई बार झटका लगते समय धीरे लगता है लेकिन अधिक समय तक उपचार न होने के कारण वह हृदय को भी प्रभावित करने लगता है। ऐसे में प्रथम उपचार बेहतर उपाय है।

लेकिन सभी को बिजली का झटका लगने के उपचारों के बारे में नहीं पता होता। इसीलिए आज हम आपको बिजली का झटका लगने पर क्या करें? इस बारे में बताने जा रहे है।

बिजली का झटका लगने पर क्या करें :- 

1. मदद के लिए पीड़ित के पास जाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की उसके आस पास कोई करेंट वाली चीज तो नहीं पड़ी है। बता दें पानी और लोहा की चीजों में करंट बहुत जल्दी पास होता है। अगर ऐसी कोई चीज आस पास है तो उसे किसी लकड़ी की मदद से हटा दें।bijli ka jhtka

2. पीड़ित व्यक्ति को करंट लगनी वाली चीज से दूर करने का प्रयास करें। इसके लिए सबसे पहले मैं स्विच ऑफ कर दें। क्योंकि स्विच ऑन रहने से आपको भी करेंट लग सकता है। व्यक्ति को भूलकर भी छुएं नहीं ये आपके लिए भी नुकसानदायक हो सकता है।

3. बिजली से अलग करने के बाद व्यक्ति को रिकवरी पोजीशन में लेटा दें। इस पोजीशन में व्यक्ति किसी एक करवट में होता है और उसका एक हाथ सिर के नीचे और दूसरा हाथ आगे की तरफ होता है। उसका एक पैर सीधा और दूसरा मुड़ा हुआ होता है। इसके बाद उसकी ठोड़ी उठाकर जांच करें कि वो सांस ले रहा है या नहीं।

4. अगर व्यक्ति साँस नहीं ले रहा है और उसके थोड़ी चोट आई है तो उस चोट को पानी से धो दें।

5. अगर जलने वाली जगह से ब्लीडिंग हो रही है तो उस जगह को किसी साफ़ और सूखे कपडे से बांध दें।

6. अगर व्यक्ति किसी भी तरह की कोई गतिविधि जैसे सांस लेना, खाँसना नहीं कर रहा है तो आप सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू करें। इस प्राथमिक चिकित्सा से किसी बेहोश या मूर्छित व्यक्ति के दिल और फेफड़ो को पुन: होश में लाया जाता है। (अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो कभी भी सीपीआर ना करें।)

इन सभी उपचारों के अलावा एक बात का ध्यान रखें कि बिजली का झटका लगने वाले व्यक्ति को मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, भले ही घटना के बाद वह पूरी तरह ठीक लग रहा हो। क्योंकि हो सकता है झटके का असर अब तक तंत्रिका प्रणाली में हो और वो बाद में प्रभाव दिखाए।

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